CM भजनलाल के फर्जी पीए बनकर दी धमकी, फिर…
राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! मुख्यमंत्री का पीए बनकर राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के सचिव को टेलीफोन करके धमकाने के मुद्दे में उच्च न्यायालय ने आरोपियों के विरुद्ध किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है. जस्टिस सुदेश बंसल की न्यायालय ने रामस्वरूप और सरोज की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. न्यायालय में याचिकाकर्ताओं की ओर से बोला गया कि बोर्ड सचिव ने घटना के 17 दिन बाद मुद्दे में एफआईआर दर्ज कराई है, जबकि बोर्ड के अध्यक्ष सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लगातार इस घटना की जानकारी देते रहे. उन्होंने इस मुद्दे को हाई प्रोफाइल बनाने की प्रयास की. याचिकाकर्ता ने बोला कि वह पुलिस को जांच में योगदान करने के लिए भी तैयार हैं, लेकिन पुलिस उन्हें जबरन परेशान कर रही है
बोर्ड चेयरमैन ने मुद्दे को हाईप्रोफाइल बना दिया
याचिकाकर्ता के वकील सियाराम शर्मा जोधावास ने न्यायालय में दलील दी कि इस पूरे मुद्दे में दर्ज एफआईआर को मुख्यमंत्री का पीए बनकर बोर्ड चेयरमैन और सचिव को धमकाने का मुद्दा कहा गया है। कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने मोटर गाड़ी सब इंस्पेक्टर भर्ती मुद्दे में न्यायालय में दाखिल याचिका वापस नहीं लेने पर बोर्ड सचिव को टेलीफोन पर धमकी दी थी। उन्होंने बोला कि याचिकाकर्ता स्वयं एक सरकारी कर्मचारी है। उनकी पत्नी भर्ती में चयनित अभ्यर्थी हैं. याची ने अपनी पत्नी के टेलीफोन से बोर्ड सचिव को टेलीफोन कर केवल इतना बोला था कि आपने पहले चयनित अभ्यर्थी को नियुक्ति देने के लिए आवेदन किया था, अब उसे वापस क्यों ले रहे हैं.
याचिकाकर्ता और बोर्ड सचिव के बीच बहस जरूर हुई, लेकिन याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री का पीए बनकर बोर्ड सचिव को धमकी नहीं दी। यदि याचिकाकर्ता को ऐसा करना होता तो वह अपने मोबाइल टेलीफोन से अपनी पत्नी को टेलीफोन क्यों करता. वह ऐसा किसी भी डमी सिम से कर सकता था.वहीं, इस घटना की जानकारी बोर्ड चेयरमैन ने 24 अप्रैल को अपने एक्स एकाउंट के जरिए दी थी। घटना 19 अप्रैल की बताई जा रही है, लेकिन मुद्दे की एफआईआर 7 मई को दर्ज की गई है. उन्होंने न्यायालय को कहा कि बोर्ड चेयरमैन मुद्दे को हाई प्रोफाइल बनाकर केवल पब्लिसिटी बटोरना चाहते हैं।