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DNA: प्राइवेट कंपनी को किसने दिया लगान वसूली का लाइसेंस, पढ़ें पूरी खबर

आपने लगान फिल्म तो देखी होगी जो ब्रिटिश काल में अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों से वसूले जाने वाले मनचाहे लगान की सच्चाई पर आधारित थी आपने ईस्ट इण्डिया कंपनी के बारे में भी सुना ही होगा जो हिंदुस्तानियों को लूटने-खसोटने और उनका उत्पीड़न करने के लिए कुख्यात थी आप सोच रहे होंगे कि हम ये सब बातें क्यों कर रहे हैं तो अब हम DNA में जो खुलासा करने वाले हैं उसे जानने के बाद आपके पैरों तले की जमीन खिसक जाएगी

मीरा-भयंदर की भूमाफिया कंपनी

आज हम आजाद हिंदुस्तान की ईस्ट इण्डिया कंपनी का भंडाफोड़ करने वाले हैं | जिसने मुंबई से सटे ठाणे जिले में मीरा-भयंदर की भूमाफिया कंपनी बनकरवहां की जमीन पर ना केवल गैरकानूनी कब्जा किया हुआ है बल्कि मीरा-भयंदर के पूरे क्षेत्र में खरीदी-बेची जाने वाली जमीन पर लगान वसूली का सिस्टम बनाया हुआ है इतना ही नहींमीरा-भयंदर के पूरे क्षेत्र में जब भी कोई इमारत बनती हैतो उससे पहले इस प्राइवेट कंपनी से NoC यानी No Objection Certificate लेना पड़ता है NoC के बदले ये प्राइवेट कंपनी…लाखों रूपये वसूलती है आपको जानकर आश्चर्य होगी कि मीरा-भयंदर क्षेत्र में जितनी भी जमीन है उस पर इसी प्राइवेट कंपनी का मालिकाना अधिकार है ये अधिकार उसे गवर्नमेंट ने दिया हुआ है ये आजाद हिंदुस्तान का सबसे बड़ा Land Fraud है

मुंबई की ईस्ट इण्डिया कंपनी 

भारत अपनी आजादी के अमृतकाल में है हमें अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए 75 साल से अधिक हो चुके हैं लेकिन यदि हम आपसे कहें कि आज भी हमारे राष्ट्र में ऐसी स्थान है जहां अंग्रेजों वाला कानून चल रहा है आजादी के 75 साल बाद भी लोगों को अपनी जमीन पर लगान देना पड़ रहा है आज भी राष्ट्र में ईस्ट इण्डिया कंपनी उपस्थित है तो आप कहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है? लेकिन ऐसा हो रहा है किसी दूर-दराज के गांव-देहात में नहीं, बल्कि राष्ट्र की आर्थिक राजधानी मुंबई से सटे ठाणे जिले में हो रहा है जहां एक प्राइवेट कंपनीलोगों से अपनी ही जमीन पर घर बनाने के लिए लगान वसूल करती है स्वयं महाराष्ट्र गवर्नमेंट उस प्राइवेट कंपनी को लगान वसूलने का लाइसेंस देती है

लगान कैसे वसूला जा रहा?

जब ज़ी न्यूज़ को इस समाचार का पता चला तो हमें भी विश्वास नहीं हुआ कि आजादी के 75 सालों बाद भी लोगों से लगान कैसे वसूला जा सकता है इसलिए ज़ी न्यूज़ ने इस समाचार की जांच-पड़ताल शुरु की मुंबई शहर के पास ही बसा हुआ है मीरा रोड और भयंदर का इलाका ये क्षेत्र ठाणे जिले में आता है इस क्षेत्र का अपना पुलिस कमिश्नरेट है इस क्षेत्र का अपना अलग नगर निगम भी है

अंग्रेजों का बनाया कानून चलता है

लेकिन इस पूरे क्षेत्र में आज भी अंग्रेजों का बनाया एक कानून चलता है आज भी इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को यदि कोई जमीन खरीदनी होती है, किसी प्लॉट पर घर बनाना होता है, या किसी पुरानी इमारत की स्थान Reconstruction करवाना होता है तो उन्हें इसके लिए The एस्टेट Investment Company नाम की कंपनी को लगान चुकाना होता है | और लगान भी कोई छोटा मोटा नहींडेढ़ सौ रुपये Square Feet से लेकर पांच सौ रुपये Square Feet के हिसाब से ये जबरन वसूली की जाती है

सच जानकर चौंक जाएंगे

आप कहेंगे कि ये क्या बकवास है ऐसा कैसे हो सकता है हमें भी आरंभ में ऐसा ही लगा था लेकिन फिर Zee News की टीममीरा रोड की एक सोसाइटी में पहुंची ये बिल्डिंग करीब 68 वर्ष पुरानी है इस सोसाइटी को साल 1956 में रावल बिल्डर ने डेवलप किया था और लोगों को फ्लैट बेचे थे अब इस पुरानी हो चुकी बिल्डिंग को तोड़कर दोबारा बनाया जाना है

NoC के लिए करोड़ों रुपये

इसके लिए आमतौर पर सरकारी विभागों से No Objection Certificate यानी NOC लेने की आवश्यकता पड़ती है लेकिन मीरा रोड क्षेत्र में इसके लिए सोसाइटी को Estate Investment Company से NoC लेना होगा जो कि एक प्राइवेट कंपनी है और ये कंपनी NoC देने के लिए करोड़ों रुपये वसूल करेगी

On The Spot DNA टेस्ट

इतना ही नहीं, इस मीरा रोड-भयंदर के क्षेत्र में यदि कहीं भी कोई जमीन बेची जाती है या किसी जमीन पर कोई नयी इमारत बनानी होती है तो सबसे पहले Estate Investment Company से NoC लेने के लिए लगान देना पड़ता है इसके बाद गवर्नमेंट को रेवेन्यू फीस और रजिस्ट्री फीस भी देनी पड़ती है ज़ी न्यूज़ संवाददाता अंकुर त्यागी ने आजाद हिंदुस्तान में चल रही ईस्ट इण्डिया कंपनी के इस लगान सिस्टम की जमीनी हकीकत का On The Spot DNA टेस्ट किया है

सालों से चल रहा है खेल

अब आपको The Estate Investment Company की तरफ से लगान वसूलकर दी जाने वाली वो NoC के बारे में बताते हैं जिसके बिना मीरा-भयंदर में रहने वाला कोई भी आदमी जमीन से संबंधित कोई काम नहीं कर सकता  NoC पर सबसे ऊपर कंपनी का नाम लिखा है ये कंपनी मुंबई में नागिनदास मास्टर रोड के एड्रेस पर रजिस्टर्ड है The Estate Investment Company ने ये NoC 25 जुलाई 2022 को जारी की थी

कानूनी लड़ाई भी जारी

इस कंपनी की noC है के बिनामीरा-भयंदर क्षेत्र में कई किलोमीटर के दायरे के अंदर कोई भी शख्स ना तो जमीन खरीद सकता हैना जमीन पर कोई इमारत बना सकता है क्योंकि इस NoC के बिना महाराष्ट्र गवर्नमेंट का रेवेन्यू विभाग किसी जमीनी सौदे को स्वीकार ही नहीं करता आखिर एक प्राइवेट कंपनी को मीरा-भयंदर में जमीन पर लगान वसूलने का लाइसेंस मिला कैसे? और आखिर ये लगान वसूला किस आधार पर जा रहा है? आखिर ये The Estate Investment Company मीरा-भयंदर के इतने बड़े क्षेत्र में आजादी के इतने सालों बाद भी जमीनों पर लगान कैसे वसूल कर रही है? इसका पता लगाने के लिए हमने मीरा-भयंदर क्षेत्र में काम करने वाले क्षेत्रीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और क्षेत्रीय नेताओँ से संपर्क किया जो The Estate Investment Company की लगान वसूली के विरुद्ध कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं

अवैध लगान वसूली का ये धंधा शुरु कब और कैसे हुआ?

अब आपको बताते हैं कि गैरकानूनी लगान वसूली का ये धंधा शुरु कब और कैसे हुआ? इसे समझने के लिए आपको आज से करीब डेढ़ सौ साल पीछे जाना पड़ेगाजब मीरा रोड और भयंदर के आसपास समंदर हुआ करता था, जिसका खारा पानी इन इलाकों में घुस आया करता था और फसलें खराब हो जाती थीं इस परेशानी को दूर करने के लिए साल 1870 में अंग्रेजों ने रामचंद्र लक्ष्मणजी नाम के जमींदार से एक सौदा किया इस Agreement में तय हुआ था कि इस क्षेत्र के आसपास एक एक बांध जैसा Structure बनाया जाएगा जो भयंदर से होते हुए मीरा रोड और फिर घोडबंदर रोड तक जाएगाजिससे इन इलाकों में समुद्र का खारा पानी नहीं घुस सके इसके बदले में रामचंद्र लक्ष्मण जी इस क्षेत्र के किसानों से अगले नौ सौ निन्यान्वे (999) वर्ष तक यहां उगने वाली फसल का एक तिहाई हिस्सालगान के तौर पर वसूलेंगे

लगान वसूला जा रहा है

यानी तब से हिंदुस्तान को आजाद होने तक और फिर आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद अबतक मीरा-भयंदर के लोगों से ये लगान वसूला जा रहा है ये अपने आप में बहुत आश्चर्य की बात है कि अंग्रेजों के जमाने का लगान…लोगों को आजतक भरना पड़ रहा है | और ऐसा भी नहीं है कि इसके विरुद्ध कोई आवाज नहीं उठाता लेकिन हर आवाज को दबा दिया जाता है…

लाइसेंस कब और कैसे मिला?

अब प्रश्न ये है कि The Estate Investment Company को ये लगान वसूलने का लाइसेंस कब और कैसे मिला? इसके भी सरकारी डॉक्यूमेंट्स हमारे पास उपस्थित हैं दरअसल अंग्रेजों ने जिस जमींदार रामचंद्र लक्ष्मणजी को लगान वसूलने का अधिकार दिया था, उन्होंने बाद में लगान वसूलने का काम जयाबेन भद्रसेन नाम की स्त्री को दे दिया

गोविंदराम ब्रदर्स

इसके बाद जयाबेन भद्रसेन ने साल 1943 में लगान वसूलने का काम तीन लोगों को सौंप दिया | इन तीन लोगों के नाम थे – गोविंदराम… रामनारायण श्रीलाल और चिंरंजीलाल श्रीलाल इन तीनों की कंपनी का नाम था – गोविंदराम ब्रदर्स साल 1945 में गोविंदराम ब्रदर्स ने लगान वसूलने का काम एक कंपनी को दिया जिसका नाम है – The Estate Investment Company.

ज़ी न्यूज़ के पास 1945 के अग्रीमेंट की भी कॉपी है जिसमें गोविंदराम ब्रदर्स ने The Estate Investment Company को मीरा-भयंदर के क्षेत्र में लोगों से लगान वसूलने का ठेका देने का सौदा किया तब से लेकर अबतक यही प्राइवेट कंपनीमीरा-भयंदर के लोगों से इस लगान की वसूली कर रही है

Zee News का महाराष्ट्र गवर्नमेंट से सवाल

तो अब Zee News महाराष्ट्र गवर्नमेंट से कुछ प्रश्न पूछना चाहता है जो इस समाचार को जानने के बाद आपके मन में भी जरूर उठ रहे होंगे सबसे पहला प्रश्न है कि अंग्रेजों के जमाने में एक तिहाई फसल पर लगने वाला लगान आजादी के बाद जमीन की खरीद-फरोख्त पर टैक्स में कैसे बदल गया? दूसरा प्रश्न ये है कि The Estate Investment Company को केवल लगान वसूलने का ठेका मिला था, उसे मीरा-भयंदर की पूरी जमीन पर मालिकाना अधिकार कैसे मिल गया? तीसरा प्रश्न ये है कि यदि एक मिट्टी के बांध बनाने की एवज में अंग्रेजों ने ये लगान प्रारम्भ भी किया था तो आजादी के बाद भी इसे जारी कैसे और क्यों रखा गया?

अवैध ढंग से वसूला जा रहा पैसा आखिर जा कहां रहा है?

आजादी के बाद राष्ट्र में Maharashtra Agriculture Ceiling act आया वर्ष 1976 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी Urban Ceiling act लेकर आई जिसमें अनेक राजा महाराजाओं को अपनी संपत्ति घोषित करके गवर्नमेंट को सुपुर्द करनी थी जिससे बड़ी बड़ी रियासतों के राजा महाराजाओं की संपत्ति उनके हाथ से चली गई इसके बावजूद The Estate Investment Company के पास इतनी बड़ी Land Holding कैसे छोड़ दी गई? प्रश्न तो ये भी है कि The Estate Investment Company के द्वारा गैरकानूनी ढंग से वसूला जा रहा पैसा आखिर जा कहां रहा है? क्या गवर्नमेंट के पास इसका कोई हिसाब है ? इस कंपनी में Direct और Indirect ढंग से कौन कौन जुड़ा है, क्या इसका कोई हिसाब है

ना जाने कितनी सरकारें आईं और गईं

मीरा-भयंदर में एक प्राइवेट कंपनी… ईस्ट इण्डिया कंपनी की तरह… आजादी के 75 सालों बाद भी लोगों से लगान वसूल कर रही है ऐसा तो माना ही नहीं जा सकता कि गवर्नमेंट को इसकी समाचार ना हो… और ऐसा है भी नहीं इसके बावजूद आजादी के बाद से अबतक महाराष्ट्र में ना जाने कितनी सरकारें आईं और गईं लेकिन मीरा-भयंदर में the Estate Investment Company.. ईस्ट इण्डिया कंपनी की तरह लोगों से लगान वसूलती चली आ रही है

कांग्रेस का आरोप…

दिसंबर 2023 में महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष नाना पटोले ने इस मामले को विधानसभा में उठाया था महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी ने दावा किया था कि ठाणे जिले में मीरा-भयंदर के जिस क्षेत्र पर एक प्राइवेट कंपनीलोगों से टैक्स वसूल कर रही है, वो क्षेत्र 36 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है लेकिन इसके बावजूद मीरा-भयंदर के लोगों से लगान वसूलने वाली the Estate Investment Company के विरुद्ध कोई एक्शन तक नहीं लिया गया क्योंकि महाराष्ट्र के सरकारी विभाग स्वयं the Estate Investment Company को लगान वसूलने का लाइसेंस देकर बैठे हैं

कंपनी का गैरकानूनी कब्जा

दरअसल साल 2008 में the Estate Investment Company ने मीरा-भयंदर में 2905 एकड़ जमीन पर दावा किया था लेकिन साल 2015 में ठाणे कलेक्टर ने मीरा-भयंदर में लगभग 8995 एकड़ जमीन, the Estate Investment Company को गैरकानूनी ढंग से Transfer कर दी यानी आज के समय में मीरा-भयंदर के लगभग पूरे क्षेत्र पर the Estate Investment Company का गैरकानूनी कब्जा है

महाराष्ट्र के रेवेन्यू डिपार्टमेंट में प्रॉपर्टी के रिकॉर्ड को 7/12 (सात बारह उतारा) बोला जाता है इसमें प्रॉपर्टी के सामने मालिक का नाम और बाकी की अनेक जानकारियां लिखी जाती है जैसे इस प्रॉपर्टी का पहला मालिक कौन था, बाद में कौन कौन कब कब इसके मालिक बने | महाराष्ट्र के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के 7/12 (सात बारह) में भी मीरा-भयंदर की 8995 एकड़ जमीन का मालिक the Estate Investment Company को कहा गया है

NoC नहीं होती तो जमीन की रजिस्ट्री नहीं

इसी वजह से मीरा-भयंदर क्षेत्र में जब भी कोई शख्स किसी भी जमीन सौदे की रजिस्ट्री करवाता है तो सबसे महाराष्ट्र का रेवेन्यू डिपार्टमेंट ये देखता है कि क्या उस जमीन के सौदे से पहले क्या जमीन के मालिक ने the Estate Investment Company से NoC ली है? और यदि NoC नहीं होती तो उस जमीन की रजिस्ट्री ही नहीं होती

किस बात का मालिकाना हक

इसलिए लोगों को पहले the Estate Investment Company को लगान के तौर पर लाखों रुपये देने पड़ते हैं और उसके बाद गवर्नमेंट को जमीन सौदे पर स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ती है ये बात तो बिलकुल तय है कि आरंभ में इतनी बड़ी जमीन… The Estate Investment Company..के पास नहीं थी, क्योंकि कंपनी स्वयं इस कॉन्ट्रैक्ट के साल यानी 1945 में अस्तित्व में आई थी और मालिकाना अधिकार तो कंपनी के पास कभी था ही नहींसिर्फ लगान वसूलने का ठेका उसे मिला हुआ था तो आखिर The Estate Investment Company किस बात का मालिकाना हक़ जता कर लोगों से पैसा वसूल रही है ?

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