अफ्रीका से लाए गए चीतों की मौत पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिया जवाब, बोले…
सरकार ने शुक्रवार को कहा कि नामीबिया से लाये गये शौर्य चीते सहित चार चीतों की मृत्यु (Leopard Death) रक्त संक्रमण से होने वाली रोग सेप्टीसीमिया के कारण हुई। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शौर्य की मृत्यु मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 16 जनवरी को हुई। हिंदुस्तान में 2022 में अफ्रीका से चीते लाकर बसाये जाने के बाद से यह दसवें चीते की मृत्यु हुई है।
उन्होंने कहा कि नामीबिया से लायी गयी मादा चीता तिब्लिसी तथा दक्षिण अफ्रीका से लाये गये दो नर चीते।।तेजस एवं सूरज की मृत्यु सेप्टीसीमिया से पिछले वर्ष हुई थी। पर्यावरण मंत्रालय ने पिछले वर्ष परियोजना चीता के बारे में वार्षिक रिपोर्ट में बोला कि चीतों के पिछले हिस्से एवं गले में घाव होने और उसमें कीड़े लगने के कारण सेप्टीसीमिया की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यह साफ नहीं है कि शौर्य की मृत्यु भी इसी प्रकार हुई।
यादव ने उच्च सदन को कहा कि प्राणियों की उपलब्धता के आधार पर अगले पांच वर्ष में दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया या अन्य किसी अफ्रीकी राष्ट्र से 12-14 चीते लाये जाने की योजना है। उन्होंने बोला कि मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में चीतों को रखे जाने के लिए तैयारियां प्रारम्भ कर दी गयी हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाये 20 वयस्क चीतों में सात और 11 शावकों में से तीन की मृत्यु हो चुकी है। इन 11 शावकों में से सात का जन्म पिछले माह हुआ था।
अधिकारियों ने कहा कि हिंदुस्तान में चीतों की देखरेख करने के पहले साल में बड़ी चुनौतियों में से एक यह थी कि ऐसे कुछ प्राणियों में भारतीय ग्रीष्म एवं मानसून के मौसम में ‘विंटर कोट’ विकसित होते हैं। इसका कारण यह है कि अफ्रीका में जाड़े का मौसम जून से सितंबर तक होता है। ऑफिसरों ने कहा कि हिंदुस्तान में कुछ चीते अपने इस विंटर कोट के साथ भारी गर्मी एवं नमी के मौसम में अपनी त्वचा में खुजली और खिंचन महसूस करते हैं और वे अपने गले को वृक्ष के तने या जमीन पर रगड़ते हैं। ऐसे स्थानों पर कीड़े या उनके अंडों के कारण चीतों को बैक्टीरिया का संक्रमण या सेप्टीसीमिया हो जाता है।