बंबई उच्च न्यायालय : बुजुर्गों की उनके स्वजनों द्वारा नहीं की जा रही है देखभाल
मुंबई। बंबई हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने मंगलवार को एक आदमी को अपनी मां के घर को खाली करने का आदेश दिया जिस पर उसने और उसकी पत्नी ने गैरकानूनी रूप से कब्जा कर रखा था। अपने निर्णय में न्यायालय ने टिप्पणी की है कि संयुक्त परिवार प्रणाली के समाप्त होने के कारण बुजुर्गों की उनके स्वजनों द्वारा देखभाल नहीं की जा रही है। न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने बोला कि उम्र बढ़ना एक बड़ी सामाजिक चुनौती बन गई है और इसलिए वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
पीठ ने कहा, “संयुक्त परिवार प्रणाली के समाप्त होने के कारण, बड़ी संख्या में बुजुर्गों की देखभाल उनके परिवार द्वारा नहीं की जा रही है। इसके परिणामस्वरूप, कई बुजुर्ग व्यक्ति, विशेष रूप से विधवा महिलाएं अब अपने जीवन के आखिरी साल अकेले बिताने को विवश हैं और भावनात्मक उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं तथा भौतिक और वित्तीय सहायता की कमी से जूझ रहे हैं।”
यह आदेश उपमंडल अधिकारी और वरिष्ठ नागरिक रखरखाव न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के सितंबर 2021 के आदेश के विरुद्ध दिनेश चंदनशिवे द्वारा दाखिल याचिका पर पारित किया गया था, जिसमें उन्हें उपनगरीय मुलुंड में अपनी बुजुर्ग मां लक्ष्मी चंदनशिवे के आवास को खाली करने का निर्देश दिया गया था।
महिला के अनुसार, 2015 में उसके पति की मौत के बाद, उसका बेटा और बहू उससे मिलने आए और उसके बाद घर छोड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कथित तौर पर उसे परेशान किया और उसे घर छोड़ने के लिए विवश किया। बाद में स्त्री अपने बड़े बेटे के साथ ठाणे में रहने लगी। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और आदमी और उसकी पत्नी को 15 दिनों के भीतर परिसर खाली करने का निर्देश दिया। (एजेंसी)