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डीप फेक को लेकर उभर रहा है नया संकट, असली और डीप फेक वीडियो की ऐसे करें पहचान

आप इंस्टाग्राम पर रील्स देखते होंगे आपकी फीड पर क्या है ये आपके इंटरनेट और इंटरेस्ट पर निर्भर करता है हो सकता है कि आपके पास भी एक वीडियो आया होगा जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी गाना गाते हुए नजर आते हैं इन वीडियो में उनकी आवाजें सुनाई देती है तो कभी-कभी उनके फोटो नजर आते हैं उनका गाना गाते हुए वीडियो भी दिखता है अदाकारा रश्मिका मंदाना, काजोल के बाद पीएम मोदी का भी डीप फेक वीडियो सामने आ चुका है इसका जिक्र स्वयं पीएम मोदी ने किया है डीप फेक का इस्तेमाल गवर्नमेंट के साथ ही साइबर एक्सपर्ट और सिक्योरिटी एक्सपर्ट की भी चिंता बढ़ा रहा है

मोदी का गरबा करते हुए वीडियो वायरल

मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में बीजेपी के ‘दिवाली मिलन’ कार्यक्रम में बोलते हुए बोला कि उन्होंने हाल ही में एक गरबा उत्सव में स्वयं को गाते हुए एक डीपफेक देखा पीएम ने बोला कि मैंने अपना एक एक वीडियो देखा जिसमें मैं गरबा कर रहा हूं और यह बहुत असली लग रहा था जबकि मैंने बचपन से गरबा नहीं खेला है सोशल मीडिया पर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का गरबा डांस बताकर एक वीडियो काफी वायरल हुआ इसमें पीएम जैसा दिख रहा एक आदमी कुछ स्त्रियों के साथ गरबा करता नजर आ रहा है

उभर रहा है नया संकट

पीएम मोदी ने बोला कि हमारे जैसे विविधतापूर्ण समाज में, डीपफेक एक बड़ा संकट पैदा कर सकता है और यहां तक ​​कि समाज में असंतोष की आग भी भड़का सकता है लोग आम तौर पर मीडिया से जुड़ी किसी भी चीज पर उसी तरह भरोसा करते हैं, जिस तरह से भगवा पहने किसी भी आदमी पर भरोसा किया जाता है कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से उत्पादित डीपफेक के कारण एक नया संकट उभर रहा है समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है जिसके पास पैरलल वेरिफिकेशन सिस्टम नहीं है पीएम ने बोला कि पहले कुछ विवादास्पद टिप्पणियों वाली फिल्म आती थी और चली जाती थी, लेकिन अब यह एक बड़ा मामला बन गई है उन्होंने बोला कि ऐसी फिल्मों की स्क्रीनिंग भी इस आधार पर कठिन हो जाती है कि उन्होंने समाज के कुछ वर्ग का अपमान किया है, भले ही उन्हें बनाने में भारी मात्रा में पैसा खर्च किया गया हो

क्या है डीप फेक वीडियो

सोशल मीडिया पर लोग अपनी फोटो या वीडियो शेयर करते हैं फेसबुक हो या इंस्टाग्राम या फिर फेसबुक आजकल हर कोई अपनी डिपी लगाता है बस इसी बात का लाभ डीफ फेक वीडियो बनाने वाले करते हैं डीप फेक वीडियो बनाने के लिए केवल पांच या उससे अधिक तस्वीरों की आवश्यकता होती है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन तस्वीरों की स्टडी करके सॉफ्टवेयर की शक्ल में स्टोर कर लेता है ये काम इस तरह से किया जाता है कि जिसके चेहरे का इस्तेमाल किया गया है और जिसकी वीडियो पर लगाया गया है उन दोनों को ही इसका पता नहीं चलता है यदि कुछ छोटे कदम उठाए तो काफी हद तक आप डीप फेक से बच सकते हैं प्रयास करें कि सोशल मीडिया पर आप अपनी एक तरह की कई फोटो या वीडियो न डालें या फिर अपनी सोशल मीडिया सेटिंग पब्लिक न करके प्राइवेट रखें ताकी सिर्फ़ आपके दोस्त ही फोटोज़ या वीडियो देख सकें

असल और डीप फेक वीडियो में कैसे करे पहचान

इसके लिए एक्सपर्ट ने कुछ ढंग बताए हैं, लेकिन इसके लिए आपको हर एक वीडियो को ध्यान से देखना होगा यदि आप ध्यान से देखेंगे तो आपको डीप फेक वीडियो में दिखने वाले आदमी के चेहरे, हाव-भाव और पलकें झपकने के पैटर्न में अंतर नजर आएगा ध्यान से देखने पर आपको कुछ गड़बड़ी का अंदाज हो जाएगा  लिप्सि सिकिंग यानी होठों के हिलने और शब्दों के बीच फर्क दिखेगा डीप फेक वीडियो में जो चेहरे दिखाई देते हैं उनके चेहरे की रंगत भी बदलती रहती है यानी स्किन टोन भी लगातार बदलता रहता है डीप फेक वीडियो में शरीर और चेहरे की बनावट में काफी अंतर नजर आएगा यानी शरीर और चेहरे का कुदरती अनुपात बिगड़ा हुआ दिखाई देता है डीप फेक वीडियो में बॉडी मूवमेंट यानी शरीर की चाल-ढाल में भी फर्क दिखाई देता है आदमी झटके लेते हुए चलता हुआ दिखाई देता है

प्लेटफार्मों से निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने पिछले सप्ताह बोला था कि डीपफेक एक बड़ा उल्लंघन है और विशेष रूप से स्त्रियों को हानि पहुंचाता है हमारे डिजिटल नागरिकों की सुरक्षा और विश्वास हमारी अटूट प्रतिबद्धता और नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट के लिए सर्वोच्च अहमियत है चंद्रशेखर ने बोला कि गलत सूचना और डीपफेक से उत्पन्न जरूरी चुनौतियों को देखते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने पिछले छह महीनों के भीतर दूसरी राय जारी की है इसमें औनलाइन प्लेटफार्मों से डीपफेक के प्रसार के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है उन्होंने बोला कि गवर्नमेंट सभी नागरिकों की सुरक्षा और विश्वास की जिम्मेदारी को बहुत गंभीरता से लेती है, और इससे भी अधिक हमारे बच्चों और स्त्रियों के बारे में जिन्हें इस तरह की सामग्री द्वारा लक्षित किया जाता है सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम, 2021 के अनुसार किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा गलत सूचना के प्रसार को रोकना औनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के लिए एक कानूनी दायित्व है उन्हें किसी उपयोगकर्ता या सरकारी प्राधिकारी से रिपोर्ट प्राप्त होने पर 36 घंटों के भीतर ऐसी सामग्री को हटाने का भी आदेश दिया गया है इस जरूरत का अनुपालन करने में विफलता नियम 7 को लागू करती है, जो पीड़ित व्यक्तियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के अनुसार न्यायालय में जाने का अधिकार देती है

 दूसरे राष्ट्रों में हैं इससे जुड़े नियम?

विदेशों में तो ऐसे काफी नियम हैं हिंदुस्तान में भी ऐसे नियम हैं यदि किसी को फेस चेंज करे, तो आडेंटिटी थ्रेट का नियम है तो उसको रिपोर्ट कर सकते हैं कारण डाल सकते हैं कि मेरी फोटो का गलत इस्तेमाल हो रहा है  कानून तो हैं, लेकिन कानून होना और इसका इंप्लिमेंट होना दो बाते हैं इसमें अधिक से अधिक अवेयरनेस की ही आवश्यकता है

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