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अक्षय को कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से किया इंकार और कहा…

Akshay bam did not get anticipatory bail:   इंदौर की एक सत्र न्यायालय ने मर्डर के कोशिश के 17 वर्ष पुराने मुद्दे में क्षेत्रीय व्यवसायी अक्षय कांति बम और उनके पिता को अग्रिम जमानत देने से शुक्रवार को मना कर दिया और बोला कि इस प्रकरण में आरोपियों की गिरफ्तारी की संभावना नहीं है.

बम, इंदौर लोकसभा सीट के कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार के रूप में ऐन मौके पर अपना पर्चा वापस लेकर बीजेपी का दामन थामने के कारण चर्चा में हैं. अपर सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर करने के बाद अग्रिम जमानत के लिए बम और उनके पिता कांतिलाल की ओर से दाखिल अर्जी खारिज कर दी. न्यायालय ने बोला कि इस प्रकरण में आरोपियों की गिरफ्तारी की संभावना नहीं है, अत: सीआरपीसी की धारा 438 के प्रावधान लागू नहीं होते हैं.

क्या बोला न्यायालय ने : अपर सत्र न्यायाधीश ने यह भी बोला कि मुद्दे के वर्तमान परिस्थिति में आरोपियों को न्यायालय के सामने हाजिर होकर अग्रिम कार्यवाही में भाग लेना चाहिए और यदि उन्हें जरूरी प्रतीत होता है, तो वे आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के मुद्दे में नियमित जमानत का आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं.

इंदौर के एक प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) ने पीड़ित पक्ष की अर्जी पर बम और उनके पिता के विरुद्ध जमीन टकराव में 17 वर्ष पहले एक आदमी पर हमले के इल्जाम में दर्ज प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) जोड़े जाने का 24 अप्रैल को आदेश दिया था. मजिस्ट्रेट ने पिता-पुत्र को सत्र कोर्ट के सामने 10 मई को पेश होने का आदेश भी दिया था.

बम की कानूनी मुश्किलें बढ़ी : इस आदेश के महज 5 दिन बाद बम ने इंदौर के कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार के तौर पर अपना नाम वापस लेने का कदम उठाया. जिस अर्जी पर बम की कानूनी मुश्किलें बढ़ी हैं, वह इंदौर से कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार के रूप में उनकी उम्मीदवारी घोषित होने के महज 13 दिन बाद 5 अप्रैल को दाखिल की गई थी. बम को 23 मार्च की देर रात घोषित सूची में कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार बनाया गया था.

पुलिस ऑफिसरों ने कहा कि बम, उनके पिता कांतिलाल और अन्य लोगों के विरुद्ध यूनुस पटेल नाम के आदमी पर चार अक्टूबर 2007 को जमीन टकराव में हमले के इल्जाम में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उन्होंने कहा कि यह प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (गाली-गलौज), 323 (मारपीट), 506 (धमकाना) और अन्य संबद्ध प्रावधानों के अनुसार दर्ज की गई थी.

पटेल का इल्जाम है कि घटना के दौरान एक सुरक्षा एजेंसी के संचालक सतवीर सिंह ने अक्षय के पिता कांतिलाल के कहने पर उन पर 12 बोर की बंदूक से गोली भी दागी थी. गोलीबारी के आरोपी सतवीर सिंह की बाद में मृत्यु हो गई थी. (भाषा/वेबदुनिया)

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