राष्ट्रीय

सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी के कारण AAP और दिल्ली सरकार के सामने खड़ा हुआ संकट

नयी दिल्ली: आबकारी नीति संबंधी कथित घोटाले से जुड़े मुद्दे में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी के कारण आम आदमी पार्टी (AAP) और दिल्ली गवर्नमेंट के सामने नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया है और ऐसे में उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल, कैबिनेट मंत्रियों आतिशी (Atishi ) और सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bharatdwaj) को इस किरदार के लिए उनके संभावित विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है.

‘आप’ के सामने अब एक ऐसे नेता को चुनने की चुनौती है जो केजरीवाल की अनुपस्थिति में पार्टी और दिल्ली में उनकी गवर्नमेंट की कमान संभाल सके. ‘आप’ नेतृत्व के लिए ऐसे नेता को चुनना वास्तव में एक कड़ी चुनौती है जिसका कद पार्टी संयोजक केजरीवाल के कद के समान या इसके इर्द-गिर्द हो. केजरीवाल 2012 में पार्टी के गठन के बाद से इसके संयोजक हैं और करीब एक दशक से दिल्ली के सीएम पद पर बने हुए हैं.

केजरीवाल का जगह ले सकने वाले नेता को खोजना और भी अधिक जरूरी इसलिए है क्योंकि ‘आप’ पंजाब, दिल्ली, गुजरात, असम और हरियाणा में लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है जहां केजरीवाल पार्टी के अहम प्रचारक होने वाले थे. दिल्ली के सीएम पद के लिए पूर्व आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) अधिकारी सुनीता केजरीवाल के अतिरिक्त ‘आप’ गवर्नमेंट की मंत्री आतिशी और भारद्वाज के नाम पर भी चर्चा जारी है. दिल्ली गवर्नमेंट में शिक्षा, वित्त, पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग), राजस्व और सेवाओं सहित सबसे अधिक विभाग संभालने वाली आतिशी को अरविंद केजरीवाल का करीबी माना जाता है. वह ‘आप’ गवर्नमेंट और केजरीवाल का बचाव करने वाली पार्टी की अग्रिम पंक्ति की प्रवक्ता भी हैं और अपने नियमित संवाददाता सम्मेलनों में एवं समाचार चैनलों पर उपस्थिति के जरिए बीजेपी पर धावा करती रही हैं.

इसी तरह, भारद्वाज भी दिल्ली कैबिनेट के एक प्रमुख सदस्य हैं और उनके पास स्वास्थ्य एवं शहरी विकास सहित कई जरूरी विभाग हैं. वह भी पार्टी का एक जाना-माना चेहरा हैं, जो अक्सर पार्टी एवं उसके नेताओं का बचाव करते हैं और शासन-संबंधी एवं सियासी मुद्दों पर केंद्र की बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) गवर्नमेंट पर जवाबी धावा करते हैं. हालांकि, पिछले वर्ष दिसंबर में ‘आप’ ने ‘मैं भी केजरीवाल’ नाम से एक हस्ताक्षर अभियान प्रारम्भ किया था, जिसमें लोगों से पूछा गया था कि उन्हें अरैस्ट होने की स्थिति में क्या दिल्ली के सीएम पद से त्याग-पत्र दे देना चाहिए या कारावास से गवर्नमेंट चलानी चाहिए.

‘आप’ सुप्रीमो ने इस अभियान के दौरान दिल्ली में पार्टी विधायकों और नगर निगम पार्षदों से भी मुलाकात की थी और उनकी प्रतिक्रिया ली थी. भारद्वाज ने हाल में एक संवाददाता सम्मेलन में बोला था, ‘‘इस अभियान के दौरान लगभग 90 फीसदी लोगों ने राय दी कि केजरीवाल के पास दिल्ली का जनादेश है और उन्हें चुना गया है इसलिए सिर्फ़ उन्हें ही गवर्नमेंट चलानी चाहिए, चाहे वह कहीं से भी हो.

‘आप’ को पार्टी का नेतृत्व करने के लिए केजरीवाल का विकल्प भी ढूंढ़ना होगा. पार्टी दिल्ली और पंजाब में सत्ता में है और इसके अतिरिक्त गुजरात और गोवा में भी इसके विधायक हैं. इस मुद्दे में भी पार्टी के विकल्प काफी सीमित हैं. सुनीता केजरीवाल के अतिरिक्त पंजाब के सीएम भगवंत मान और आतिशी का नाम भी उन नेताओं के रूप में चर्चा में है जो ‘आप’ के नए राष्ट्रीय संयोजक की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं.

Related Articles

Back to top button