दिल्ली के मॉडर्न स्कूल में EWS कैटेगिरी के बच्चों को थमाया ये नोटिस

दिल्ली के मॉडर्न विद्यालय में एक दंग कर देने वाला मामला सामने आया है। दरअसल दिल्ली के सभी प्राइवेट विद्यालयों में ईडब्ल्यूएस और डिसएडवांटेज ग्रुप के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। जहां उनके के लिए निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान है। मगर बीते 15 जून को दिल्ली के बारखंभा स्थित मॉर्डन विद्यालय (Modern School) ने अपने यहां ईडब्ल्यूएस/डीए (EWS/DA) नियमों के अनुसार पढ़ रहे 14 विद्यार्थियों को बकाया फीस के भुगतान का नोटिस देते हुए ऐसा न करने पर टीसी काटकर घर भेजने की धमकी दी गई थी।
फीस का नोटिस देख उड़े होश
आपको बता दें कि फीस बकाया होने का अमाउंट कोई छोटा मोटा नहीं बल्कि क्वाटर्ली करीबन 68000 रुपये था। ये नोटिस देखते ही पेरेंट्स के होश उड़ गए। आपको बता दें नोटिस में फीस भुगतान ना करने की स्थिति में बच्चे का ट्रांसफर सार्टिफिकेट ले जाने की बात कही गई थी। विद्यालय के अनुसार पढ़ाई को आगे जारी रखने के लिए फीस का भुगतान करना ही पड़ेगा। आपको बता दें कि जिन बच्चों को ये नोटिस भेजा गया था वो बच्चे नर्सरी से ही इस विद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे। और इस वर्ष दसवीं की परीक्षा दे परिणाम का इन्तजार कर रहे हैं। वही इस मुद्दे में 20 जुलाई को इन सभी पेरेंट्स की तरफ से विद्यालय को लीगल नोटिस भेज दिया गया है। हालांकि विद्यालय की तरफ से अब तक इसका कोई उत्तर नही आया है।
ईडब्ल्यूएस/डीए ग्रुप के बच्चों के लिए नियम
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत, दिल्ली के सभी प्राइवेट स्कूलों 25 प्रतिशत सीटों पर नर्सरी, केजी, एलकेजी या कक्षा पहली में कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवार के बच्चों का दाखिला किया जाता है। इस तरह आठवीं क्लास तक निःशुल्क पढ़ाई कराई जाती है। इसी एक्ट में सरकारी जमीन पर बने विद्यालयों को लेकर एक प्रावधान ये भी है कि जो प्राइवेट विद्यालय सरकारी जमीनों पर खड़े किए गए हैं उन्हें ईडब्ल्यूएस/डीए कैटेगरी के अनुसार दाखिल बच्चों को 12वीं तक की निःशुल्क शिक्षा देनी होगी। लेकिन दिल्ली के मॉर्डन विद्यालय ने इसी नियम को धता बताते हुए न केवल गरीब परिवारों का मजाक बनाया बल्कि कमजोर आय वर्ग के बच्चों को फीस भरने का नोटिस थमा दिया।
क्या कह रहे पेरेंट्स?
बकाया फीस भुगतान का मैसेज मिलते पेरेंट्स के पैरों तले जमीन खिसक गई। पेरेंट्स के अनुसार इतनी बड़ी मूल्य चुका पान उनके लिए सपने जैसा है। दरअसल इन बच्चों के पेरेंट्स में कोई सप्लाई का काम करता है तो कोई सिंगल पैरेंट सिलाई का काम करते हैं। ऐसे मां-बाप बड़ी मुश्किलों से अधिक से अधिक 10000 रुपए कमा पाते हैं। अब इन पैरेंट्स का बोलना है कि या तो हम बच्चों को खिला लें या फिर पढ़ा लें। ऐसे में पैरेंट्स विद्यालय से अपना ये निर्णय वापस लेने की अपील कर रहे हैं।
दिल्ली गवर्नमेंट का पक्ष
इस मुद्दे को लेकर जब आप सांसद संजय सिंह से प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने बोला कि ये मामला उनके संज्ञान में हाल ही में आया है। लेकिन गवर्नमेंट इस पर संज्ञान जरूर लेगी और दोषी पाए जाने पर विद्यालय पर कारवाई भी की जाएगी।