अगर आप अपने नौनिहालों को खिलाते हैं Cerelac , तो पढ़ लें ये रिपोर्ट
खाने पीने की चीजों बनाने वाली कंपनी नेस्ले चर्चा में है. सेरेलक बेबी फूड बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी नेस्ले पर इल्जाम लगा है कि वो हिंदुस्तान में घर घर में बिकने वाले सेरेलक बेबी फूड में आवश्यकता से अधिक चीनी मिलाकर बेच रही है. अब हिंदुस्तान गवर्नमेंट नेस्ले के इस बेबी फूड की जांच करेगी. देखा जाएगा कि ये आपके बच्चे के लिए ये ठीक है की नहीं. स्विजरलैंड जैसे विकसित राष्ट्रों के प्रोडक्ट्स में शुगर नहीं मिलाई जाती है. वहीं हिंदुस्तान जैसे विकसित राष्ट्रों में ऊपर से चीनी मिलाई जा रही है. ऐसे इल्जाम लग रहे हैं. ये भी बोला जा रहा है कि ये बच्चों की स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. आइए समझने की प्रयास करते हैं कि नेस्ले पर आई ताजा रिपोर्ट क्या कहती है और चीनी का इस्तेमाल बच्चों के लिए कितना घातक है?
रिपोर्ट में क्या बोला गया
इंटरनेशन बेबी फूड एक्शन नेटवर्क यानी आईबीएफएएन और स्विजरलैंड के रिसर्च ऑर्गनाइजेशन पब्लिक आई ने नेस्ले के बेबी फूड प्रोडक्ट सेरेलेक की लैब टेस्टिंग के बाद एक रिपोर्ट जारी की है. नेस्ले के 150 फूड प्रोडक्ट की बेल्जियम में जांच करवाई गई. इनमें छह महीने तक के बच्चों को दिया जाने वाला बेबी मिल्क और सेरेलक की जांच की गई. रिपोर्ट का शीर्षक है “How Nestle gets children hooked on sugar in lower income countries” शीर्षक से ही साफ है कि विकासशील और गरीब राष्ट्रों में नेस्ले के प्रोडक्ट में शुगर के इस्तेामल से जुड़ी है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया जैसे विकासशील और लो इनकम ग्रुप राष्ट्रों में नेस्ले के सेरेलैक जैसे बेबी फूड प्रोडक्ट में एडेड शुगर होता है. जबकि स्विजरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे यूरोपीय राष्ट्रों में बिकने वाले नेस्ले के बेबी फूड प्रोडक्ट में एडेड शुगर नहीं होती है. यानी स्विजरलैंड की मल्टीनेशनल कंपनी नेस्ले अपना एक ही प्रोडक्ट यूरोपीय राष्ट्रों में बिना एडेड शुगर के बेचती है और हिंदुस्तान में एडेड शुगर के साथ बेचती है.
अतिरिक्त चीनी नुकसानदायक क्यों हैं?
चीनी एक साधारण कार्बोहाइड्रेट है. कुछ खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली चीनी होती है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) के अनुसार, यह दूध (लैक्टोज) और फल (फ्रुक्टोज) में पाया जाता है. कोई भी उत्पाद जिसमें दूध (जैसे दही, दूध या क्रीम) या फल (ताजा, सूखा) होता है, उसमें कुछ प्राकृतिक शर्करा होती है. किसी खाद्य पदार्थ की तैयारी या प्रसंस्करण के दौरान उसमें निःशुल्क चीनी या अतिरिक्त चीनी अलग से मिलाई जाती है. एएचए का बोलना है कि इसमें सफेद चीनी, ब्राउन शुगर और शहद जैसे प्राकृतिक शर्करा, साथ ही रासायनिक रूप से निर्मित अन्य कैलोरी मिठास (जैसे उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप) शामिल हो सकते हैं. पब्लिक आई ने कहा कि नेस्ले के अतिरिक्त शर्करा वाले शिशु खाद्य उत्पादों को राष्ट्रीय कानून के अनुसार अनुमति है, इस तथ्य के बावजूद कि वे डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के विरुद्ध हैं.
Nestle ने क्या कहा?
नेस्ले ने पब्लिक आई और IBFAN के दोहरे मानकों के बारे में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया. यह बोला कि पिछले दशक में उसने पूरे विश्व में बच्चों के लिए अनाज से बने प्रॉडक्ट्स में ऐडेड शुगर की कुल मात्रा में 11% की कमी की है और यह गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वाद से समझौता किए बिना शुगर के स्तर को और कम करेगा. हमारे सहयोगी मीडिया के संपर्क किए जाने पर, नेस्ले इण्डिया सालों ने नेस्ले इण्डिया ने बच्चों के लिए के एक प्रवक्ता ने कहा, पिछले 5 अनाज से बने प्रॉडक्ट्स ने ऐडेड शुगर को 30% तक कम कर दिया है. हम प्रॉडक्ट्स के पोर्टफोलियो की नियमित जांच करते है.
अन्य राष्ट्रों से तुलना
देश | शुगर लेवल |
भारत | 43 ग्राम |
वियतनाम | 43 ग्राम |
इक्वाडोर | 43 ग्राम |
थाईलैंड | 41 ग्राम |
अमेरिका | 41 ग्राम |
न्यूजीलैंड | 41 ग्राम |
ऑस्ट्रेलिया | 37 ग्राम |
सिंगापुर | 36 ग्राम |
जर्मनी | 30 ग्राम |
ब्रिटेन | 23 ग्राम |
क्या कहता ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की नयी गाइडलाइन
WHO की एक नयी गाइडलाइन के मुताबिक, वयस्क और बच्चों को प्रतिदिन शुगर का सेवन उनकी कुल एनर्जी खपत का कम से कम 10% से कम करने की राय देती है. प्रत्येक दिन 5% से कम या लगभग 25 ग्राम 6 चम्मच) की और कमी अधिक ( स्वास्थ्य फायदा देगी. यूरोप के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन कहती है कि तीन वर्ष तक की उम्र के बच्चे को खाने में किसी भी तरह का स्वीटनर या ऐडेड शुगर नहीं देनी चाहिए. अन्य क्षेत्रों के लिए विशेष गाइडलाइन नहीं है. रिसर्चर्स का बोलना है कि यूरोपी की गाइडलाइन ही दुनिया के दूसरे हिस्सों के लिए मान्य है.