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50 वर्षों में भारत का सकल घरेलू उत्पाद हो जायेगा 52 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का…

गोल्डमेन सेच्स नामक अंतर्राष्ट्रीय निवेश संस्थान ने अपने एक रिसर्च पेपर में कहा है कि आगे आने वाले 50 सालों में हिंदुस्तान का सकल घरेलू उत्पाद 52 लाख करोड़ अमेरिकी $ का हो जाएगा. इस प्रकार हिंदुस्तान इस संदर्भ में अमेरिका को भी पीछे छोड़ते हुए विश्व में प्रथम जगह पर आ जाएगा. वर्तमान में हिंदुस्तान विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक आदि विभिन्न वित्तीय संस्थानों ने भी आगे आने वाले समय में हिंदुस्तान की आर्थिक वृद्धि रेट को 7.2 फीसदी रहने की प्रबल संभावनाएं जताईं हैं. जबकि, आज विश्व के कई देश, विशेष रूप से ब्रिटेन, जर्मनी आदि, आर्थिक संकुचन के दौर से गुजर रहे हैं. रूस यूक्रेन युद्ध के चलते कई विकसित राष्ट्र तो ऊर्जा की कमी के संकट से जूझ रहे हैं. हिंदुस्तान के विदेशमंत्री, चिकित्सक एस जयशंकर हिंदुस्तान के पीएम मोदी के नेतृत्व में विश्व के लगभग समस्त सशक्त राष्ट्रों के साथ अच्छे सम्बंध बनाने में सफल रहे हैं. आज रूस को भी हिंदुस्तान की जरूरत है तो अमेरिका को भी. रूस, हिंदुस्तान को कच्चे ऑयल एवं सुरक्षा के लिए भारी मात्रा में शस्त्र मौजूद कराता है. साल 2022 में हिंदुस्तान ने रूस से 4,000 करोड़ अमेरिकी $ का सामान आयात किया था. साल 2023 में यह बढ़कर 5,000 करोड़ अमेरिकी $ होने की प्रबल सम्भावना है. वहीं अमेरिका, हिंदुस्तान को अपना स्ट्रेटेजिक सहयोगी मानता है. आज विश्व की समस्त बड़ी शक्तियां हिंदुस्तान के साथ सौहार्द पूर्ण सम्बंध चाहती हैं. रूस, अमेरिका, यूरोपीयन राष्ट्र एवं अरब राष्ट्र हिंदुस्तान के साथ अपने व्यापार को विस्तार देना चाहते हैं. रूस भी हिंदुस्तान के साथ अच्छे सम्बंध चाहता है तो यूक्रेन भी. उधर इजराईल भी हिंदुस्तान के साथ अच्छे सम्बंध चाहता है तो इरान भी. हिंदुस्तान जी-20 समूह का सदस्य है तो हिंदुस्तान यू2आई2 एवं ब्रिक्स का भी सदस्य है. इस प्रकार कुल मिलाकर हिंदुस्तान का डंका आज पूरे विश्व में बज रहा है. आज हिंदुस्तान के पास विश्व की चौथी सबसे बड़ी फौज है. पश्चिमी बॉर्डर पर चीन से युद्ध की स्थिति में हिंदुस्तान आज इससे निपटने को पूर्णत: तैयार है.

भारत के पास आज युवा जनबल है. हिंदुस्तान की 66 फीसदी जनसंख्या 35 साल की कम उम्र की है. 40 फीसदी जनसंख्या 13 से 35 साल के बीच में है. हिंदुस्तान के पास 35 साल से कम उम्र की जनसंख्या अमेरिका की कुल जनसंख्या से भी अधिक है. इसके उल्टा चीन, जापान, इटली, फ्रान्स आदि कई राष्ट्रों की जनसंख्या अब धीमे धीमे कम हो रही है. इन राष्ट्रों में आर्थिक गतिविधियों को बनाए रखने के लिए आज युवाओं की कठोर जरूरत है जो पूरे विश्व में सिर्फ़ हिंदुस्तान ही मौजूद करा सकता है. साल 2064 तक हिंदुस्तान की जनसंख्या बढ़ती रहेगी, ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है. इस प्रकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदुस्तान विश्व में विकास के इंजन के रूप में अपनी किरदार लम्बे समय तक निभाता रहेगा.

उक्त संदर्भ में दूसरा सबसे बड़ा कारण कहा गया है, हिंदुस्तान में हाल ही के समय में किया गया डिजिटलीकरण. इससे राष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में भी नागरिकों की दक्षता एवं उत्पादकता बढ़ गई है. हिंदुस्तान में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की वित्तीय एवं बैंकिंग संस्थानों द्वारा भरपूर आर्थिक सहायता की जा रही है इससे यह उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहे हैं एवं राष्ट्र में रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित कर रहे हैं. पूर्व में सिर्फ़ बड़े उद्योगों को ही बैकों द्वारा वित्तीय सहायता मौजूद कराई जाती रही है परंतु हिंदुस्तान में अब यह ट्रेंड बदला है. कोविड महामारी के बाद से तो इस सम्बंध में बड़ा परिवर्तन देखने में आया है. डिजिटलीकरण के कारण छोटे छोटे व्यवसाइयों की क्रेडिट हिस्ट्री निर्मित हो रही है जिसके कारण बैकों को इन छोटे छोटे व्यापारियों को वित्तीय सहायता मौजूद कराने में सरलता हो रही है. ‘आधार’ ने तो राष्ट्र के समस्त नागरिकों की एक अलग पहचान ही बना दी है. यूपीआई प्लेटफोर्म ने भी इस संदर्भ में ग्रामीण इलाकों में रोकड़ के इस्तेमाल को कम कर डिजिटल प्लेटफोर्म पर वित्तीय व्यवहारों को हस्तांतरित किया है. छोटे छोटे व्यवसाईयों, किसानों, सामान्य नागरिकों को भी वित्तीय प्लेटफोर्म पर लाने में यह डिजिटलीकरण बहुत सफल रहा है. इससे वित्तीय समावेशन का कार्य भी सरल बन पड़ा है. हिंदुस्तान में डिजिटल व्यवहारों की संख्या आज संयुक्त रूप से अमेरिका, चीन एवं यूरोप से भी अधिक है. जबकि अमेरिका, चीन एवं यूरोप के राष्ट्र हिंदुस्तान से अधिक विकसित राष्ट्र हैं. इससे यह झलकता है कि हिंदुस्तान ने डिजिटलीकरण के मुद्दे में पूरे विश्व को पीछे छोड़ दिया है. अब तो हिंदुस्तान का यूपीआई सिस्टम अमेरिका के स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम को भी पीछे छोड़कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिजिटलीकरण के मुद्दे में अपनी धाक जमाने की ओर आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. हिंदुस्तान का यूपीआई सिस्टम सिंगापुर, फ्रांस, श्रीलंका एवं यूएई में लागू किया जा चुका है. हिंदुस्तान के पीएम ने फ्रांस में भारतीय यूपीआई सिस्टम का उद्घाटन किया था, ताकि फ्रांस में जाने वाले पर्यटक यूपीआई सिस्टम के माध्यम से फ्रान्स में वित्तीय व्यवहार कर सकें. न्यूजीलैंड में भी यूपीआई को लागू किए जाने पर विचार किया जा रहा है.

उक्त संदर्भ में तीसरा सबसे बड़ा कारण है चीन के, विस्तरवादी नीतियों के चलते, विश्व के अन्य राष्ट्रों के साथ लगातार खराब होते सम्बंध. आज विश्व के कई राष्ट्र चीन के साथ आर्थिक व्यवहार करने से कतराने लगे हैं. यह स्थिति हिंदुस्तान के आर्थिक विकास को गति दे सकती है क्योंकि चीन+1 की नीति का अनुपालन विश्व के कई विकसित राष्ट्र आज करने लगे हैं एवं ये राष्ट्र हिंदुस्तान में विनिर्माण के क्षेत्र में अपनी इकाईयों को स्थापित करते जा रहे हैं. ताइवान आदि राष्ट्रों पर चीन की नीति की पूरे विश्व में भर्त्सना हो रही है. चीन के अपने बॉर्डर पर लगने वाले लगभग समस्त राष्ट्रों के साथ चीन के सम्बंध अच्छे नहीं हैं. इन राष्ट्रों का चीन पर अब भरोसा खत्म सा होता जा रहा है. ऐपल एवं टेस्ला जैसी कम्पनियां अब हिंदुस्तान में अपनी विनिर्माण इकाइयां स्थापित कर रही हैं. ऐपल ने तो अपने आईफोन-15 का उत्पादन हिंदुस्तान में चालू भी कर दिया है. इससे हिंदुस्तान में न सिर्फ़ रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित हो रहे हैं बल्कि विदेशी निवेश भी बढ़ रहा है. आज हिंदुस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार 65,000 करोड़ अमेरिकी $ के आसपास रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए हैं. साथ ही, आज हिंदुस्तान का पूंजी बाजार (स्टॉक मार्केट) विश्व में चौथे जगह पर आ गया है.

भारत द्वारा अपने बुनियादी ढांचे को विकसित करने में भारी भरकम राशि खर्च की जा रही है. वित्तीय साल 2024-25 में 11.11 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि का बजट बुनियादी ढांचे के लिए निर्धारित किया गया है, जबकि वित्तीय साल 2023-24 में 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि इस मद पर खर्च की गई थी. अयोध्या, वाराणसी, उज्जैन, हरिद्वार, जम्मू कश्मीर जैसे अन्य कई धार्मिक स्थलों को विकसित किया जा रहा है ताकि धार्मिक पर्यटन को हिंदुस्तान में बढ़ावा दिया जा सके. इन शहरों के बुनियादी ढांचे का अतुलनीय विकास किया जा रहा है. जिससे रोज़गार के लाखों नए अवसर निर्मित हो रहे हैं. एयरपोर्ट की संख्या पिछले 10 सालों में दुगने से भी अधिक होकर 150 तक पहुंच गई है और इसे साल 2025 तक 200 की संख्या तक ले जाया जा रहा है. रेलवे का विद्युतीकरण किया गया है. रेलगाड़ियों की गति बढ़ाई गई है, जिससे राष्ट्र में कार्यक्षमता के स्तर में सुधार हो रहा है. हिंदुस्तान के बड़े शहरों में मेट्रो रेल का जाल बिछाया जा रहा है. आज हिंदुस्तान का रोड नेट्वर्क चीन से भी अधिक होकर विश्व में सिर्फ़ अमेरिका के बाद दूसरे जगह पर आ गया है. हिंदुस्तान गवर्नमेंट की साल 2024 से साल 2030 के बीच राष्ट्र के बुनियादी ढांचे को विकसित करने पर 2 लाख करोड़ अमेरिकी $ की राशि खर्च करने की योजना है. इस प्रकार हिंदुस्तान को साल 2047 तक विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. साल 2027 तक हिंदुस्तान विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, ऐसी सम्भावना भी व्यक्त की जा रही है.

 

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