आर्टिकल 370 खत्म होने पर जम्मू के डोगरा को सबसे ज्यादा नुकसान,ओवैसी ने उठाए सवाल…
Article 370: जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला आर्टिकल 370 अब इतिहास बन चुका है। राज्य से इसे हटाने के केंद्र के निर्णय को उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर विपक्षी दलों के नेताओं ने निराशा जताई है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी आर्टिकल 370 को समाप्त करने के निर्णय का समर्थन नहीं किया है। उन्होंने बोला कि आर्टिकल 370 के खारिज होने से सबसे अधिक हानि जम्मू के डोगरा और लद्दाख के बौद्ध समुदाय को होगा। इन समुदायों को जनसांख्यिकी बदलावों का सामना करना पड़ेगा।
ओवैसी ने उठाए सवाल
उन्होंने अनुच्छेद 370 को खारिज करने के केंद्र के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखे जाने के बाद ‘एक्स’ पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। ओवैसी ने कहा, ‘केंद्र के निर्णय से सबसे अधिक हानि जम्मू के डोगरा और लद्दाख के बौद्ध समुदायों को होगा, जिन्हें जनसांख्यिकी परिवर्तन का सामना करना पड़ेगा।’ उन्होंने प्रश्न किया कि राज्य का दर्जा बहाल करने पर कोई समय सीमा क्यों नहीं है?
चुनाव को लेकर केंद्र पर हमला
ओवैसी ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में दिल्ली (केंद्र) के शासन के पांच वर्ष हो गए हैं। विधानसभा चुनाव राज्य में यथाशीघ्र होना चाहिए। 2024 के विधानसभा चुनाव के साथ।’ उन्होंने बोला कि इसमें कोई शक नहीं है कि राज्य हिंदुस्तान का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन ऐसा होने का यह मतलब नहीं है कि इसका केंद्र के साथ कोई विशेष कानूनी संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इस कानूनी संबंध को कश्मीर के संविधान सभा को भंग कर स्थायी बनाया गया था।’ ओवैसी ने इल्जाम लगाया कि अनुच्छेद 370 को खारिज करने संबंधी केंद्र के निर्णय को वैधता मिल जाने के बाद, केंद्र गवर्नमेंट को चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद या मुंबई को केंद्र शासित क्षेत्र बनाने से कुछ भी नहीं रोक पाएगा।
संसद, विधानसभा की स्थान कैसे ले सकती है?
ओवैसी ने लद्दाख के उदाहरण का जिक्र करते हुए बोला कि इसे उप गवर्नर द्वारा शासित किया जा रहा है और कोई लोकतांत्रिक अगुवाई नहीं है। उन्होंने 2019 की एक संगोष्ठी में प्रधान न्यायाधीश द्वारा की गई एक टिप्पणी को उद्धृत करते हुए कहा, ‘सार्वजनिक चर्चा हमेशा ही उन लोगों के लिए एक खतरा है जो इसकी अनुपस्थिति में सत्ता हासिल करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘संघवाद का यह मतलब है कि प्रांत की अपनी आवाज है और अपनी क्षमता के तहत, इसे संचालित होने की पूरी स्वतंत्रता है। संसद, विधानसभा की स्थान कैसे ले सकती है?’ ओवैसी ने बोला कि जिस तरह से अनुच्छेद 370 को खारिज किया गया, उनके लिए वह कानूनी नैतिकता का उल्लंघन है।
क्या है डोगरा का इतिहास
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कश्मीरी डोगरा राजपूत और कुछ अन्य हिंदू जातियों के मिले-जुले समुदाय को बोला जाता है। डोगरा समुदाय की स्थापना राजा गुलाब सिंह ने की थी। क्षेत्रीय लोगों का दावा है कि जब गुलाब सिंह के वंशज और जम्मू और कश्मीर के आखिरी राजा महाराजा हरि सिंह, विभाजन के बाद अपनी रियासत को भारतीय संघ में शामिल करने के लिए सहमत हुए, तो डोगरा परिवारों की संख्या लगभग 10,000 थी।