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कम लागत में तगड़ा मुनाफा देती है तरबूज की खेती

 गर्मी के दिनों में पानी वाले फलों की काफी अधिक मांग रहती है जिसमें तरबूज और खरबूजा मुख्य रूप से शामिल है तरबूज हिंदुस्तान ही नहीं कई राष्ट्रों में बड़े ही चाव से खाया जाता है गर्मियों के दिनों में तरबूज तरोताजा तो रखता ही है, साथ ही किसानों के लिए यह लाभ की खेती है इसी क्रम में अब विंध्य क्षेत्र के किसान बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती प्रारम्भ करने जा रहे हैं बहुत जल्द ही तरबूज और खरबूज के पौधे को लगाने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाएगी इसकी खेती से किसानों को अच्छा फायदा भी होने की आसार है

बता दें कि, मिर्जापुर जनपद के किसान वृहद स्तर पर खेती-किसानी के व्यवसाय से जुड़े हैं इसमें से ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती करते आ रहे हैं पहले जनपद के किसान महज कुछ ही फसल पर ही निर्भर नजर आते थे, लेकिन नकदी फसलों की खेती और उससे होने वाले आय के कारण जिले में खेती का चलन धीरे-धीरे बदल रहा है ऐसे में जिलाधिकारी की पहल के बाद जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम किसानों के जीवन में मिठास घोलने का कोशिश कर रहे हैंजिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने कहा कि किसान रबी और खरीफ के मध्य में जायद के फसल की बुवाई प्रारम्भ कर सकते हैं उन्होंने कहा कि यह कम लागत की फसल है तीन महीने के सीजन वाले इस फसल से किसान को कम समय में लागत से कई गुना अधिक आमदनी कमा सकते हैं तरबूज की खेती की आरंभ करने के लिए 10-12 हजार रुपए प्रति बीघे का खर्च आता है इसकी खेती से किसानों को 80-90 हजार रुपए प्रति बीघे की आमदनी होगी

रेतीली दोमट मिट्टी में होगी अच्छी खेती
जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने कहा कि तरबूज की खेती के लिए गर्म और औसत आर्द्रता वाले क्षेत्र सर्वोत्तम होते हैं इसके बीज के जमाव और पौधों के बढ़वार के समय लगभग 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा रहता है तो वहीं रेतीली दोमट मिट्टी में इसकी खेती सबसे अच्छी होती है

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