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2024 के पहले दिन इसरो का EXPOSET मिशन सफलतापूर्वक किया गया लॉन्च

नई दिल्ली: हिंदुस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने नए वर्ष में एक नया इतिहास रचा है 2024 के पहले दिन इसरो का EXPOSET मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया मिशन ब्लैक होल, आकाशगंगाओं और न्यूट्रॉन सितारों का पता लगाएगा इसरो की यह अंतरिक्ष वेधशाला पृथ्वी से 650 किमी दूर कक्षा में स्थापित की जाएगी अमेरिका के बाद ऐसा मिशन लॉन्च करने वाला हिंदुस्तान दुनिया का दूसरा राष्ट्र बन गया है अमेरिका ने 2021 में इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर नामक एक मिशन लॉन्च किया इसरो का EXPOSET मिशन ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने का कोशिश करेगा मिशन को सुबह 9.10 बजे श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया इस ऐतिहासिक मिशन के साथ इसरो के नए वर्ष की आरंभ का जिक्र करते हुए पीएम ने वैज्ञानिकों को शुभकामना दी

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने सुबह 9.10 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एक ऐतिहासिक मिशन लॉन्च किया एक्सपोसेट नाम का यह मिशन एक तरह की खगोल विज्ञान वेधशाला है, जो पृथ्वी से 650 किमी दूर कक्षा में रहकर ब्लैक होल, आकाशगंगाओं आदि पर अध्ययन करेगा यह मिशन ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने के लिए लॉन्च किया गया है अंतरिक्ष विज्ञान की भाषा में पोलारिमेट्रिक उपग्रह कहे जाने वाले उपग्रह को लॉन्च करने में सफल होने वाला हिंदुस्तान अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा राष्ट्र है पोलरीमीटर एक विशेष प्रकार का उपकरण है जो विशेष रूप से घूमते हुए ब्लैक होल, गैलेक्टिक किरणों का शोध करता है यह उपकरण ब्रह्मांड की उन वस्तुओं को पकड़ता है जो नग्न आंखों से दिखाई नहीं देती हैं और उन्हें विभिन्न आयामों से पकड़कर उनके रहस्यों को सुलझाने का कोशिश करता है यह मीटर सात परतों के साथ मुश्किल काम करवाता है मृत तारों के विकिरण का शोध करने और पृथ्वीवासियों की समझ बढ़ाने के लिए यह उपकरण बहुत उपयोगी है

EXPOSET अंतरिक्ष में फोटॉन और अंतरिक्ष के ध्रुवीकरण माप का इस्तेमाल करके ब्लैकहोल के विकिरण का शोध करेगा अगर ब्लैक होल का रहस्य सुलझ गया तो ब्रह्मांड के जन्म के बारे में कई नयी बातें पता चल सकती हैं यह अंतरिक्ष वेधशाला पांच वर्ष तक चालू रहेगी इस उपग्रह में दो पेलोड हैं एक है एक्स-रे पोलीमीटर उपकरण और दूसरा है एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी इन दोनों की सहायता से मिशन प्रमुख शोध करेगा

भारत इस उपकरण से ब्लैक होल और आकाशगंगाओं के रहस्यों का पता लगाने के लिए वेधशाला-उपग्रह लॉन्च करने वाला दूसरा राष्ट्र है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए इसरो को शुभकामना दी पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, नए वर्ष में अच्छी समाचार देने के लिए इसरो वैज्ञानिकों को बहुत-बहुत धन्यवाद यह मिशन राष्ट्र के अंतरिक्ष क्षेत्र को नयी ऊर्जा देगा देश की अंतरिक्ष शक्ति बढ़ेगी

मिशन की लॉन्चिंग के बाद इसरो वैज्ञानिक और इस मिशन के निदेशक डॉ जयकुमार ने बोला कि एक्सपोसैट एक तरह की अंतरिक्ष वेधशाला है यह मिशन पूरी तरह से स्त्री वैज्ञानिकों पर आधारित था यह मिशन स्त्री सशक्तिकरण का अभूतपूर्व उदाहरण है इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बोला : नये वर्ष की आरंभ कामयाबी के साथ हुई है यह वर्ष राष्ट्र के अंतरिक्ष विज्ञान के लिए नयी ऊंचाइयां लेकर आएगा

इसरो प्रमुख ने बोला कि यह मिशन एक्स-रे पोलारिमेट्री में अद्वितीय है हमारे वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की है और राष्ट्र में सभी उपकरण विकसित किए हैं हम इसरो में 100 वैज्ञानिकों की एक टीम बनाने की परिकल्पना कर रहे हैं, जो ब्लैकहोल और आकाशगंगाओं का गहराई से शोध कर विभिन्न पहलुओं को समझ सकें और उनके बारे में दुनिया का ज्ञान बढ़ा सकें

इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने भविष्य की परियोजनाओं की घोषणा की

– हमने 2047 तक का रोड मैप तैयार किया है: 2024 गगनयान की तैयारी का साल होगा 

– 2024 में निसार, नाविक श्रृंखला, मंगलयान-2, शुक्रयान-1 एम12 मिशन

बेंगलुरु/मुंबई: साल 2024 गगनयान की तैयारी का साल होगा हम इस नए साल 2024 में गगनयान के लिए जरूरी तकनीकी परीक्षण करेंगे इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भी 2024 में 12 से 14 मिशन लागू करने की तैयारी कर रहा है

इस प्रकार, इसरो ने साल 2047 तक का एक रोड मैप भी तैयार किया है यानी, इसरो ने अगले 23 सालों के लिए कौन से मिशन लागू करने हैं, इसकी एक समय सारणी भी तैयार की है इस रोड मैप में आजादी के 100 वर्ष पूरे होने के चरण (2047) तक का प्लान तैयार किया गया है इस रोडमैप में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान-4-5-6-7, चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन, चंद्र पर्यटन आदि शामिल हैं

इसरो के चेयरमैन श्रीधर पणिक्कर सोमनाथ ने आज सुबह 9:10 बजे एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (एक्सपोसेट) लॉन्च करने के बाद पत्रकारों को यह जानकारी दी है एस सोमनाथ ने यह भी जानकारी दी है कि गगनयान 2025 में जाएगा लेकिन उससे पहले हम 2024 में इसका और परीक्षण करेंगे 2023 में गगनयान के लिए टीवी-डी 1 प्रकार के दो सफल परीक्षण किए जा चुके हैं अब इस नए वर्ष में भी दो और तकनीकी परीक्षण किए जाएंगे इस प्रकार, 2025 में, हिंदुस्तान के अंतरिक्ष यात्री गगनयान पर चढ़ने और पृथ्वी की कक्षा से परे यात्रा करने से पहले चार तकनीकी परीक्षण पूरे करेंगे गगनयान के मानवरहित मिशन की सहायता से इसरो को हार्डवेयर तैयारी के बारे में अधिक जानकारी मिलेगी विभिन्न प्रकार के परीक्षणों में ड्रॉप टेस्ट, पर्यावरण नियंत्रण समर्थन प्रणाली परीक्षण, क्रू मॉड्यूल परीक्षण, सिमुलेशन परीक्षण आदि शामिल होंगे

सोमनाथ ने बहुत जरूरी जानकारी दी और यह भी बोला कि इसरो 2024 में NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह, NAVIK श्रृंखला, INSAT-3D, मंगलयान -2 (मार्स ऑर्बिटर मिशन -2), शुक्रयान -1 (ऑर्बिटर) आदि हैं

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