राष्ट्रीय

दलबदलू क्या इस बार भी जिता पाएंगे चुनाव

Lok sabha Election : राष्ट्र में लोकसभा चुनाव का माहौल है और पार्टी बदलने वालों की तादाद अचानक काफी बढ़ गई है साथ ही कई पूर्व नौकरशाह, राजदूत और सरकारी पदों पर रह चुके कद्दावर भी राजनीति में आ रहे हैं या आ चुके हैं बीजेपी, कांग्रेस पार्टी और दूसरे राजनीतिक दलों ने इन्हें टिकट या पार्टी में बड़ा पद देकर दांव भी लगाया है आंकड़े बताते हैं कि 2019 में विभिन्न दलों ने 75 ऐसे उम्मीदवार उतारे थे, जो दूसरे दलों या पूर्व नौकरशाह थे एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार इनमें 47 लोग चुनाव हार गए थे अब देखना यह होगा कि 2024 में यह रणनीति कितना कारगर होगी?

 

400 सीट छूने का सपना

बीजेपी इस बार 543 लोकसभा सीट पर 400 सीट का आंकड़ा छूने की बात कह रही है उसने भी दलबदलू नेताओं के साथ पूर्व नौकरशाहों को विभिन्न लोस सीटों से टिकट दिया है इसके अतिरिक्त पार्टी सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए एक तरीका पहले भी अपनाती रही है वह हर चुनाव में मौजूदा सांसदों-विधायकों में से 20 से 30 फीसद को दोबारा टिकट नहीं देती टिकट न पाने वालों में उन लोगों की संख्या अधिक रहती है, जो गवर्नमेंट में मंत्री थे

दलबदलू को टिकट देना गेम्बल जैसा

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि दलबदलू या पूर्व नौकरशाह को टिकट देना एक Gamble जैसा है कभी कभार इस प्रयोग में दल सफल रहे हैं और कुछ बार बड़े मार्जिन से चूके भी हैं दल बदलने वाले नेताओं को पार्टियां टिकट या पार्टी में पद इसलिए देती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनके जनाधार का लाभ मिलेगा यदि उन्हें पहचान नहीं दी जाएगी तो उनके समर्थक अलग-थलग पड़ जाएंगे

2019 में ये कद्दावर हारे चुनाव

2019 में जो कद्दावर सफल नहीं हो पाए, उनमें शत्रुघ्न सिन्हा, बैजयंत जय पांडा और मानवेंद्र सिंह जैसे नाम शामिल हैं सिन्हा भाजपा से कांग्रेस पार्टी में आए थे, लेकिन पटना साहिब सीट पर चुनाव हार गए इसी तरह बैजयंत जय पांडा बीजद से भाजपा में आए और केंद्रपाड़ा से लड़े जबकि मानवेंद्र सिंह ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बाड़मेर से चुनाव लड़ा और जीत नहीं पाए भाजपा के एक पदाधिकारी के अनुसार पार्टी की अहमियत पहले अपने लॉयलिस्ट को टिकट देना है लेकिन बाद में बात जीत पर निर्भर करने लगती है

4 राज्यों में भाजपा का फॉर्मूला

बीजेपी ने 19 अप्रैल से होने वाले चुनाव के लिए 417 उम्मीदवारों के नाम का घोषणा कर दिया है इनमें कुछ कद्दावर नेता ऐसे हैं, जिन्होंने दल बदला है उन्हें टिकट भी दिया गया है ये वे राज्य हैं, जहां भाजपा अपना वोट शेयर बढ़ाना चाहती है इनमें तेलंगाना, ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश शामिल हैं

 

11 में 4 उम्मीदवार हाल में हुए शामिल

11 नामों की ताजातरीन लिस्ट में 4 लोग ऐसे हैं, जो हाल में भाजपा का हिस्सा बने हैं 6 बार से सांसद भर्तुहरि महताब ने बीजद छोड़ भाजपा का दामन थामा है उन्हें कटक से चुनाव लड़ाया जा रहा है पंजाब में कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को लुधियाना, आप के इकलौते सांसद सुशील कुमार रिंकू को जालंधर और पटियाला से कांग्रेस पार्टी की पूर्व सांसद प्रणनीत कौर को टिकट दिया गया है तीनों ने हाल में भाजपा ज्वाइन की है

कसौटी पर परखे गए नए नेता

एक भाजपा पदाधिकारी के अनुसार पार्टी बाहरी नेताओं के सियासी रसूख, उनकी जाति या समुदाय के ऊपर वर्चस्व और लोकप्रियता के आधार पर विचार करती है हाल में शामिल हुए नेताओं को भी इस कसौटी पर परखा गया है पार्टी को आशा है कि वे चुनाव में जीत दर्ज करेंगे पार्टी ने गुजरात, मध्य प्रदेश और यूपी में ऐसे ज्यादातर नेताओं को टिकट दिया है गुजरात में सबरकंठ से कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक महेंद्र बरिया की पत्नी शेभना बरिया और सुरेंद्रनगर से चंदू सिहोरा को टिकट दिया गया है बीते सप्ताह भीखाजी ठाकोर के समर्थकों ने सबरकंठ से दूसरे नेता को उम्मीदवार बनाने का विरोध भी दर्ज कराया था

 

यूपी में 80 लोकसभा सीटें

उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं भाजपा वहां गठबंधन कर रही है और नेताओं को अपने दल में मिला रही है पार्टी ने कांग्रेस पार्टी के पूर्व कद्दावर नेता जितिन प्रसाद और कृपशंकर सिंह को टिकट दिया है, जिन्होंने 2021 में भाजपा ज्वाइन की थी

हरियाणा में कई नए नाम

हरियाणा में बीजेपी-जननायक जनता पार्टी गठबंधन टूट गया, उसके बाद कई नए चेहरे सामने आए इनमें कुरुक्षेत्र से नवीन जिंदल, सिरसा से अशोक तंवर और हिसार से रंजीत सिंह को टिकट दिया गया है

तेलंगाना-आंध्र प्रदेश में बीजेपी

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भाजपा में अपना दबदबा कायम नहीं कर पाई है पार्टी यहां उन लोगों पर निर्भर है, जो दूसरे दलों से आ रहे हैं इनमें तेलंगाना में हिंदुस्तान देश समिति और आंध्र प्रदेश में टीडीपी, कांग्रेस पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता शामिल हैं

 

अटल जी के समय से यह व्यवस्था

एक अन्य पदाधिकारी ने बोला कि पार्टी कुछ जगहों से राजदूत और नौकरशाह को टिकट देकर चुनाव लड़ा रही है गवर्नमेंट के पूर्व अफसरों का खास जनाधार नहीं होता और न ही वे किसी जातिगत या भाषाई समीकरण से जुड़े होते हैं, इसके बावजूद चुनाव में उनके जीतने की आसार अधिक है पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के समय से ही पार्टी राजदूत और नौकरशाह को गवर्नमेंट में शामिल करती आई है और उन्होंने पार्टी को मजबूती प्रदान की है

2019 में हुए थे सफल

2019 में पार्टी ने हरदीप पुरी, आरके सिंह, सतपाल सिंह जैसे पूर्व नौकरशाह को मौका दिया इस बार अमेरिका में पूर्व भारतीय राजदूत रहे तरणजीत सिंह संधू को अमृतसर से मौका दिया जा रहा है इसके अतिरिक्त पूर्व आईपीएस में वीरभूम से देबाशीष धर, झारग्राम से सरकारी चिकित्सक प्रांतू टूडू और तमलुक से पूर्व उच्च न्यायालय न्यायधीश अभिजीत गंगोपाध्याय को टिकट दिया गया है

Related Articles

Back to top button