उम्रकैद की सजा काट रहे चार दोषियों को दिल्ली हाई कोर्ट ने दी जमानत
नई दिल्ली: टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की मर्डर मुद्दे में उम्रकैद की सजा काट रहे चार दोषियों को दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार की सजा को उनकी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपीलों का रिज़ल्ट आने तक निलंबित कर दिया.
पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि गुनेहगार पहले ही 14 वर्ष हिरासत में बिता चुके हैं. इससे पहले, 23 जनवरी को हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को चारों दोषियों द्वारा दाखिल अपील पर उत्तर देने का निर्देश दिया था. एक प्रमुख अंग्रेजी समाचार चैनल की कर्मचारी सौम्या विश्वनाथन की 30 सितंबर, 2008 को सुबह काम से घर जाते समय दक्षिणी दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर गोली मारकर मर्डर कर दी गई थी. 26 नवंबर, 2023 को एक विशेष न्यायालय के निर्णय में, रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और धारा 3(1)(i) के अनुसार दो जीवन भर जेल की सजा सुनाई गई. ) (संगठित क्राइम करना जिसके परिणामस्वरूप मौत हो) महाराष्ट्र संगठित क्राइम नियंत्रण अधिनियम (मकोका).
अदालत ने निर्दिष्ट किया कि सज़ाएं “लगातार” दी जाएंगी. पांचवें दोषी, अजय सेठी को आईपीसी की धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) के अनुसार तीन वर्ष की साधारण कैद मिली. हालाँकि, तीन वर्ष की सज़ा उस समय की तुलना में कम कर दी गई थी जब सेठी ने पहले ही सजा काट ली थी, यह देखते हुए कि वह 14 वर्ष से अधिक समय तक हिरासत में था और आईपीसी और मकोका के अनुसार अपराधों के मुकदमे के दौरान उकसाने, सहायता करने या षड्यंत्र रचने से संबंधित मुकदमे के दौरान कैद में रहा था.
मुकदमे के दौरान, कपूर के वकील ने तर्क दिया कि वह पिछले 14 वर्ष और नौ महीने से हिरासत में थे, उन्होंने न्यायालय से निवेदन किया कि अपील लंबित रहने तक उनकी सजा को निलंबित कर दिया जाए. सजा के निलंबन के लिए इसी तरह की याचिका शुक्ला, मलिक और अजय कुमार का अगुवाई कर रहे वकील अमित कुमार ने भी की थी. दोहरे जीवन भर जेल के अलावा, कपूर, शुक्ला, मलिक और कुमार पर ₹1.25 लाख का जुर्माना लगाया गया, जबकि सेठी पर ₹7.25 लाख का जुर्माना लगाया गया. हाल ही में, हाई कोर्ट ने कपूर द्वारा किए गए अपराधों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए उन्हें पैरोल देने से इनकार कर दिया.
कपूर, शुक्ला और मलिक को आईटी पेशेवर जिगिशा घोष की मर्डर का भी गुनेहगार ठहराया गया था, कपूर और शुक्ला को प्रारम्भ में मृत्यु की सजा मिली थी, बाद में हाई कोर्ट ने इसे जीवन भर जेल में बदल दिया था. हाई न्यायालय ने मलिक की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी. अभियोजन पक्ष के अनुसार, कपूर ने विश्वनाथन को लूटने के लिए उसकी कार का पीछा करते समय देशी पिस्तौल से गोली मार दी. घटना के दौरान कपूर के साथ शुक्ला, कुमार और मलिक भी उपस्थित थे. पुलिस ने सेठी उर्फ चाचा से मर्डर में प्रयुक्त कार बरामद कर ली.