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देश में पहले चरण का मतदान हो जाएगा, तब भी जेल में रहेंगे केजरीवाल : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम न्यायालय ने सोमवार को बोला कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा 21 मार्च को की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की याचिका पर दो सप्ताह बाद 29 अप्रैल को सुनवाई करेगा. इससे पहले आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो की याचिका 9 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी. यानी 19 अप्रैल को जब देशभर में लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग होगी, उस समय केजरीवाल कारावास में ही रहेंगे.

इस बीच, दिल्ली की राऊज एवेन्यू न्यायालय ने सीएम की न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल तक बढ़ा दी है, जो वर्तमान में तिहाड़ कारावास में बंद हैं. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ ने दिल्ली शराब नीति मुद्दे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मुद्दे में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी के विरुद्ध केजरीवाल की याचिका पर आज सुनवाई की. न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय को भी नोटिस जारी किया और जांच एजेंसी से 24 अप्रैल तक उत्तर मांगा. दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने कहा, “नोटिस जारी करें, जिसे 29 अप्रैल, 2024 से प्रारम्भ होने वाले हफ्ते में वापस किया जा सकता है.

केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील और कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायालय से कहा, “मैं इस मुद्दे में इस शुक्रवार को जल्द सुनवाई की  मांग कर रहा हूं. मुद्दे में चुनिंदा लीक हैं.” इस पर जस्टिस खन्ना ने उत्तर दिया, ‘आपको एक तारीख देंगे, लेकिन आपके द्वारा सुझाई गई तारीख संभव नहीं है.‘ सिंघवी ने यह भी बोला कि “याचिकाकर्ता (केजरीवाल) का नाम प्रवर्तन मुद्दे की सूचना रिपोर्ट (ECIR) या आरोपपत्र में नहीं था. उसमे 15 बयान हैं.” उन्होंने केजरीवाल के हवाले से कहा, ”गिरफ्तारी मुझे चुनाव प्रचार से वंचित करने के लिए थी.

केजरीवाल ने 10 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय का रुख किया, जिसके एक दिन बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें बोला गया था कि उन्होंने मुद्दे में “दूसरों के साथ षड्यंत्र रची थी.” AAP के राष्ट्रीय संयोजक की याचिका में यह भी बोला गया है कि उनकी गिरफ्तारी “प्रेरित ढंग से” की गई थी और यह पूरी तरह से बाद के, विरोधाभासी और “सह-अभियुक्तों के अत्यधिक देर से दिए गए बयानों” पर आधारित थी, जो अब सरकारी गवाह बन गए हैं. इसमें उनकी रिहाई और गिरफ्तारी को “अवैध” घोषित करने की मांग की गई है. इसके अतिरिक्त सोमवार को पंजाब के सीएम भगवंत मान ने तिहाड़ कारावास में केजरीवाल से मुलाकात की.
हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि शराब घोटाले में केजरीवाल के विरुद्ध शिकायती पत्र भी कांग्रेस पार्टी ने ही लिखा था, लेकिन उस समय कांग्रेस-AAP में गठबंधन नहीं था. आज दोनों INDIA अलायन्स में शामिल हैं, तो एक दूसरे का बचाव करना गठबंधन का धर्म बन जाता है.  इसीलिए आज कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी,, दिल्ली मुख्यमंत्री केजरीवाल को राहत दिलवाने के लिए पूरी प्रयास कर रहे हैं हालाँकि, कांग्रेस पार्टी 2022 में शराब घोटाले की कम्पलेन लेकर दिल्ली पुलिस के पास पहुंची थी और केजरीवाल का इस्तीफ़ा माँगा था. दिल्ली कांग्रेस पार्टी इकाई के तत्कालीन अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने जून 2022 में तब दिल्ली पुलिस कमिश्नर रहे राकेश अस्थाना को एक पत्र लिखते हुए केजरीवाल गवर्नमेंट की आबकारी नीति में घोटाले की कम्पलेन की थी. कांग्रेस पार्टी नेता अनिल कुमार ने अपने पत्र में बोला था कि कई कम्पनियों ने नयी आबकारी नीति के अनुसार गैर कानूनी तौर पर ठेके पाए हैं और एकाधिकार बाजार खड़ा किया है.

उन्होंने आरोप लगाया था कि कई कम्पनियाँ, फर्जी कम्पनियों के नाम से शराब नीलामी में शामिल हुईं और बड़े ऑफिसरों सहित मंत्रियों के चलते ठेके ले भी लिए. इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और मौजूदा कोषाध्यक्ष अजय माकन ने भी दिल्ली में हुए शराब घोटाले पर एक प्रेस वार्ता की थी और बोला था कि केजरीवाल ने कांग्रेस पार्टी को हराने के लिए शराब माफियाओं से 100 करोड़ रुपए लिए और इससे ही पार्टी की फंडिंग हुई. अजय माकन ने तो केजरीवाल के शीशमहल मुद्दे में भी इल्जाम लगाए थे. बीजेपी कह रही थी की केजरीवाल ने अपने बंगले को सँवारने में 44 करोड़ खर्च किए, वहीं कांग्रेस पार्टी नेता अजय माकन ने दावा किया था कि 171 करोड़ खर्च हुए, उन्होंने प्रेस वार्ता में इसे समझाया भी था. लेकिन अब अचानक केजरीवाल की गिरफ़्तारी उसी कांग्रेस पार्टी को लोकतंत्र की मर्डर लगने लगी है, शायद इसके पीछे कारण गठबंधन ही है. वरना, केजरीवाल की कम्पलेन तो कांग्रेस पार्टी ने ही की थी.

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