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स्त्रीधन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए क्या-क्या आता है ‘स्त्रीधन’ में…

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के बीच मंगलसूत्र और स्त्रीधन जैसे शब्दों का बार बार इस्तेमाल किया जा रहा हैं. सर्वोच्च कोर्ट ने स्त्रीधन को लेकर बृहस्पतिवार को एक अहम निर्णय में बोला कि स्त्री का स्त्रीधन उसकी पूर्ण संपत्ति है. जिसे अपनी ख़्वाहिश से खर्च करने का उसे पूरा अधिकार है. इस महिला धन में पति कभी भी भागीदार नहीं बन सकता, किन्तु संकट के वक़्त पत्नी की रजामंदी से इसका इस्तेमाल कर सकता है. जस्टिस संजीव खन्ना एवं जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने स्त्रीधन को लेकर दाखिल एक वैवाहिक टकराव पर सुनवाई करते हुए बोला था कि स्त्री को अपने स्त्रीधन पर पूरा अधिकार है, जिसमें विवाह से पहले, विवाह के दौरान या बाद में मिलीं हुईं सभी चीजें सम्मिलित हैं, जैसे कि माता-पिता, ससुराल वालों, संबंधियों एवं दोस्तों से मिले गिफ्टन?

ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर स्त्रीधन क्या है तथा इसके दायरे में क्या-क्या आता है? दरअसल स्त्रीधन एक कानूनी टर्म है, जिसका जिक्र हिंदू धर्म में देखने को मिलता है. स्त्रीधन का मतलब है स्त्री के अधिकार का धन, संपत्ति, कागजात एवं अन्य वस्तुएं. एक आम धारणा ये है कि स्त्रियों को विवाह के चलते जो चीजें उपहारस्वरूप प्राप्त होती हैं, उन्हें ही स्त्रीधन माना जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है.

 

स्त्रीधन में किसी स्त्री को बचपन से लेकर भी जो चीजें मिलती हैं, वह भी स्त्रीधन के दायरे में आती हैं. इनमें नकदी से लेकर सोना, हर प्रकार के तोहफे, संपत्तियां और बचत भी सम्मिलित हैं. आसान शब्दों में कहें तो महत्वपूर्ण नहीं है कि विवाह के चलते या विवाह के बाद मिले इस प्रकार के उपहारों को ही स्त्रीधन माना जाए. स्त्रीधन पर अविवाहित महिला का भी कानूनी अधिकार है. इसमें वे सारी चीजें आती हैं, जो किसी स्त्री को बचपन से लेकर मिलती रही हों. इसमें छोटे-मोटे तोहफे, सोना, कैश, सेविंग्स से लेकर तोहफे में मिली प्रॉपर्टी भी आती है.

किस कानून के अनुसार है स्त्रीधन का अधिकार?
हिंदू स्त्री का स्त्रीधन का अधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14 एवं हिंदू शादी अधिनियम, 1955 की धारा 27 के अनुसार आता है. यह कानून विवाह से पहले, विवाह के समय या विवाह के पश्चात् स्त्री को स्त्रीधन अपने पास रखने का पूरा अधिकार देता है. स्त्री चाहे तो स्‍त्रीधन को अपनी मर्जी से किसी को दे सकती है या बेच सकती है. इसके साथ ही घरेलू अत्याचार अधिनियम, 2005 की धारा 12 भी स्त्रियों को ऐसे मामलों में स्त्रीधन का अधिकार देती है, जहां वे घरेलू अत्याचार का शिकार होती हैं. वे इन कानूनों की सहायता से अपना अधिकार वापस ले सकती हैं. मगर कई ऐसे भी मुद्दे होते हैं, जहां मंगलसूत्र को छोड़कर अधिकांश स्त्रीधन स्त्री के ससुरालवाले रख लेते हैं, ये बोलकर कि वे संभालकर रखेंगे. ऐसी स्थिति में कानून उन्हें स्त्रीधन का ट्रस्टी मानता है. जब भी स्त्री उन चीजों को मांगती है, तो इसे देने से मना नहीं किया जा सकता. किसी स्थिति में यदि स्त्री का स्त्रीधन कोई अपने पास जबरन रख लेता है तो स्त्रियों को पूरा अधिकार है कि वे उस आदमी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई ले सकें.

दहेज से कितना अलग है स्त्रीधन?
स्त्रीधन एवं दहेज दो भिन्न-भिन्न चीजें हैं. दहेज मांगस्वरूप दिया या लिया जाता है जबकि स्त्रीधन में प्रेमस्वरूप चीजें स्त्री को दी जाती हैं. यदि स्‍त्रीधन को ससुराल पक्ष ने जबरन अपने कब्‍जे में रखा है तो स्त्री इसके लिए क्‍लेम कर सकती है. यदि पति के विरुद्ध दहेज प्रताड़ना का मुकदमा लगा है, तो उसके साथ में स्‍त्रीधन को लेकर अलग से केस दर्ज कराया जा सकता है.

क्या स्त्री के पास स्त्रीधन को बेचने का अधिकार है?
यदि कोई स्त्री अपने स्वामित्व वाली संपत्ति जिसे स्त्रीधन बोला जाता है, उसे दान या तोहफे में देना चाहती है या फिर बेचना चाहती है. तो कानूनी रूप से इस पर रोक नहीं है. किसी प्रकार की जरूरत में स्त्री अपनी ख़्वाहिश से स्त्रीधन अपने पति को दे सकती है मगर उसे बाद में ये चीजें स्त्री को लौटानी पड़ेगी. मगर ये सब तभी होता है जब महिला के पास अपनी संपत्ति का कोई लेखाजोखा रहे. बता दें कि इस्लाम में स्त्रीधन का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है.

क्यों चर्चा में आया स्त्रीधन?
राजस्थान में चुनावी जनसभा के चलते पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने बोला था कि पहले जब इनकी गवर्नमेंट थी तब उन्होंने बोला था कि राष्ट्र की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठा करते किसको बांटेंगे? जिनके अधिक बच्चे हैं, उनको बांटेंगे. घुसपैठियों को बांटेंगे. क्या आपकी मेहनत का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंजूर है ये? आगे उन्होंने बोला था कि ये कांग्रेस पार्टी का मेनिफेस्टो कह रहा है कि वो मां-बहनों के गोल्ड का हिसाब करेंगे. उसकी जानकारी लेंगे तथा फिर उसे बांट देंगे. और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह की गवर्नमेंट ने बोला था संपत्ति पर पहला हक़ मुसलमानों का है. भाइयों-बहनों ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी मां-बहनों, ये आपका मंगलसूत्र भी नहीं बचने देंगे. ये यहां तक जाएंगे.

 

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