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उत्तर प्रदेश पुलिस ने ज़ुबैर क़ुरैशी नाम के एक अंतरराष्ट्रीय तस्कर को किया गिरफ्तार

लखनऊ: रविवार, 5 मई 2024 को यूपी पुलिस ने ज़ुबैर क़ुरैशी नाम के एक अंतर्राष्ट्रीय स्मग्लर को अरैस्ट किया, जो खाड़ी राष्ट्रों में गोमांस की स्मग्लिंग से जुड़े मुद्दे में वांछित था. जुबैर को जालौन पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने संयुक्त रूप से पकड़ा था. उसकी गिरफ्तारी के लिए 50,000 रुपये का पुरस्कार घोषित किया गया था. जुबैर के विरुद्ध मुद्दा दिसंबर 2023 में जालौन जिले में दर्ज किया गया था जब एक कंटेनर से बड़ी मात्रा में गोमांस बरामद किया गया था. फर्जी दस्तावेजों के सहारे मांस का परिवहन किया जा रहा था.

इसके बाद IPC की धारा 420, 467, 468 और 471 के साथ-साथ गोहत्या निवारण अधिनियम की धारा 34 के अनुसार FIR दर्ज की गई. जांच के दौरान जुबैर की पशु स्मग्लिंग घोटाले में संलिप्तता सामने आई और उसे पकड़ने के कोशिश किए गए. मूल रूप से पूर्वी जगतपुरी, दिल्ली का रहने वाला जुबैर बार-बार अपना जगह बदलकर गिरफ्तारी से बच रहा था. पुलिस समेत STF भी उसकी तलाश में थी. 5 मई, 2024 को जुबैर को यूपी के बिजनौर जिले में खोजा गया. जालौन पुलिस, बिजनौर पुलिस और एसटीएफ के संयुक्त अभियान में उसे धामपुर थाना क्षेत्र के होटल यूरेशिया से अरैस्ट किया गया.

जुबैर की गिरफ्तारी के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय पशु स्मग्लिंग गिरोह में शामिल आरोपियों की कुल संख्या छह हो गई है. पूछताछ के दौरान जुबैर ने अपने अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क के बारे में खुलासा किया. उसने खुलासा किया कि वह अपने सहयोगियों के साथ बिहार के किशनगंज जिले से गोमांस खरीदता था. इसके बाद फर्जी दस्तावेजों की सहायता से गोमांस को चेन्नई ले जाया जाता था और बाद में इसे वियतनाम, दुबई, कतर, ओमान और ईरान जैसे राष्ट्रों में भेज दिया गया. इस गैरकानूनी कारोबार के लिए जुबैर के GST लाइसेंस का इस्तेमाल किया गया. पुलिस अभी इस मुद्दे में दो अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है. आगे की जांच चल रही है और जुबैर से पूछताछ के दौरान और भी नाम सामने आ सकते हैं. पुलिस इस मुद्दे में जरूरी कानूनी कार्रवाई कर रही है.

भारत में गोमांस को लेकर क्या है कानून ?

भारत में मौजूदा मांस निर्यात नीति के अनुसार, गोमांस (गाय, बैल और बछड़े का मांस) का निर्यात पूर्णतः प्रतिबंधित है. मांस में अस्थि, शव, भैंस का आधा मृतशरीर भी प्रतिबंधित है और इसे निर्यात करने की अनुमति नहीं है. निर्यात के लिए सिर्फ़ भैंस के मांस, बकरी, भेड़ और कुछ पक्षियों के मांस की अनुमति है. भैंस के मांस को भी बीफ बोला जाता है, ऐसे में कुछ लोग भ्रमित होते हैं कि हिंदुस्तान से गौमांस निर्यात होता है, जबकि ऐसा नहीं है.  26 अक्टूबर 2005 को, हिंदुस्तान के सर्वोच्च कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला में हिंदुस्तान में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए गोहत्या विरोधी कानूनों की कानूनी वैधता को बरकरार रखा था. हिंदुस्तान के लगभग 20 राज्यों में गायों के वध या बिक्री पर रोक लगाने वाले, वध की गई गाय के अधिनियम को विनियमित करने वाले विभिन्न कानून थे. केरल, तमिलनाडु, मिजोरम, मेघालय,  नागालैंड, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल कुछ ऐसे राज्य हैं जहां राज्य सरकारों ने गोहत्या की अनुमति दे रखी है, और इसपर प्रतिबंध नहीं है.

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