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DNA: कैंसर की तरह फैल रहा नकली दवाओं का कारोबार

Fake Medicines: इस धरती पर सबसे खूबसूरत चीज है जीवन और जीवन में महत्वपूर्ण होती है, आशा और भरोसा. यदि आशा और भरोसा टूटता है तो हमारी जीवन में निराशा आ जाती है. इसलिए आज DNA में हम एक ऐसी समाचार का विश्लेषण लेकर आए हैं जिसके बारे में हम आपको जितना बताएंगे..उतना ही आपको गुस्सा भी आएगा और दुख भी होगा.

Cancer ऐसी रोग है जिसका नाम सुनकर ही रोगी और उनका परिवार घबरा जाता है. रोगी का तो आत्मशक्ति ही टूटने लगता है. हमारे राष्ट्र में करीब पंद्रह लाख Cancer Patients हैं, जिनके लिए दवा और चिकित्सक ठीक होने का भरोसा हैं और दुआ, स्वस्थ होने की उम्मीद. अब आप सोचिये कि दुआ सच्ची है, चिकित्सक का भरोसा अटूट है लेकिन दवा नकली है तो क्या होगा? ना तो दुआ काम आएगी, ना ही चिकित्सक की मेहनत रंग लाएगी.

कैंसर के रोगियों के साथ हो रहा खिलवाड़

इसलिए आज DNA में Cancer Patients की जीवन से खिलवाड़ कर रहे नकली कैंसर दवाओं के Wholesale Business का विश्लेषण करेंगे. हमारा ये विश्लेषण हर Cancer Patient और उनके परिवार को जरूर पढ़ना चाहिए.

देश में Electronics की सबसे बड़ी Wholesale Markets में से एक दिल्ली का भागीरथ पैलेस. जहां से कैंसर और डायबिटीज जैसी रोंगों की नकली दवाइयों की सप्लाई की जा रही थी. जहां छापेमारी करके दिल्ली पुलिस की अपराध ब्रांच ने नकली दवाइयों का व्यापार करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने रैकेट के दो सदस्यों को अरैस्ट किया है.

भागीरथ पैलेस में नकली दवाओं का खेल

छापेमारी में कई नामी और देसी-विदेशी दवा कंपनियों की नकली दवाइयों को बरामद किया है. इनमें Anti Cancer और Life Style Drugs भी शामिल हैं | पुलिस ने दरियागंज में इसी रैकेट के गोदाम में भी छापेमारी की है. Zee News संवाददाता राजू राज ने भागीरथ पैलेस में चल रही नकली दवाओं की Wholesale बाजार की On The Spot रिपोर्टिंग की.

दवा, जो बीमार आदमी के लिए किसी संजीवनी बूटी की तरह होती है, वो दवा यदि नकली हो तो रोगी के लिए एक जहर की तरह है. कैंसर के उपचार में 1-1 कैप्सूल बहुत जरुरी होता है. ऐसे में यदि बाजार में कैंसर जैसी रोग की दवा भी नकली मिल रही हो तो सोचिए कैंसर रोगियों के साथ क्या होगा.

नकली दवाएं बेचकर फायदा कमा रहे माफिया

कैंसर का उपचार जितना कठिन है, उतना ही कठिन कैंसर के ईलाज और दवाइयों का खर्च उठाना होता है क्योंकि कैंसर में Chemotherapy के लिए दिये जाने वाले Injection और दवाइयों की मूल्य हजारों से लेकर लाखों रुपये तक होती हैं. इसी वजह से नकली दवाइयों के सौदागरों के लिए कैंसर की नकली दवाइयों का व्यापार लाभ का सौदा बन जाता है. कैंसर की महंगी दवाओं को Discount पर देने का झांसा दिया जाता है और रोगियों की जीवन से खेला जाता है.

Zee News नकली दवाओं के काले कारोबार के विरुद्ध हमेशा आवाज उठाता रहा है और नकली दवाओं के विरुद्ध आपको सतर्क करने की मुहिम चलाता रहा है. कुछ दिन पहले हमने आपको DNA में ही कहा था कि कैसे दिल्ली के करीब गाजियाबाद में BP और शुगर की नकली दवाएं बनाई जा रही हैं और इन नकली दवाओं को बाजार में बेचा जा रहा है. नकली दवा माफिया अपने मुनाफे के लिए अब कैंसर रोगियों को भी अपना शिकार बना रहे हैं.

कैंसर हॉस्पिटल में काम करने वाले भी शामिल

पिछले महीने 13 मार्च को भी DNA में हमने कैंसर की नकली दवाओं से आपको सावधान करने वाला विश्लेषण दिखाया था. जब दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया था कि दिल्ली में Chemotherapy में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की शीशी में नकली दवा भरकर Discount में बेचा जा रहा था. तब भी अपराध ब्रांच ने ब्रांडेड कंपनियों की नकली कैंसर दवाएं बरामद की थीं और नकली दवाओं के इस कारोबार में Pharmacist से लेकर कैंसर हॉस्पिटल में काम करने वाले लोग भी शामिल थे.तब दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कैंसर की नकली दवाओं के काले कारोबार की पूरी Modus Operandi बताई थी. जिसे आपको जरूर समझना चाहिए.

हर 4 में से 1 दवा है नकली!

पैसों के लिए किसी रोगी की जीवन को खतरे में डालना, मर्डर से कम क्राइम नहीं है. लेकिन नकली दवा माफियाओं के लिए ये नोट छापने का मौका होता है. उन्हें रोगी की जीवन से कोई मतलब नहीं रहता. और डरने की बात तो ये है कि नकली दवा माफिया का नेटवर्क..पूरे राष्ट्र में कैंसर की तरह फैला हुआ है.

Assocham का दावा है कि भारतीय बाजार में बिकने वाली हर 4 में से 1 दवा नकली है. साल 2014 में हिंदुस्तान में नकली दवाओं का कारोबार सवा चार बिलियन $ का था | जो साल 2022 में बढ़कर 17 मिलियन $ हो चुका है.

वर्ष 2019 में United States Trade Representative यानी USTR ने अपनी रिपोर्ट में कहा था की दुनिया में सबसे अधिक नकली दवाइयां हिंदुस्तान में बनती और बिकती हैं. हिंदुस्तान में निकलने वाली कुल दवाओं में 20 फीसदी दवाएं नकली होती हैं.

आखिर कौन है नकली दवाओं का जिम्मेदार?

तो अब प्रश्न ये है कि हिंदुस्तान में नकली दवाओं के कारोबार का उत्तरदायी कौन हैं और इसे रोकने की जिम्मेदारी किसकी है.
देश में नकली दवा के कारोबार को रोकने की जिम्मेदारी Central Drugs Standard Control Organisation की है. ये संगठन राष्ट्र में सभी दवाओं को स्वीकृति देता, उसके ट्रॉयल को देखता है और नकली दवाओं की जांच करता है. लेकिन राष्ट्र में टेस्टिंग लैब और ड्रग इंस्पेक्टर की कमी की वजह से नकली दवा मार्किट में उतारने वाले आरोपी बच जाते हैं.

Drugs and Cosmetics (Amendment) ACT के अनुसार नकली दवा बेचने वाले दोषियों को 1 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है. नकली दवा खाने की वजह से किसी आदमी की मृत्यु हो जाती है या उसकी जान को खतरा होता है तो कम से कम 10 वर्ष की सजा होगी साथ ही 10 लाख का जुर्माना भी लगेगा.

इसके बावजूद राष्ट्र में नकली दवा का कारोबार धड़ल्ले से जारी है. लेकिन DNA में हम हमेशा देशहित को सर्वोपरि रखते हैं और इसलिए DNA में हम नकली दवाओं के विरुद्ध मुहिम चलाते आए हैं .

छोटे से कमरों में बन रही नकली दवाइयां

आजतक किसी भी News Channel ने अपने कैमरे पर नकली दवा बनती नहीं दिखाई है | लेकिन Zee News पहला News Channel है जिसने नकली दवाओँ की फैक्ट्री का Sting Operation किया. Zee News ने ही आपको नकली दवाओं के सौदागर की जुबानी..नकली दवाओं की Manufacturing से लेकर Supply तक…पूरी Modus Operandi सुनाई थी.

DNA में ही हमने आपको दिखाया था कि हिमाचल प्रदेश में कैसे एक छोटे से कमरे में नकली दवाइयां बनाईं जा रही थीं और फिर Branded Companies की Packing में बेची जा रहीं थीं. हमने आपको नकली दवाओँ के अड्डों पर पड़े छापों की समाचार दिखाई और नकली दवाओँ के वास्तविक कारोबार की पूरी Modus Operandi भी समझाई.

ऐसे जांच सकते हैं असली-नकली का खेल

जिस तरह नकली दवाओं के सौदागर Active हैं, उसे देखते हुए आम लोगों को नकली दवाओं के सेवन से बचना होगा.
लेकिन बड़ा प्रश्न ये कि कैंसर की दवा वास्तविक है या फिर नकली इसकी पहचान कैसे होगी. इसे लेकर दवा के जानकारों ने कुछ सुझाव दिये हैं. जिनके अनुसार दवाएं हमेशा अधिकृत दवा विक्रेता से लें. दवा विक्रेता से दवाओं का बिल जरूर लें. सीधे किसी आदमी विशेष से दवा ना लें. डिस्काउंट पर मिलने वाली दवाओं से बचें

जब आप दवा खरीदने जायें, तो ध्यान दें कि दवा के रैपर पर एक QR Code प्रिंट होता है. नियम के अनुसार 100 रुपये से अधिक मूल्य वाली सभी दवाओं पर QR Code प्रिंट करना जरूरी है, ऐसे में दवा खरीदने के बाद आप QR Code स्कैन करें. इससे आपको दवा का ठीक नाम, ब्रांड का नाम, मैन्युफैक्चरर की जानकारी, मैन्युफैक्चरिंग की तारीख, एक्सपायरी डिटेल और लाइसेंस नंबर जैसी अनेक जानकारियां मिल जाएंगी और आप सरलता से पता लगा सकेंगे कि दवा वास्तविक है या नकली.

जानकारी ही है असल बचाव

तो कुल मिलाकर नकली दवाओं के मुद्दे में जानकारी ही बचाव है. यदि आपको वास्तविक दवा और नकली दवा का फर्क पता होगा, तभी आप बच पाएंगे. अन्यथा तो नकली दवा माफिया आपको नकली दवा बेचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे  तैयार करके बैठे ही हैं.

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