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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में गर्भगृह के निर्माण का काम हुआ पूरा,आज की गयी पहली आरती

अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में गर्भगृह के निर्माण का काम पूरा हो चुका है और वहां आज पहली आरती की गयी. मंदिर के बाकी हिस्सों का काम भी तेजी से चल रहा है और कहा जा रहा है कि पीएम नरेन्द्र मोदी नवनिर्मित श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लेंगे. इस बारे में हाल ही में श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के प्रमुख नृपेंद्र मिश्रा ने बोला था कि राम मंदिर के भूतल का निर्माण कार्य 31 दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा था कि ईश्वर राम के भव्य मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 22 जनवरी 2024 को आयोजित किया जाएगा. पीएम 20 से 24 जनवरी 2024 के बीच किसी भी दिन कार्यक्रम के लिए आ सकते हैं.

क्या है नया विवाद?

इस बीच, अयोध्या में एक नया टकराव खड़ा हो गया है. दरअसल श्रीराम जन्मभूमि से सटी एक मस्जिद के मुतवल्ली (प्रभारी) ने अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के साथ इस मस्जिद की बिक्री का समझौता किया है. हालांकि क्षेत्रीय मुस्लिमों ने मुतवल्ली के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है और समझौते को रद्द करने की मांग की है. मुख्य शिकायतकर्ता एवं अयोध्या में वक्फ संपत्ति को बचाने के लिए गठित एक क्षेत्रीय समिति ‘अंजुमन मुहाफिज मसाजिद वा मकाबिर’ के अध्यक्ष आजम कादरी ने कहा, ‘मस्जिद बद्र मोहम्मद रईस के मुतवल्ली ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के साथ तीस लाख रुपये में बिक्री का समझौता किया है और 15 लाख रुपये अग्रिम ले लिए हैं.” आजम कादरी ने कहा कि समझौता एक सितंबर को हुआ था, लेकिन क्षेत्रीय मुसलमान समूहों को इसके बारे में हाल ही में पता चला. उन्होंने कहा कि “मस्जिद बद्र अयोध्या के मोहल्ला पांजी टोला में स्थित है, जिसका इस्तेमाल क्षेत्रीय लोग प्रतिदिन नमाज पढ़ने के लिए करते हैं. मस्जिद यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, वक्फ संख्या 1213 के साथ वकायदा दर्ज़ है और सरकारी गजट और अन्य दस्तावेजों में भी मस्जिद के रूप में इसका उल्लेख किया गया है.

बृहस्पतिवार दोपहर आजम कादरी के नेतृत्व में अयोध्या के मुसलमानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने अयोध्या के जिला अधिकारी से मुलाकात की और मस्जिद के मुतवल्ली के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने और उनके और मंदिर ट्रस्ट के बीच किए गए ‘बिक्री समझौते’ को रद्द करने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा. इस बीच, अयोध्या के जिला अधिकारी नीतीश कुमार ने बताया, “‘मस्जिद बद्र’ की बिक्री के संबंध में आवेदन मेरे कार्यालय को प्राप्त हुआ है और अपर जिला मजिस्ट्रेट (प्रवर्तन) अमित सिंह को मुद्दे की जांच करने के लिए बोला गया है.” राम जन्मभूमि पुलिस पुलिस स्टेशन के प्रभारी एमपी शुक्ला ने बोला कि पुलिस मुद्दे की जांच कर रही है

इस बीच, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ अधिवक्ता आफताब अहमद ने बताया, “केंद्रीय वक्फ अधिनियमों और सुप्रीम कोर्ट द्वारा भिन्न-भिन्न समय पर दिए गए विभिन्न फैसलों के अनुसार, किसी को भी वक्फ संपत्तियों को बेचने, स्थानांतरित करने या उपहार में देने का अधिकार नहीं है.” उन्होंने बोला कि अयोध्या की ‘मस्जिद बद्र’ को बेचने या ‘विक्रय का समझौता’ करने में शामिल लोगों ने क्राइम किया है और उनके कृत्य कानून के विरुद्ध हैं.’ इस मामले पर टिप्पणी के लिए मंदिर ट्रस्ट के प्रतिनिधियों से संपर्क नहीं हो सका.

मंदिर तो बन रहा है पर मस्जिद का क्या हुआ?

दूसरी ओर, अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का समय तो करीब आ रहा है लेकिन दूसरी तरफ धन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद और हॉस्पिटल की आधारशिला धन की कमी के कारण अभी तक नहीं रखी जा सकी है. इस बारे में ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन’ (आईआईसीएफ) का बोलना है कि उसके पास परियोजना के “विकास शुल्क” का भुगतान करने के लिए भी पैसे नहीं हैं. हम आपको बता दें कि आईआईसीएफ एक ट्रस्ट है जिसका गठन मस्जिद और अन्य सामुदायिक सुविधाओं के निर्माण के लिए किया गया है. ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ के प्रवक्ता अतहर हुसैन ने कहा, ‘‘इस परियोजना में एक अस्पताल, सामुदायिक रसोई और एक मस्जिद के साथ-साथ कुछ अन्य चीजें शामिल हैं. हमें परियोजना का नक्शा मिल गया और फिर उसे स्वीकृति के लिए विकास प्राधिकरण को भेजा गया. आरंभ में औनलाइन या ऑफलाइन स्वीकृति को लेकर भ्रम था, जिससे प्रक्रियात्मक देरी हुई.’ उन्होंने आशा जताई कि अगले डेढ़ महीने में मस्जिद का निर्माण प्रारम्भ करने के लिए धन जुटा लिया जाएगा. उन्होंने बताया, ‘‘इसी वर्ष फरवरी महीने में हमें पता चला कि अयोध्या विकास प्राधिकरण के बोर्ड ने परियोजना का नक्शा पास कर दिया है. फिर हमने यह जानने की प्रयास की कि इस परियोजना के लिए कितना विकास शुल्क जमा करना होगा? हम आशा कर रहे थे कि अधिक विकास शुल्क नहीं लगेगा. अनौपचारिक रूप से हमें पता चला कि पूरी परियोजना के लिए विकास शुल्क की राशि कुछ करोड़ रुपए होगी.’’

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि हमारे पास विकास शुल्क का भुगतान करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है, इसलिए हमने हॉस्पिटल के निर्माण को स्थगित करने का निर्णय किया क्योंकि यह पूरी परियोजना का लगभग 90 फीसदी है. हम पहले मस्जिद का निर्माण करेंगे. क्योंकि इसके लिए विकास शुल्क कम होगा. उन्होंने कहा, ”जब से ट्रस्ट को सार्वजनिक किया गया, मस्जिद, हॉस्पिटल और सामुदायिक रसोई के लिए भिन्न-भिन्न खाते खोले गए. अभी ट्रस्ट के खाते में रकम लगभग 40 लाख रुपये है. जिससे हमें कार्यालय के बुनियादी खर्चे भी पूरे करने पड़ते हैं.’’ हुसैन ने कहा, ‘‘तत्काल हमारे पास विकास शुल्क जमा करने और निर्माण प्रारम्भ करने के लिए धन नहीं है. आशा है कि अगले डेढ़ महीने में मस्जिद का निर्माण प्रारम्भ करने के लिए धन जुटा लिया जाएगा.’’ परियोजना के लिए किसी भी प्रकार के धन जुटाने के अभियान के प्रश्न पर उन्होंने कहा, ‘‘जब परियोजना प्रारम्भ की गई थी तो हर स्थान इस परियोजना की चर्चा हो रही थी और यह सुर्खियों में थी. सौभाग्य से या दुर्भाग्य से इस परियोजना की तुलना राम मंदिर परियोजना से की गई, हमने हमेशा बोला है कि राम मंदिर परियोजना अलग है क्योंकि यह आस्था से जुड़ा है और मंदिर के लिए धन जुटाने की तुलना हमारी परियोजना से नहीं की जानी चाहिए.’’

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