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भूटान को भारत का तोहफा! भारत ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों पर जोर देते हुए, कहा…

नई दिल्ली: भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान की दो दिवसीय जरूरी यात्रा प्रारम्भ की, और अपने प्रवास के दौरान एक अमिट छाप छोड़ी. शुक्रवार, 22 मार्च, 2024 को थिम्पू के पारो हवाई अड्डे पर पहुंचने पर, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का भूटान के प्रधान मंत्री शेरिंग टोबगे ने गर्मजोशी से स्वागत किया, जो उन्हें प्यार से ‘बड़े भाई’ के रूप में संदर्भित करते थे. हवाई अड्डे से थिम्पू तक का 45 किलोमीटर का रास्ता हिंदुस्तान और भूटान दोनों के झंडों से सजाया गया था, भूटानी नागरिक आने वाले प्रधान मंत्री का स्वागत करने के लिए सड़कों पर कतार में खड़े थे.

इस यात्रा का मुख्य आकर्षण थिम्पू में ग्यालत्सुएन जेत्सुन पेमा वांगचुक मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल का उद्घाटन था, जहां प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को भूटान द्वारा दिया गया सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला. विशेष रूप से, हिंदुस्तान ने दोनों राष्ट्रों के बीच घनिष्ठ संबंधों पर बल देते हुए इस हॉस्पिटल के निर्माण के लिए पूरी तरह से वित्त पोषित किया. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने हॉस्पिटल का दौरा किया और कर्मचारियों से इसकी संरचना और सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की. हॉस्पिटल का पत्थर का स्लैब गर्व से हिंदुस्तान और भूटान दोनों के झंडे प्रदर्शित करता है.

यात्रा के दौरान, भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो से सम्मानित किया. यह गौरव प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को इस तरह की प्रशंसा पाने वाले गवर्नमेंट के पहले विदेशी प्रमुख के रूप में चिह्नित करता है. सम्मान के लिए आभारी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सम्मान को हिंदुस्तान के 1.4 अरब नागरिकों को समर्पित करते हुए भूटान नरेश के प्रति अपनी सराहना व्यक्त की. भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा ‘पड़ोसी पहले नीति’ के हिस्से के रूप में वर्णित, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा दोनों राष्ट्रों के बीच घनिष्ठ और सार्थक आदान-प्रदान की दीर्घकालिक परंपरा को रेखांकित करती है.

भूटान के प्रधान मंत्री शेरिंग टोबगे ने भी मोदी की यात्रा के दौरान काफी उत्साह दिखाया, जो हिंदुस्तान और भूटान के बीच साझेदारी को मजबूत करने की पारस्परिक ख़्वाहिश को दर्शाता है. मूल रूप से 21 और 22 मार्च को निर्धारित इस यात्रा को भूटान में प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण समय में हल्की समायोजन का सामना करना पड़ा. फिर भी, यह यात्रा हिंदुस्तान और भूटान के बीच स्थायी मित्रता और योगदान को बढ़ावा देने में एक जरूरी मील का पत्थर बनी रही.

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