भारत ने जबरदस्त तरीके से कूटनीतिक जवाब से बना कनाडा के लिए सिरदर्द
Indians in Canada: कनाडा और हिंदुस्तान के बीच तनाव थमने का नाम नहीं ले रहा है। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद हिंदुस्तान ने जबरदस्त ढंग से कूटनीतिक उत्तर दिया है। इस बीच एक रिपोर्ट आई है, जो कनाडा के लिए सिरदर्द बन सकती है।
दरअसल कनाडा की इकोनॉमी में एक बड़ा सहयोग भारतीय स्टूडेंट्स और देसी मूल के लोगों का है। यह रिपोर्ट खालसा वॉक्स नाम की संस्था की है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कनाडा में हिंदुस्तानियों की जनसंख्या करीब 20 लाख है। वहां की इकोनॉमी में उनका सहयोग करीब 3 लाख करोड़ रुपये का है।
3.40 लाख पंजाबी विद्यार्थी कर रहे पढ़ाई
स्टूडेंट वीजा प्रोसेसिंग एजेंसियों की मानें तो इस समय 3 लाख 40 हजार पंजाबी स्टूडेंट्स कनाडा में पढ़ रहे हैं। ये लोग कनाडा में पढ़ाई के लिए हर वर्ष 68 हजार करोड़ रुपये तक खर्च कर रहे हैं। वर्ष 2022 में ‘रिफ्यूजी एंड सिटिजनशिप कनाडा’ (IRCC) ने 2 लाख 26 हजार 450 वीजा को स्वीकृति दी थी। मंजूर हुए इन वीजा में 1.36 लाख पंजाबी स्टूडेंट्स की थी।जब से जस्टिन ट्रूडो ने हिंदुस्तान के विरुद्ध बयान दिया है, तब से इन स्टूडेंट्स के पैरेंट्स परेशान हैं।
कनाडा जाने वालों की बढ़ी आबादी
साल 2008 में केवल 38 हजार पंजाबी स्टूडेंट्स की वीजा के लिए लागू करते थे। लेकिन बीते कुछ सालों में इसमें काफी उछाल आया है। पिछले ही वर्ष कनाडा जाने वाले भारतीय स्टूडेंट्स में से 60 प्रतिशत यानी 1.36 लाख पंजाब से ताल्लुक रखते थे।
यह जानकारी एसोसिएशन ऑफ कंसल्टेंट्स फॉर ओवरसीज स्टडीज के हवाले से सामने आई थी। सालाना इनमें से हर स्टूडेंट 10.47 फीस के तौर पर और गारंटी इन्वेस्टमेंट सर्टिफिकेट (जीआईसी) के लिए 6.28 लाख का फंड देता है।
भारत बंद कर देगा दरवाजे
कनाडा पर हिंदुस्तान का रिएक्शन सही भी है क्योंकि पहली बार किसी पश्चिमी राष्ट्र ने इस तरह के इल्जाम हिंदुस्तान पर लगाए हैं। कनाडा में जो विदेशी विद्यार्थी पढ़ रहे हैं, उनमें से 40 फीसदी हिंदुस्तान के हैं। सिखों की एक बड़ी जनसंख्या कनाडा में रहती है, जो वहां की कुल जनसंख्या का 2.1 प्रतिशत है। जबकि हिंदुओं की कुल जनसंख्या में 2.3 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जो सिखों से भी अधिक है।
अगर हिंदुस्तान का कनाडा से टकराव और बढ़ा तो हिंदुस्तान अपने नागरिकों को वापस आने को कह सकता है। इसके बाद कनाडा के रास्ते हमेशा स्टूडेंट्स के लिए बंद हो जाएंगे। इस वजह से स्टूडेंट्स बाकी राष्ट्रों में पढ़ाई के लिए जाएंगे। इस कदम से कनाडा को भारी आर्थिक हानि झेलना पड़ सकता है और इसके उत्तरदायी केवल कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो होंगे।