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रोहिंग्या मुस्लिम अवैध घुसपठिये है, केन्द्र का SC में जवाब

Supreme Court : केंद्र गवर्नमेंट ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर बोला है, कि रोहिंग्या मुसलमान गैरकानूनी घुसपठिये है साथ ही उन्हें राष्ट्र में रहने-बसने का कोई मौलिक अधिकार हासिल नहीं है यह अधिकार केवल राष्ट्र के नागरिकों का है गवर्नमेंट का बोलना है, कि अवैध गतिविधियों में शामिल रोहिंग्या मुसलमान राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा बन गए है वो तिब्बत और श्रीलंका से आने वाले शरणार्थियों के बराबर अधिकार मिलने का दावा नहीं कर सकते शरणार्थी का दर्जा किसको दिया जाएं या नहीं, ये निर्णय लेना गवर्नमेंट का काम है न्यायालय को नीतिगत मामलों में दखल नहीं देना चाहिए

देश के संसाधनों पर अधिकार देशवासियों का

केंद्र गवर्नमेंट ने ये हलफनामा हिरासत में लिए गए रोहिंग्याओं की रिहाई को लेकर दाखिल एक याचिका के उत्तर में दाखिल किया है गवर्नमेंट ने बोला है, कि हिंदुस्तान एक बड़ी जनसंख्या वाला विकासशील राष्ट्र है राष्ट्र के सीमित संसाधनों पर पहला अधिकार राष्ट्र के नागरिकों का है गैरकानूनी ढंग से हिंदुस्तान में घुस आए लोगों के चलते उनके इस अधिकार से समझौता नहीं किया जा सकता गैरकानूनी घुसपैठियो को राष्ट्र में नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, मकान जैसी सुविधा मौजूद कराना अपने नागरिको को उनके वाजिब अधिकार से वंचित करना होगा

फर्जी आईडी प्रूफ हासिल करने में लगे रोहिंग्या

सरकार ने बोला है कि हिंदुस्तान पहले ही गैरकानूनी घुसपैठ की परेशानी से जूझ रहा है पड़ोसी देशो से आने वाले गैरकानूनी घुसपैठियो के चलते कई राज्यों का जनसांख्यिकीय संतुलन बिगड़ रहा है गवर्नमेंट के पास इनपुट है कि बड़ी संख्या में गैरकानूनी घुसपठिये फर्जी भारतीय आईडी प्रूफ हासिल करने, मानव स्मग्लिंग और राष्ट्र के विभिन्न हिस्सो में अवैध गतिविधियों में शामिल है वो अपनी पहचान छुपाकर फर्जी आईडी प्रूफ मसलन वोटर आईडी कार्ड, आधार और पासपोर्ट तक हासिल कर रहे है इसके चलते वह राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा बन गए है उनकी पहचान कर उन्हें वापस भेजा जाना महत्वपूर्ण है

तिब्बत, श्रीलंका के शरणार्थियों से तुलना नहीं

केंद्र गवर्नमेंट ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल  हलफनामे में  याचिकाकर्ता की इस दलील को भी खारिज कर दिया है,कि रोहिंग्या मुसलमानों को भी तिब्बत और श्रीलंका से आने वाले शरणार्थियों के बराबर दर्जा मिलना चाहिए गवर्नमेंट ने बोला है, कि आर्टिकल 14 के अनुसार मिला समानता का अधिकार केवल राष्ट्र के नागरिकों के लिए है ये विदेशियों पर लागू नहीं होता रोहिंग्या मुसलमान बाकी शरणार्थियों के साथ समानता के अधिकार का हवाला देकर लंबे वक़्त के लिए वीजा की मांग नहीं कर सकते

भारत किसी अंतर्राष्ट्रीय संधि से बंधा नहीं

सरकार ने बोला है कि भारत  ने शरणार्थियों के दर्जे को लेकर 1951 के रिफ्यूजी कन्वेंशन  और शरणार्थी संरक्षण से जुड़े  कानूनी डॉक्यूमेंट्स 1967 प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किया है हिंदुस्तान UNHCR के रिफ्यूजी कार्ड को मान्यता नहीं देता हिंदुस्तान अपनी घरेलू नीतियो के अनुसार शरणार्थियों को लेकर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है

कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए

सरकार ने अपने हलफनामे में  इस बात पर बल दिया है, कि किसको शरणार्थी का दर्जा दिया जाए या नहीं, यह पूरी ढंग से गवर्नमेंट का नीतिगत निर्णय है एक संप्रभु देश समय और परिस्थितियों के अनुसार अपनी इमीग्रेशन पॉलिसी तय करता है न्यायालय को दखल देने से बचना चाहिए

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