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ऑपेशन मेघदूत: सेना ने बदलाव के कई पहलुओं को किया साझा

‘ऑपरेशन मेघदूत’ की 40वीं वर्षगांठ पर इंडियन आर्मी ने ऑफिसरों ने हाल के दिनों में भारतीय रक्षा बलों द्वारा सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में की गई कुछ प्रमुख पहलों के बारे में बताया. जिसमें हेलीकॉप्टर और लॉजिस्टिक ड्रोन का भी जिक्र किया गया. सेना ऑफिसरों के मुताबिक, जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में काफी सुधार हुआ है. खासकर उन चौकियों पर जहां भयंकर सर्दियों में जवान तैनात रहते हैं. ऑफिसरों ने कहा कि विशेष कपड़ों, पर्वतारोहण उपकरणों और राशन की उपलब्धता ने सैनिकों को दुनिया के सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र की सख्त परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता को बढ़ा दिया है.

कड़े मौसम में भी मुस्तैदी से खड़े भारतीय जवान- सेना

अधिकारियों ने हाल ही में सेना के आधुनिकरण पर बोला था कि प्रत्येक सैनिक के पास पॉकेट वेदर ट्रैकर्स जैसे गैजेट मौसम के बारे में समय पर अपडेट प्रदान करते हैं और उन्हें संभावित हिमस्खलन के बारे में चेतावनी देते हैं. ट्रैक के एक व्यापक नेटवर्क के विकास और ऑल-टेरेन व्हीकल्स (एटीवी) की शुरूआत से ग्लेशियर के पार गतिशीलता में काफी सुधार हुआ है. डीआरडीओ द्वारा विकसित एटीवी पुलों जैसे नवाचारों ने सेना को प्राकृतिक बाधाओं पर काबू पाने में सक्षम बनाया है, जबकि हवाई केबलवे में उच्च गुणवत्ता वाली डायनेमा रस्सियां सबसे दूरस्थ चौकियों तक भी बिना रुकावट आपूर्ति लाइनें सुनिश्चित करती हैं.

‘मोबाइल और डेटा कनेक्टिविटी का काफी सुधार हुआ’

‘ऑपरेशन मेघदूत’ की 40वीं वर्षगांठ पर इंडियन आर्मी ने ऑफिसरों ने हाल के दिनों में भारतीय रक्षा बलों द्वारा सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में की गई कुछ प्रमुख पहलों पर बोला कि मोबाइल और डेटा कनेक्टिविटी में काफी सुधार हुआ है. वीएसएटी तकनीक की शुरूआत ने ग्लेशियर पर संचार में क्रांति ला दी है, जिससे सैनिकों को डेटा और इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान की जा रही है. प्रौद्योगिकी में इस छलांग ने असली जागरूकता, टेलीमेडिसिन क्षमताओं और हमारे सैनिकों को उनके परिवारों से जोड़े रखकर उनकी भलाई को बढ़ाया है.

उत्तरी और मध्य ग्लेशियरों में चौकियों पर कर्मियों को डिब्बाबंद राशन के बजाए ताजा राशन और सब्जियां मिलें. एक ऐसा पहलू जिसकी कुछ वर्ष पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. नयी लॉजिस्टिक पहलों की बदौलत ताजा राशन और सब्जियां अब हमारे फॉरवर्ड पोस्ट के लिए एक वास्तविकता बन गई हैं.

‘टेलीमेडिसिन से दुर्गम जगह में मिली चिकित्सा सहायता’

इसरो द्वारा स्थापित टेलीमेडिसिन नोड्स समेत सियाचिन में अत्याधुनिक चिकित्सा बुनियादी ढांचा न सिर्फ़ हमारे सैनिकों को बल्कि नुब्रा घाटी में क्षेत्रीय जनसंख्या और पर्यटकों को भी जरूरी चिकित्सा सहायता प्रदान करता है. परतापुर और बेस कैंप में चिकित्सा सुविधाओं में राष्ट्र के कुछ सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा और शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ, अत्याधुनिक एचएपीओ कक्ष और जीवन समर्थन प्रणालियों के अतिरिक्त ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र शामिल हैं.

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