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केजरीवाल के गिरफ़्तारी के बाद ईडी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर की जनहित याचिका

नई दिल्ली: शराब घोटाले के मुद्दे में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद, दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की गई है, जिसमें उन्हें सीएम पद से हटाने की मांग की गई है. दिल्ली निवासी सुरजीत सिंह यादव द्वारा दाखिल याचिका में तर्क दिया गया है कि वैसे केजरीवाल वित्तीय घोटाले में फंसे हैं, इसलिए उन्हें सार्वजनिक पद संभालने से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए. स्वयं को एक किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले यादव ने जनहित याचिका में दलील दी है कि केजरीवाल का कार्यकाल कानूनी प्रक्रिया में बाधा डाल सकता है, जिससे संभावित रूप से राज्य में कानूनी प्रबंध चरमरा सकती है.

शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मुद्दे में प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल को उनके आवास से अरैस्ट किया था. बाद में उन्हें राउज़ एवेन्यू न्यायालय में पेश किया गया, जहां प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया कि केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति घोटाले में मास्टरमाइंड और मुख्य साजिशकर्ता के रूप में केंद्रीय किरदार निभाई. अभियोजन पक्ष ने क्राइम की आय का इस्तेमाल करने और नीति तैयार करने में केजरीवाल की प्रत्यक्ष भागीदारी पर बल देते हुए 10 दिन की रिमांड की मांग की.

अदालत को सूचित किया गया कि शराब नीति ने रिश्वतखोरी को बढ़ावा दिया, जिसमें विजय नायर आम आदमी पार्टी और के कविता के नेतृत्व वाले साउथ कार्टेल के बीच बिचौलिए के रूप में काम कर रहे थे. प्रवर्तन निदेशालय ने खुलासा किया कि केजरीवाल ने कथित तौर पर साउथ ग्रुप से जुड़े कुछ व्यक्तियों से 100 करोड़ रुपये की मांग की और शराब नीति पर योगदान पर चर्चा करने के लिए पर्सनल रूप से कविता से मुलाकात की. एजेंसी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि न सिर्फ़ क्राइम की आय 100 करोड़ रुपये थी, बल्कि घूस देने वालों द्वारा अर्जित फायदा भी क्राइम की आय थी.

 

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