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ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीएए 2019 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की…

 एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आज (शनिवार) उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल कर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2019 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है. ओवैसी की ओर से दाखिल याचिका में बोला गया है, ”जब सीएए से संबंधित विभिन्न मुद्दे न्यायालय में लंबित हैं, तो गवर्नमेंट को नागरिकता संशोधन अधिनियम की धारा 6बी के अनुसार नागरिकता मांगने वाले किसी भी आवेदन को स्वीकार नहीं करना चाहिए या उस पर विचार नहीं करना चाहिए उच्चतम न्यायालय को तदनुसार निरोधक आदेश जारी करना चाहिए.

इससे पहले, शुक्रवार को हैदराबाद में एक बैठक में बोलते हुए, ओवैसी ने कहा, “असम के सीएम हेमंत बिस्वा ने बोला कि राज्य में आयोजित एनसीआर में सूचीबद्ध 12 लाख हिंदुओं को नागरिकता संशोधन अधिनियम के अनुसार भारतीय नागरिकता दी जाएगी. लेकिन डेढ़ लाख मुसलमानों का क्या? उनसे (मुसलमानों से) पूछा जाएगा कि वे 1962 में आए थे या 1951 में. उनसे अपने दादा का जन्म प्रमाण पत्र दिखाने को बोला जाएगा. एनसीआर जनगणना में शामिल नहीं किए गए 1.5 लाख मुसलमानों से फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में जाकर लड़ने का आग्रह किया जाएगा. भाजपा का बोलना है कि तुरंत कुछ नहीं होगा. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि सीएए का मामला तुरंत सामने नहीं आएगा.

सीएए कार्यान्वयन और विवाद: नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) दिसंबर 2019 में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था. हालाँकि, नियम इस हफ्ते की आरंभ में (सोमवार) जारी किए गए थे. यह अधिनियम पड़ोसी राष्ट्रों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले हिंदुस्तान में शरण लेने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करता है. नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध 2019 से लेकर अब तक 200 से अधिक मुद्दे उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं इन पर 19 मार्च को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होने वाली है

नागरिकता संशोधन कानून के घोषणा की विपक्षी पार्टियों ने आलोचना की है अधिसूचना की असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष नागरिकता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाली निंदा की गई है. हालाँकि, नागरिकता संशोधन अधिनियम लोगों को नागरिकता देने के लिए बनाया गया था. केंद्र गवर्नमेंट ने बोला है कि वह किसी की नागरिकता नहीं छीनेगी

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