राष्ट्रीय

सरकार ने गेहूं की जमाखोरी रोकने और कीमतों पर नियंत्रण के लिए उठाये तत्काल कदम

रोटी खाना एक बुनियादी आवश्यकता है, लेकिन जब यह महंगी हो जाए तो चिंता का विषय बन जाता है गवर्नमेंट ने गेहूं की जमाखोरी रोकने और कीमतों पर नियंत्रण के लिए शुक्रवार को तुरन्त कदम उठाए हैं सरकार ने थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करण फर्मों के लिए गेहूं भंडारण मानदंड कड़े कर दिए हैं जानकारी के मुताबिक, खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने शुक्रवार को बोला कि व्यापारियों और थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं भंडारण की सीमा 2,000 टन से घटाकर 1,000 टन कर दी गई है

नई स्टॉक सीमा तुरन्त असर से लागू होगी

प्रत्येक खुदरा विक्रेता के लिए भंडारण सीमा 10 टन के बजाय पांच टन, बड़े थोक विक्रेता के प्रत्येक डिपो के लिए पांच टन और उनके सभी डिपो के लिए कुल 1,000 टन होगी गेहूं प्रसंस्करण कंपनी वित्तीय साल 2023-24 के शेष महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 70 फीसदी बनाए रख सकती है ऐसा गेहूं की कृत्रिम कमी को रोकने और जमाखोरी पर रोक लगाने के लिए किया गया है संशोधित स्टॉक सीमा तुरन्त असर से लागू होगी

व्यापारियों को 30 दिन का समय दिया गया

व्यापारियों को अपना स्टॉक संशोधित सीमा तक कम करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा गेहूं भंडारण करने वाली सभी फर्मों को गेहूं स्टॉक लिमिट पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराना होगा और हर शुक्रवार को अपने स्टॉक की जानकारी देनी होगी पोर्टल पर दर्ज़ या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करने वाली फर्म के खिलाफ जरूरी वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा VI और VII के अनुसार मुनासिब दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी खाद्य मंत्रालय ने 12 जून को अनाज व्यापारियों पर मार्च 2024 तक स्टॉक रखने की सीमा लगा दी थी

जिसके बाद 14 सितंबर को व्यापारियों और उनके सभी डिपो में थोक विक्रेताओं और बड़े खुदरा विक्रेताओं के लिए सीमा को और कम करके 2,000 टन कर दिया गया सरकार ने मई 2022 से ही गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है इसके साथ ही मुक्त बाजार बिक्री योजना के अनुसार कंज़्यूमरों को थोक गेहूं रियायती दरों पर बेचा जाता है

Related Articles

Back to top button