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रतलाम संसदीय सीट पर कांग्रेस व भाजपा के बीच देखने को मिलेगा कड़ा मुकाबला

मध्यप्रदेश के रतलाम संसदीय सुरक्षित आदिवासी वर्ग सीट पर इस बार हो रहे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा. कांग्रेस पार्टी ने जहां अपने अनुभवी, दिग्गज आदिवासी नेता पूर्व प्रदेश कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री, प्रदेश में राज्य मंत्री, संसदीय सचिव रहे 5 बार के सांसद कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा है तो दूसरी और बीजेपी ने बिल्कुल आसान आदिवासी शिक्षित कुशल ग्रहणी स्त्री श्रीमति अनिता नागर सिंह चौहान को मैदान में उतारा है.

कांतिलाल भूरिया के किस्तम कनेक्षन की बात करें तो इनका भाग्य राजनीति में हमेशा चमका है, जब भी ये राजनीति से दूर होते है तो इन्हे ऐसा मौका मिल जाता है कि ये दोबारा वापस सत्ता में आ जाते है, 2014 में ये बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया से चुनाव हारे लेकिन उनके मृत्यु से हुए उपचुनाव में ये दौबारा सांसद का चुनाव जीत गये, फिर विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने इन्हे टिकिट दे दिया और ये झाबुआ से फिर से विधायक चुन लिये गये. इस बार कांग्रेस पार्टी ने इनके बेटे विक्रांत भूरिया को झाबुआ से टिकिट दे दिया तो ऐसा लगा की कांतिलाल भूरिया का सियासी वर्चस्व अब समाप्त हुआ लेकिन ऐन समय पर लोकसभा के लिये फिर से कांग्रेस पार्टी ने इन पर भरोसा जताया और ये मैदान में आ गये. जिसके चलते रतलाम संसदीय सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है.

दूसरी और बीजेपी के पास चेहरे की कमी रही और इस कारण से उसने अनिता नागर सिंह पर दांव खेला. बीजेपी को यह आशा है कि राष्ट्र भर में राम मंदिर और मोदी की गारंटी की लहर है ऐसे में यहां से बीजेपी जीत जायेगी, लेकिन यह सोच अति महत्वाकांक्षी भी हो सकती है, क्योंकि इस चुनाव को हल्के में नहीं लिया जा सकता. हालीया हुए विधानसभा चुनावों का गणीत देखे तो यहां कांग्रेस पार्टी बीजेपी से वोट के अंतर से बढ़त बनाये हुए है. रतलाम संसदीय सीट पर आठ विधानसभा सीटे आती है इनमें रतलाम जिले की रतलाम, रतलाम ग्रामीण और सैलाना विधानसभा की सीटे है जबकि झाबुआ जिले की तीन विधानसभा सीटे झाबुआ, थांदला और पेटलावद तथा आलिराजपुर जिले की दो विधानसभा सीटे आलिराजपुर और जोबट शामिल है.

विधानसभा 2023 के चुनाव परिणामों पर नजर डाले तो आठ विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा, तीन पर कांग्रेस पार्टी और एक पर निर्दलिय ने जीत दर्ज की है. बीजेपी के वर्चस्व वाली सीटे है रतलाम, रतलाम ग्रामीण और पेटलावद तथा आलिराजपुर जबकि कांग्रेस पार्टी ने थांदला, झाबुआ और जोबट सीटे जीती है जबकि सैलाना सीट निर्दलिय के खाते में गई है.

वोटों का हिसाब पुस्तक देखे तो कांग्रेस पार्टी इस संसदीय सीट पर बीजेपी से बढ़त बनाये हुए है. झाबुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के विक्रांत भूरिया ने 15693 वोटों की लिड ली थी, इसी प्रकार से थांदला सीट पर कांग्रेस पार्टी के विरसिंग भूरिया ने 1340 सीटों से लिड ली, वहीं जोबट सीट से कांग्रेस पार्टी की सेना पटेल ने 38784 वोटों की लिड ली थी. जबकि आलिराजपुर सीट से बीजेपी के नागर सिंह चौहान 3723 मतो से और पेटलावद से सुश्री निर्मला भूरिया 5647 मतो से, रतलाम से बीजेपी के चेतन्य कश्यप 60708 मतों के अंतर से तो मथुरालाल डाबर रतलाम ग्रामीण से 34324 मतो के अंतर से विजय हुए थे. जबकि सैलाना सीट से निर्दलिय कालेश्वर डोडीयार 71219 मतो से विजय हुए थे. इनकी लिड 4618 मतो की थी.

कांग्रेस और बीजेपी के मतों का अंतर झाबुआ और आलिराजपुर क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी का अधिक है तो रतलाम क्षेत्र में बीजेपी को बढ़त है. झाबुआ आलिराजपुर क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी को पांच विधानसभा सीटों पर 46447 मतों की लिड है जबकि सैलाना सीट पर निर्दलिय उम्मीदवार को 4618 मतो की लिड है इन दोनो को मिला दिया जाये तो यहां से कांग्रेस पार्टी को 51065 मतों की लिड है. जबकि बीजेपी को पेटलावद और आलिराजपुर क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के मुकाबले महज 9370 मतो की ही लिड है. इस हिसाब से बीजेपी को झाबुआ और आलिराजपुर जिलों में बहुत अधिक मेहनत की जरूरत होगी. क्योंकि आलिराजपुर क्षेत्र में वोट फीसदी भी बहुत कम रहता है, बीजेपी का सोंडवा क्षेत्र में लगातार जनाधार भी घट रहा है.

ऐसे में अनिता नागर सिंह चौहान को अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिये सबसे पहले अपने घर में ही अपनी स्थिति मजबूत करना पडेगी और आलिराजपुर क्षेत्र में मतदान का फीसदी बढ़ाना होगा वहीं उस मत को बीजेपी के पक्ष में भी करना होगा. क्योंकि जोबट विधानसभा सीट पर बीजेपी को बढ़त मिलती दिखलाई नहीं पड़ रही है. झाबुआ विधानसभा सीट पर भी कांतिलाल भूरिया की पकड़ मजबूत है तो थांदला क्षेत्र में भी कांग्रेस पार्टी मजबूत स्थिति में है. ऐसे में पेटलावद सीट से सुश्री निर्मला भूरिया का जादू कितना बीजेपी को बढ़त दिलायेगा यह समय ही बता सकेगा! सैलाना सीट पर भी कांग्रेस पार्टी मजबूत स्थिति में है. ऐसे में बीजेपी को जीत की आशा रतलाम और रतलाम ग्रामीण क्षेत्र से ही अधिक है. कांग्रेस पार्टी इन क्षेत्रों में कमजोर है.

चेतन्य कश्यप के उपर सबसे अधिक दारोमदार है कि वो अपनी लिड को बरकरार रखते हुए यदि मतदान फीसदी अधिक करा पाये तो बीजेपी की स्थिति मजबूत हो सकती है क्योंकि रतलाम बीजेपी का मजबूत गढ़ है रतलाम और रतलाम ग्रामीण को मिलाकर मतों का अंतर देखे तो फिर बीजेपी मजबूत स्थिति में दिखलाई पडती है दोनों सीटों को मिलाकर विधानसभा चुनावों में बीजेपी के मतो का अंतर 104406 मतो का है कांग्रेस पार्टी की सारी लिड को कम करे तो भी बीजेपी 53341 मतो से बढ़त में दिखाई देती है. वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी की जीत का अंतर देखे तो यहां से गुमानसिंह डामोर ने 90646 मतों के अंतर से अपनी जीत दर्ज की थी.

कुल मिलाकर इस सीट का लबोलुआब यह निकलता है कि यहां पर कांग्रेस पार्टी और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगाा. जो दल जितना बल लगायेगा और मतदान अपने पक्ष में कराने में सफल होगा उसे उतना अधिक लाभ मिलेगा! तेज गर्मी के चलते 13 मई को मतदान के समय 40 डिग्री से उपर रहने का अनुमान है ऐसे में मतदान का फीसदी कितना कारगर होगा यह भी देखने वाली बात होगी. ग्रामीण मतदाता अक्सर सुबह अपने मतों का इस्तेमाल कर लेगा है लेकिन शहरी मतदाता गर्मी में निकलेगा या नहीं यह संशय बना रहता है. ऐसे में इस संसदीय सीट पर मतदान का फीसदी बहुत कुछ भाग्य को तय करने वाला होता है. नागरसिंह चौहान, सुश्री निर्मला भूरिया और चेतन्य कश्यप को प्रदेश गवर्नमेंट ने मंत्री बनाया है वहीं इस संसदीय क्षेत्र का क्लस्टर प्रभारी प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवडा को बनाया है. चार मंत्री प्रदेश गवर्नमेंट के यहां लगे हुए है. ऐसे में यहां पर बीजेपी को इस संसदीय सीट पर अपना कब्जा बनाये रखने के लिये मेहनत करना है तो कांग्रेस पार्टी यहां से एक बार फिर से अपना वर्चस्व स्थापित करने की प्रयास में लगी दिखाई देती है.

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