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यहाँ जानें, हेल्थ ड्रिंक्स के नाम पर कहीं आप भी तो नहीं बन रहे बेवकूफ

अब हम जो समाचार लेकर आए हैं, वो आपके और आपके बच्चों की स्वास्थ्य से जुड़ी है हम एक ऐसे डिजिटल युग में जी रहे हैं, जिसमें ज्यादातर लोगों के हाथ में मोबाइल और घरों में टीवी है अपने माल को बेचने के लिए देसी विदेशी कंपनियां सोशल मीडिया और टीवी पर विज्ञापन देती हैं वैसे इन कंपनियों को अपने प्रोडक्ट के प्रचार प्रसार से जुड़े सभी नियम कानून मालूम हैं इसके साथ ही उन्हें, क्रिएटिव फ्रीडम के नाम पर इन नियमों को तोड़ने के सारे ढंग भी मालूम हैं

टीवी पर भ्रामक विज्ञापन

आपने टीवी या मोबाइल पर वीडियो देखते हुए एनर्जी ड्रिंक या हेल्थ ड्रिंक्स के खास विज्ञापन जरूर देखे होंगे किसी विज्ञापन में एनर्जी ड्रिंक पीकर एक युवा, किसी महिला को लेकर 10-10 मंजिल तक सीढ़ी चढ़ जाता है किसी विज्ञापन में एनर्जी ड्रिंक पीकर हीरो हाथ के पंख बनाकर, तूफान ला देता है एक में तो प्रेमी एनर्जी ड्रिंक पीकर अपनी प्रेमिका की विश पूरी करने के लिए शूटिंग स्टार यानी टूटता तारा ही बन गया.

अब आप बताइए इस तरह के विज्ञापन देखने के बाद आपके बच्चों या टीनेजर्स पर क्या असर पड़ा होगा ? वो तो यही सोचेंगे कि बाजार में एक ऐसी कोल्ड ड्रिंक आई, जिसे पीने के बाद आदमी के अंदर सुपरपावर आ जाती है

ताकत बढ़ाने का जरिया नहीं ये ड्रिंक्स

सिर्फ यही नहीं, हेल्थ ड्रिंक को लेकर हम अक्सर DNA में आपको सावधान करते रहे हैं हम आपको बताते रहे हैं कि किसी माल्ट बेस्ट प्रोडक्ट, जिसे अक्सर दूध में मिलाकर पिया या पिलाया जाता है, उसको शक्ति बढ़ाने का जरिया नहीं मानना चाहिए ऐसा एकदम नहीं है कि यदि कोई आदमी अपने बच्चों को विशेष मॉल्ट ड्रिंक पिलाता है, तो उनकी लंबाई बहुत तेजी से बढ़ गई या फिर दिमाग, कंप्यूटर से भी तेज़ हो गया है ऐसा एकदम नहीं होता है बावजूद इसके टीवी पर आने वाले दर्जनों विज्ञापनों में ऐसा दिखाया जाता है कि हीरो की शक्ति का राज़ तो एक विशेष मॉल्ट बेस्ड ड्रिंक है

  • ई-कॉमर्स कंपनियां भी अपनी वेबसाइट पर एनर्जी ड्रिंक या हेल्थ ड्रिंक की श्रेणी बनाकर, उसमें बहुत सारे प्रोडक्ट डालती हैं इसे FSSAI जनता के लिए भ्रामक प्रचार मानता है
  • इसी को देखते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने ई-कॉमर्स फूड बिजनेस ऑपरेटर्स से ‘एनर्जी ड्रिंक्स या हेल्थ ड्रिंक्स’ जैसी कैटगरी हटाने के लिए बोला है
  • FSS ACT 2006 के अनुसार बनाए गए नियमों में हेल्थ ड्रिंक शब्द नहीं है यानी FSSAI के अनुसार हेल्थ ड्रिंक या एनर्जी ड्रिंक जैसी कोई चीज नहीं है
  • यही नहीं FSSAI के मुताबिक, ऐसे ड्रिंक जिसको एनर्जी ड्रिंक बताकर बेचा जा रहा है वो भी गलत है, हाई कैफीन वाली ड्रिंक्स को भी सामान्य कोल्ड ड्रिंक कहकर ही बेचा जा सकता है
  • कंपनियों से बोला गया है कि दूध में मिलाकर पिए जाने वाले प्रोडक्ट या हाई कैफीन वाले प्रोडक्ट को ‘Proprietary Food’ के नाम से प्रचारित किया जाए और बेचा जाए

हम आपको स्वयं दिखाना चाहते हैं कि टीवी पर हाई कैफीन वाली ड्रिंक्स और दूध में मिलाकर पिए जाने वाले मॉल्ट बेस्ड ड्रिंक को कैसे ई-कॉमर्स वेबसाइट पर एनर्जी ड्रिंक और हेल्थ ड्रिंक कहकर बेचा जा रहा है

टीवी पर विज्ञापन के नाम पर शक्ति और ताकत बेचने वाली इन कंपनियों पर सामान्य रूप से कोई खास ऐक्शन नहीं होता है आम लोग अपने पसंदीदा सेलिब्रिटीज के मुंह से किसी खास प्रोडक्ट की तारीफें और इस्तेमाल की अपील सुनकर मान लेते हैं कि वो प्रोडक्ट वही काम करता है, जैसे टीवी पर दिखाया जा रहा है

जबकि FSSAI ने इसको लेकर साफ शब्दों में बोला है कि ये प्रोडक्ट वो बनने का दावा नहीं कर सकते, जो वो नहीं हैं FSSAI राष्ट्र की एक ऐसी संस्था है जिस पर राष्ट्र में खाने-पीने के लिए बिकने वाले हर सामान की गुणवत्ता पर नजर रखने की जिम्मेदारी है वो किसी ऐसे प्रोडक्ट को राष्ट्र में नहीं बिकने देना चाहती है, जो भ्रामक दावे करके लोगों को कुछ भी बेचने की प्रयास करे

जारी हुई थी एडवाइजरी

एनर्जी या हेल्थ ड्रिंक के नाम पर मनमानी कर रही कंपनियों पर रोक लगाने के लिए, कुछ दिन पहले ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ ने इस मुद्दे में स्वास्थ्य मंत्रालय, FSSAI, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी, इसके बाद फूड रेग्युलेटर ने एडवाइजरी जारी की थी

आजकल लोग सोचते हैं कि उनका बच्चा बाकियों से इसलिए पीछे रह जाएगा क्योंकि वो हेल्दी चीजें नहीं ले रहा है इसके लिए वो अपने बच्चों को दूध में मिलाकर दिए जाने वाले मॉल्ट बेस्ड ड्रिंक पिलाने लगते हैं उनको लगता है कि ऐसा करने से दूध की शक्ति बढ़ जाएगी और कहीं ना कहीं उनके बच्चे की दिमागी और शारीरिक क्षमता भी बढ़ जाएगी

अफसोस टीवी विज्ञापनों में दिखने वाले बच्चे और उनके अभिभावक, कलाकार है, और उन्हें जो बोला जाता है वो वैसी ही करते हैं हमने दूध में विशेष पाउडर की मिलावट से शक्ति बढ़ाने वाले भ्रम पर एक्सपर्ट से बात की

प्रोडक्ट मार्केटिंग के जाल में फंस जाते हैं पैरेंट्स

हर कोई अपने बच्चों को बाकी बच्चों से अधिक तेज दिमाग वाला बनाना चाहता है लेकिन इसके लिए वो प्रोडक्ट मार्केटिंग के जाल में फंस जाता है घर में बनी सही चीजों के बजाए वो बाजार के ऐसे प्रोडक्ट को बेस्ट मानने लगता है, जिसके बारे में उसे सिर्फ़ टीवी विज्ञापनों से पता चलता है. और ये वही विज्ञापन होते हैं जिनमें कलाकार पैसे लेकर अभिनय करते हैं

अब आप स्वयं सोचिए, भरोसा किसके ऊपर कर रहे हैं? एनर्जी या हेल्थ ड्रिंक के नाम पर मिलने वाले प्रोडक्ट को लेकर लोगों की सोच क्या है, इस पर हमने एक रिपोर्ट तैयार की है

अब विदेशों का भी हाल जान लीजिए

दूध में मिलाकर पिए जाने वाले जितने भी ड्रिंक्स हैं, उनका प्रचार ये कहकर किया जाता है कि इसे पीने से स्वास्थ्य बढ़िया हो जाएगी और हाईट बढ़ जाएगी यही नहीं ये भी कहा जाता है कि दिमाग भी तेज़ हो जाएगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि यूरोपियन राष्ट्रों में इस तरह के ड्रिंक्स को क्या कहकर बेचा जाता है?

भारतीयों को भले ही हाईट बढ़ाने का छलावा देकर ये बेचा जाता हो, लेकिन यूरोपीय राष्ट्रों इसे वार्म और कम्फर्टिंग ड्रिंक कहकर बेचा जाता है इंग्लैंड में इस तरह की एक ड्रिंक का विज्ञापन, हेल्थ ड्रिंक कहकर किया जा रहा था लेकिन विज्ञापनों पर नजर रखने वाली संस्था UK Advertising Standerds Authority ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया और दोबारा ऐसा ना करने के निर्देश दिए संस्था ने इस तरह के विज्ञापन को जनता के लिए भ्रामक माना था

यूरोप में नहीं किया गया कोई दावा

आपकी टीवी स्क्रीन पर मॉल्ट बेस्ड ड्रिंक यानी जिसे दूध में मिलाकर पिया या पिलाया जाता है, उसके दो तरह के विज्ञापन हम आपको दिखा रहे हैं पहली तस्वीर इस तरह के ड्रिंक्स के भारतीय विज्ञापनों की है इसमें आप देख सकते हैं कि प्रचार के नाम पर, ये कहा जा रहा है, कि दूध में मिलाकर इसको पीने वाले बच्चे अधिक लंबे, शक्तिशाली और दिमागी रूप से तेज़ हो जाते है

इसी तरह के प्रोडक्ट की दूसरी तस्वीर यूरोपीय राष्ट्रों में किए जाने वाले विज्ञापन की हैं इसमें आप देखें तो लंबाई बढ़ाने वाला या अधिक ताकत देने वाला कोई दावा नहीं किया गया है इसे सिर्फ़ गर्म पेय की तरह पेश किया गया है साफ शब्दों में इसमें मॉल्ट ड्रिंक भी लिखा गया है

तो क्या हम ये मान लें कि दूध में मिलाकर जो चीज़ भारतीय मां-बाप अपने बच्चों को दे रहे हैं, वो यूरोपीय राष्ट्रों में बेचे जाने वाले प्रोडक्ट से अलग है? या फिर भारतीय मां-बाप के साथ विज्ञापनों के नाम पर छल किया जा रहा है?

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