राष्ट्रीय

काम के घंटों की लड़ाई से जन्मा अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस

International Labour Day 2024: अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस हर वर्ष 1 मई को मनाया जाता है इसे मई दिवस भी बोला जाता है मई दिवस श्रमिकों के अधिकारों की जंग से जुड़ा हुआ दिन है इस जंग के जन्म के पीछे काम के घंटे को कम करने का आंदोलन है आज के समय में यदि आपका नियोक्ता 8 घंटे से अधिक काम लेता है तो अमूमन उसे ओवरटाइम बोला जाता है और इस ओवरटाइम के बदले आपको अतिरिक्त वेतन दिया जाता है यदि आप से ओवरटाइम करवाया जा रहा है और इस ओवरटाइम के बदले कुछ नहीं दिया जा रहा है तो आपका नियोक्ता मजदूर कानून के उल्लंघन में फंस सकता है

जब 20 घंटे काम करते थे मजदूर
अब जरा उस समय की बात करते हैं जब काम के घंटे तय नहीं थे तब मजदूर सोलह से 18 घंटे काम करते थे और इसके बदले कोई अतिरिक्त वेतन नहीं दिया जाता था हो सकता है आज भी कई जगहों पर ऐसी स्थितियां हों, लेकिन हर कोई इस हालात को अमानवीय ही कहेगा लेकिन, जब अमेरिका में फैक्ट्री प्रबंध प्रारम्भ हुई थी तो श्रमिकों से 16 से 18 घंटे काम लेना सामान्य बात थी इस प्रथा का सबसे पहला विरोध 1806 में अमेरिका के फिलाडेल्फिया के मोचियों ने किया मोचियों ने हड़ताल कर दी अमेरिका की गवर्नमेंट ने इन मोचियों पर केस कर दिया इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान पहली बार यह बात सामने आई की इन श्रमिकों से 19 या 20 घंटे तक काम करवाया जा रहा है

1827 में दुनिया की पहली ट्रेड यूनियन मानी जाने वाली ‘मैकेनिक्स यूनियन ऑफ फिलाडेल्फिया’ ने काम के घंटे को 10 घंटे करने के लिए हड़ताल की इसके बाद भिन्न-भिन्न ट्रेड यूनियनों ने काम के घंटों को कम करने और अच्छे वेतन की मांग के लिए आंदोलन किया

इस तरह जन्मा ‘8 घंटे काम’ का नारा
सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया के इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री के श्रमिकों ने ‘8 घंटे काम, 8 घंटे मनोरंजन और 8 घंटे आराम’ का नारा दिया उनकी यह मांग 1856 में ही मान ली गई लेकिन काम को 8 घंटे करने की यह मांग अमेरिका में पहली बार 1866 में सुनाई दी 1866 में अमेरिका में ‘नेशनल लेबर यूनियन’ का गठन हुआ अपने स्थापना सम्मेलन में इस संगठन ने यह मांग की कि अमेरिका के सभी राज्यों में काम के घंटे को 8 घंटे किया जाए 

इसके बाद इस आंदोलन ने बल पकड़ा और 1868 में अमेरिकी कांग्रेस पार्टी ने इस बारे में एक कानून भी पास कर दिया लेकिन, यह कानून जमीन पर हकीकत का रूप नहीं ले सका भिन्न-भिन्न मजदूर संगठनों द्वारा काम के घंटे को 8 घंटे करने की मांग कायम रही 1877 में अमेरिका में इस मांग को लेकर बहुत बड़ी हड़ताल भी हुई बाद में ‘द अमेरिकन फेडरेशन ऑफ लेबर’ नामक ट्रेड यूनियन ने ‘नाइट्स ऑफ लेबर’ नामक ट्रेड यूनियन के साथ मिलकर इस मांग को अंतिम अंजाम देने का निर्णय किया 7 अक्टूबर 1884 को ‘द अमेरिकन फेडरेशन ऑफ लेबर’ ने यह घोषणा कि वह 1 मई 1886 से ‘काम के घंटे को 8 घंटे करने’ की मांग के साथ हड़ताल करेगी फेडरेशन ने सभी मजदूर संगठनों से हड़ताल में शामिल होने की अपील की इस अपील का व्यापक असर हुआ

हे बाजार की घटना से हुआ ‘मई दिवस’ का जन्म
1 मई, 1886 को पूरे अमेरिका में बड़े पैमाने पर हड़ताल हुई इस हड़ताल का मुख्य केंद्र शिकागो था शिकागो की हड़ताल में कई मजदूर संगठनों ने एक साथ मिलकर हिस्सा लिया इस आंदोलन से शिकागो के फैक्ट्री मालिक हिल गए थे 3 मई को पुलिस ने शिकागो में श्रमिकों की एक सभा पर बर्बर दमन किया, जिसमें 6 मजदूर मारे गए और कई घायल हुए इस घटना की आलोचना करने के लिए 4 मई को मजदूर शिकागो के ‘हे बाजार स्क्वायर’ पर एकत्र हुए

इस सभा के समाप्त होने के समय श्रमिकों की भीड़ पर एक बम फेंका गया इसमें चार मजदूर और सात पुलिसवाले मारे गए इसके बाद चार मजदूर नेताओं को फांसी की सजा सुनाई गई हे बाजार की इस घटना ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा 14 जुलाई, 1889 को पेरिस में पूरे विश्व के समाजवादी और कम्युनिस्ट नेता ‘दूसरे कम्युनिस्ट इंटरनेशनल’ के गठन के लिए एकत्र हुए 

1890 में पहली बार इंकार मई दिवस
अन्य राष्ट्रों के नेता भी अमेरिका के मजदूर आंदोलन से प्रभावित हुए और उन्होंने 1 मई, 1890 को पूरे विश्व में श्रमिकों की मांग को लेकर मई दिवस मनाने का निर्णय लिया इसमें सबसे प्रमुख मांग ‘काम के घंटे को आठ घंटे करने’ की थी 1890 में 1 मई को ‘मई दिवस’ अमेरिका के साथ-साथ यूरोप के कई राष्ट्रों में मनाया गया तब से लेकर आज तक 1 मई को इंटरनेशनल लेबर डे के रूप में मनाया जा रहा है संयुक्त राष्ट्रसंघ भी हर वर्ष 1 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस’ के रूप में मनाता है हिंदुस्तान में पहली बार 1 मई, 1923 को लेबर किसान पार्टी ने मद्रास (अब चेन्नई) में मई दिवस मनाया था हिंदुस्तान में तभी पहली बार किसी कार्यक्रम में लाल झंडे का प्रयोग किया गया था

Related Articles

Back to top button