राष्ट्रीय

नायब सिंह सैनी के मंत्रिमंडल में इन पांच मंत्रियों ने ली शपथ ली

हरियाणा में भाजपा ने बड़ा उलटफेर किया, गवर्नमेंट का चेहरा बदल गया, मनोहर लाल खट्टर की स्थान नायब सिंह सैनी नए सीएम बन गए नायब सिंह सैनी के मंत्रिमंडल में पांच मंत्रियों ने शपथ ली, पांचों वही चेहरे हैं, जो खट्टर की गवर्नमेंट में मंत्री थे यानि हरियाणा में केवल गवर्नमेंट का मुख्यमंत्री  बदला है बुधवार को विधानसभा में सैनी ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया, जो ध्वनिमत से पास हो गया मंगलवार को चंडीगढ़ में जो हुआ, वो अप्रत्याशित था, किसी को भनक तक नहीं लगी, दूर-दूर तक कोई आशा नहीं थी सोमवार को ही मनोहर लाल खट्टर द्वारका एक्सप्रैस-वे के उद्घाटन के मौके पर पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ मंच पर थे मोदी ने खट्टर की जमकर प्रशंसा की थी उस समय किसी को नहीं लगा कि ये खट्टर के लिए विदाई भाषण हो सकता है इसीलिए मंगलवार सुबह जब समाचार आई तो हर कोई दंग था

सुबह हलचल हुई, दोपहर होते होते खट्टर त्याग-पत्र देने राजभवन पहुंच गए दिल्ली से दो प्रेक्षक चंड़ीगढ़ पहुंच गए विधायक दल की बैठक हुई नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुना गया लेकिन इस निर्णय से अनिल विज नाराज हो गए बैठक बीच में छोड़कर वापस अंबाला अपने घर चले गए शाम को नयी गवर्नमेंट का शपथग्रहण हो गया, पर अनिल विज कार्यक्रम में नहीं पहुंचे लेकिन बड़ी बात ये है कि जननायक जनता पार्टी के दस में से तीन विधायक शपथ कार्यक्रम में उपस्थित थे अब प्रश्न ये है कि क्या नेतृत्व बदलाव के साथ साथ हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की पार्टी टूट जाएगी? आखिर भाजपा ने अचानक खट्टर को क्यों हटाया? नायब सैनी को सीएम बनाकर पीएम मोदी ने क्या संकेत दिया है?

बीजेपी ने हरियाणा में चुनाव से पहले जिस तरह नेतृत्व बदलाव का निर्णय किया, उस तरह के प्रयोग भाजपा ने पहले भी किए हैं उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत की पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंपी, गुजरात में विजय रूपाणी की स्थान भूपेन्द्र पटेल को सीएम बनाया, त्रिपुरा में विप्लव देव को हटा कर माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया और कर्नाटक में येदियुरप्पा की स्थान बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया कर्नाटक को छोड़कर बाकी स्थान भाजपा की रणनीति सफल रही इसलिए हो सकता है खट्टर को बदलने के पीछे दस वर्ष की एंटी इनकंबैसी से बचने की रणीनीति हो लेकिन ये केवल एक कारण नहीं हैं, क्योंकि लोकसभा का चुनाव तो नरेन्द्र मोदी के नाम और उनके काम पर होना है इसलिए इसके पीछे दूसरे कारण भी हैं

नायब सिंह सैनी नया चेहरा हैं, उम्र कम है, किसी तरह का कोई बैगेज नहीं हैं, संगठन के आदमी हैं और जातिगत समीकरणों में फिट बैठते हैं नायब सिंह सैनी पिछड़े वर्ग से आते हैं, जिनका हरियाणा में करीब 25 प्रतिशत वोट है इसके अतिरिक्त ब्राह्मण, पंजाबी और बनिया वोट भी करीब इतना ही है जबकि जाट वोट करीब तीस प्रतिशत है वैसे पिछले चुनाव में जाटों का समर्थन भाजपा को नहीं मिला था, कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनकड़ और सुभाष बराला जैसे अनेक जाट नेता चुनाव हार गए थे, अब वीरेन्द्र सिंह के बेटे ब्रजेन्द्र सिंह भी भाजपा छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं, इसलिए भाजपा की निगाह गैर-जाट वोटों पर है

अब हरियाणा में चार पार्टियां होगीं – बीजेपी, कांग्रेस, ओमप्रकाश चौटाला की INLD और दुष्यन्त चौटाला की JJP यानि जाटों का वोट यदि भाजपा को न मिला तो तीन पार्टियों में बंटेगा, और यदि भाजपा गैर-जाट जातियों को अपने पक्ष में कर लेती है तो सभी दस लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य पूरा हो सकता है और ये फॉर्मूला विधानसभा चुनाव में भी काम कर सकता है मुझे लगता है कि इसीलिए भाजपा ने ये दांव चला है हालांकि अब मनोहर लाल खट्टर का क्या होगा, क्या वह कुरूक्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लडेंगे या संगठन में काम करेंगे, इसका निर्णय भाजपा की चुनाव समिति करेगी

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