राष्ट्रीय

क्या थी चीन और पाकिस्तान की साजिश, ऐसे रोका गया साइबर अटैक

राष्ट्र जब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का इतंजार कर रहा था तब साइबर क्रिमिनल इस आयोजन को बाधित करने की प्रयास में लगे थे लेकिन सरकारी एजेंसियों की सक्रियता के आगे उनके इरादे असफल रहे जिस समय पूरे राष्ट्र की नजरें अयोध्या पर थी 100 करोड़ हिंदू और विदेश में बैठे लाखों राम भक्त ईश्वर की भक्ति में लीन थे उस समय चीन और पाक में इस कार्यक्रम के विरुद्ध घातक षड्यंत्र रची जा रही थी ये षड्यंत्र कुछ-कुछ आतंकवादी हमले जैसे थी लेकिन हमारे राष्ट्र के साइबर वीरों ने इन हमलों को बार-बार असफल किया 22 जनवरी ही वो दिन था जब स्वयं पीएम मोदी प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या पहुंचे थे इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कई दिनों से भव्य तैयारी चल रही थी लेकिन कुछ मिलाकर 15 मिनट में पांच करोड़ से अधिक बार बेवसाइटों को हैक करने की प्रयास की गई थी

 अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से ठीक पहले चीन और पाक ने साथ मिलकर षड्यंत्र रची थी चीन और पाक के हैकर्स भारतीय वेबसाइट को निशाना बना रहे थे इस बात का खुलासा भारतीय अखबार इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में किया है रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हैकर्स ने राम मंदिर, प्रसार भारती और उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट से जुड़ी कई वेबसाइट को हैक करने की प्रयास की थी रिपोर्ट में बोला गया है कि हिंदुस्तान का टेलीकॉम ऑपरेशन सेंटर यानी टीएसओसी प्राण प्रतिष्ठा से पहले करीब 200 वेबसाइट पर नजर रख रहा था इसमें राम मंदिर, प्रसार भारती, उत्तर प्रदेश पुलिस, एयरपोर्ट, उत्तर प्रदेश टूरिज्म समेत कई वेबसाइट शामिल हैं इस दौरान टीएसओसी को करीब 140 आईपी एड्रेस ऐसे मिले थे जो राम मंदिर और प्रसार भारती वेबसाइट को टारगेट कर रहे थे रिपोर्ट के अनुसार 21 जनवरी को पाक और चीन की तरफ से साइबर अपराध की कोशिशें तेज हो गई थी इस दौरान करीब 1244 आईपी एड्रेस ब्लॉक कर दिए गए थे इनमें से 999 चीन के थे जबकि बाकी पाकिस्तान, हॉगकांग और कंबोडिया के थे इसके अतिरिक्त कुछ आईपी एड्रेस हिंदुस्तान के ही थे जिनके विरुद्ध महत्वपूर्ण कार्रवाई की गई थी रिपोर्ट के अनुसार एक भारतीय अधिकारी ने कहा है कि इन साइबर हमलों का सामना राष्ट्र में बनी तकनीक के जरिए किया गया है

मॉनिरिटरिंग और रिएक्शन से रोका गया अटैक

इस तरह के अटैक को रोकने के लिए टेलीकॉम सिक्योरिटी ऑपरेशन सेंटर (टीएसओसी) किसी भी साइबर हमले को रोकने के लिए राम मंदिर, प्रसार भारती, उत्तर प्रदेश पुलिस, हवाई अड्डे, उत्तर प्रदेश पर्यटन और पावर ग्रिड सहित लगभग 264 वेबसाइटों की नज़र कर रहा था ये नज़र चौबीसों घंटे चल रही थी इस दौरान ये देखा गया कि लगभग 140 आईपी एड्रेस राम मंदिर और प्रसार भारती वेबसाइट को टारगेट कर रहे थे आईपी की पहचान के बाद एजेंसी की तरफ से इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों से इनका एक्सेस बंद करने के लिए बोला गया इन आईपी एड्रेस को ब्लॉक करने के बाद भी देखा गया कि 21 जनवरी को इन राष्ट्रों से दुर्भावनापूर्ण गतिविधियां बढ़ गई इसके बाद और आईपी एड्रेस ब्लॉक किए गए आपको बता दें कि कुल 1244 आईपी एड्रेस को ब्लॉक करने के बाद हमले कम हुए इसके साथ ही साइबर हमले से डिजिटल संपत्तियों को सुरक्षित रखने के अतिरिक्त डीओटी ने डिजिटल डेटा का इस्तेमाल करके भीड़ प्रबंधन का भी ध्यान रखा था

 G20 के समय चीन समेत इन राष्ट्रों के हैकर्स ने की नापाक हरकत

इससे पहले जी20 समिट के दौरान भी हिंदुस्तान के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की रक्षा के लिए इन तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था  G20 शिखर सम्मेलन के दौरान सरकारी वेबसाइट को हैक करने के लिए हर मिनट 16 लाख साइबर अटैक किए गए थे साइबर क्रिमनल अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाए थे  गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले भारतीय साइबर अपराध को-ऑर्डिनेशन सेंटर (I4सी) ने G20 शिखर सम्मेलन के दौरान हर मिनट 16 लाख डिस्ट्रब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस (डीडीओएस) हमले हुए मगर, हैकर किसी भी वेबसाइट को निशाना नहीं बना पाए

2023 में 400 मिलियन से अधिक साइबर अटैक

भारत में 2023 में लगभग 8.5 मिलियन एंडपॉइंट्स पर 400 मिलियन से अधिक साइबर खतरे देखे गए औसतन 76 डिटेक्शन प्रति मिनट दिसंबर की एक रिपोर्ट के अनुसार, सूरत (15 प्रतिशत) और बेंगलुरु (14 प्रतिशत) में सबसे अधिक संख्या में पहचाने गए मुद्दे सामने आए हैं एंटरप्राइज़ साइबर सुरक्षा निवारण प्रदाता सेक्राइट के योगदान से डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इण्डिया (डीएससीआई) की रिपोर्ट के मुताबिक, 49 मिलियन व्यवहार-आधारित पहचानें हुईं, जो कुल जांच का 12.5 फीसदी है 50 फीसदी से अधिक पहचान हटाने योग्य मीडिया और नेटवर्क ड्राइव से जुड़ी होती हैं और लगभग 25 फीसदी हमले ईमेल और वेबसाइटों में दुर्भावनापूर्ण लिंक पर क्लिक करने के परिणामस्वरूप होते हैं 2023 में प्रति एंड्रॉइड डिवाइस पर प्रति माह औसतन तीन हमले देखे गए ”डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इण्डिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनायक गोडसे का बोलना है कि साइबर अपराध इंजीनियरिंग विविध आक्रमण पद्धतियों के साथ तेजी से जटिल होती जा रही है इसके अतिरिक्त, रैंसमवेयर लेखक लगातार अपनी कार्यप्रणाली विकसित करते हैं और पारंपरिक हस्ताक्षर-आधारित पहचान से बचने के लिए परिष्कृत तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं चौंकाने वाली बात यह है कि Google Play Store पर होस्ट किए गए नकली और दुर्भावनापूर्ण एप्लिकेशन को लाखों उपयोगकर्ताओं द्वारा डाउनलोड किया गया है, जिनमें SpyLoan ऐप्स, नकली ऐप्स, HidAdd ऐप्स और बहुत कुछ शामिल हैं, जैसा कि निष्कर्षों से पता चला है रिपोर्ट के अनुसार, रैनसमवेयर हमले पारंपरिक हस्ताक्षर-आधारित पहचान तकनीकों से बचकर एक बड़ा खतरा पैदा करते हैं, जो मैलवेयर बनाम रैंसमवेयर घटना अनुपात निष्कर्षों में साफ है

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