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उत्तर प्रदेश पुलिस ने विकास दुबे पर इनाम बढ़ाकर किया 5 लाख रुपये

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिसवालों की मर्डर का आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर है यूपी पुलिस ने विकास दुबे पर पुरस्कार बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है विकास दुबे को अंतिम बार हरियाणा के फरीदाबाद में देखा गया था ऐसी संभावना है कि विकास दुबे नेपाल भाग सकता है

दूसरी ओर विकास के साथी एक के बाद एक पुलिस के साथ एनकाउंटर में मारे जा रहे हैं या पुलिस की गिरफ्त में आ रहे हैं यह पहली बार नहीं है कि पुलिस किसी का मुठभेड़ कर रही हो या किसी ने इस तरह से पुलिस को चुनौती दी हो

1990 के दशक में उत्तर प्रदेश में कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला था, जिसका पूरे प्रदेश में आतंक था इस गैंगस्टर के मन में पुलिस के खौफ का अंदाजा लगाने के लिए जानिए कि उसने 25 वर्ष की उम्र में यूपी के तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह से 6 करोड़ रुपये में सुपारी ली थी | वहीं, उत्तर प्रदेश पुलिस के पास इस क्रिमिनल की केवल एक ही फोटो थी

श्रीप्रकाश शुक्ल का जन्म गोरखपुर के मामखोर गांव में हुआ था श्रीप्रकाश शुक्ल के पिता एक शिक्षक थे श्रीप्रकाश शुक्ला ने शुरुआती दौर में ही कुश्ती प्रारम्भ कर दी थी और वह अपने गांव के प्रसिद्ध पहलवान थे श्रीप्रकाश शुक्ला ने भी 20 वर्ष की उम्र में मर्डर कर दी थी

<img id="img_15569143" src="https://www.lifestylenama.in/static/c1e/client/79965/uploaded/9429c78ee739078c9afbd613b4e34895.png" alt="उत्तर प्रदेश का वो गैंगस्टर जिसने पुलिस को दिया था खुला चैलेंज, 6 करोड़ में मुख्यमंत्री की ली थी सुपारी” width=”730″ height=”419″ />

बताया जाता है कि वर्ष 1993 में राकेश तिवारी नाम के शख्स ने श्रीप्रकाश शुक्ला की बहन पर सीटी बजाई थी, जिसके बाद उसने उनकी मर्डर कर दी थी घटना के बाद पुलिस उसकी तलाश कर रही थी, इसलिए उसने राष्ट्र छोड़कर बैंकॉक भागने का निर्णय किया हालाँकि, वह कुछ दिनों के बाद बैंकॉक से हिंदुस्तान लौट आया और बिहार चला गया जहाँ उसने क्राइम की दुनिया में प्रवेश किया बैंकॉक से आने के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला बिहार के सूरजभान गैंग में शामिल हो गया

इसके बाद श्रीप्रकाश शुक्ला ने तेजी से क्राइम की दुनिया में अपना पैर फैलाया वर्ष 1997 में श्रीप्रकाश शुक्ला ने लखनऊ में राजनेता और कुख्यात क्रिमिनल वीरेंद्र शाही की मर्डर कर दी बोला जाता है कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने शाही के विरोधी हरिशंकर तिवारी के निर्देश पर मर्डर की थी 11 जनवरी, 1997 को उन्होंने लखनऊ के अमीनाबाद में लॉटरी के थोक विक्रेता पंकज श्रीवास्तव के कार्यालय में घुसकर दिनदहाड़े उनकी मर्डर कर दी

इसके बाद 12 मई 1997 को उन्होंने लखनऊ के बिल्डर मूलचंद अरोड़ा का किडनैपिंग कर सनसनी फैला दी उन्होंने मूलचंद अरोड़ा को छुड़ाने के लिए 1 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी इसके बाद अगस्त महीने में उसने लखनऊ के एक होटल में ठहरे गोरखपुर के 4 ठेकेदारों पर फायरिंग कर दी इस हमले में एक आदमी की मृत्यु हो गई जबकि तीन लोगों को बचा लिया गया बोला जा रहा है कि उन्होंने ये सब केवल टेंडर पाने के लिए किया

इसके बाद अगले महीने श्रीप्रकाश शुक्ला ने लखनऊ के ड्रग डीलर केके की मर्डर कर दी रस्तोगी को सरेआम गोली मार दी गई, जबकि उनके बेटे का किडनैपिंग कर लिया गया और 1 करोड़ की फिरौती लेकर रिहा कर दिया गया इस घटना के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला ने रेलवे ठेकेदारी को लेकर लखनऊ के शिवनारायण पेट्रोल पंप पर उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव के चेयरमैन उपेन्द्र विक्रम सिंह को गोली मार दी

श्रीप्रकाश शुक्ला ने न सिर्फ़ उत्तर प्रदेश में उद्योगपतियों से जबरन वसूली, अपहरण, मर्डर और लूट की, बल्कि वह रेलवे ठेकों पर भी पूर्ण नियंत्रण चाहता था और इस प्रक्रिया में, जो भी आता था उसकी मर्डर कर देता था दूसरी तरफ पुलिस थी जिसके पास इस गैंगस्टर की कोई फोटो तक नहीं थी बोला जाता है कि श्रीप्रकाश शुक्ला का इतना खौफ था कि पुलिस भी उनसे डरती थी

इसका एक कारण यह था कि 9 सितंबर 1997 को सूचना मिलने पर पुलिस ने श्रीप्रकाश शुक्ला को पकड़ने की योजना बनाई लेकिन वह विफल रही और वह भी जब श्रीप्रकाश शुक्ला पहुंचे तो उन्होंने उस स्थान को घेर लिया इस बीच एक पुलिसकर्मी भी शहीद हो गया इसी बीच श्रीप्रकाश शुक्ला ने पटना में सबसे बड़ी घटना को अंजाम दिया, जिसने सभी को हिलाकर रख दिया 13 जून 1998 को श्रीप्रकाश शुक्ला ने पटना के इंदिरा गांधी हॉस्पिटल के बाहर बिहार गवर्नमेंट के तत्कालीन मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की गोली मारकर मर्डर कर दी थी इस दौरान मंत्री के साथ उनके सुरक्षाकर्मी भी साथ थे

<img id="img_15568921" src="https://www.lifestylenama.in/static/c1e/client/79965/uploaded/edeca7fab4741b3bed84389d2b554af4.jpg" alt="उत्तर प्रदेश का वो गैंगस्टर जिसने पुलिस को दिया था खुला चैलेंज, 6 करोड़ में मुख्यमंत्री की ली थी सुपारी” width=”849″ height=”477″ />

इसके बाद यूपी के तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह, गृह मंत्री और डीजीपी के बीच एक बैठक हुई जिसमें श्री प्रकाश शुक्ला से निपटने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाने पर सहमति बनी और उसे श्री प्रकाश को पकड़ने का काम सौंपा गया शुक्ला मर गये या मर रहे हैं इसी बीच समाचार आई कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह से 6 करोड़ रुपये की सुपारी ली है, जिससे एसटीएफ नाराज हो गई हालाँकि, उनकी कहानी का अंत भी उतना ही भयानक था श्रीप्रकाश शुक्ला की 23 सितंबर 1998 को एक एनकाउंटर के दौरान मर्डर कर दी गई थी श्रीप्रकाश शुक्ला को मारने के लिए पुलिस ने पहली बार तीन चीज़ों का इस्तेमाल किया था- एके-47, मोबाइल सर्विलांस और एसटीएफ

दरअसल, एसटीएफ को जानकारी मिली थी कि श्रीप्रकाश शुक्ला दिल्ली में अपनी गर्लफ्रेंड के साथ लगातार संपर्क में था इसके बाद उसके नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया गया, लेकिन जब उसने पीसी से अपनी गर्लफ्रेंड को कॉल करना प्रारम्भ किया तो उसे संदेह हुआ लेकिन एसटीएफ की टीम ने उसकी गर्लफ्रेंड का टेलीफोन भी सर्विलांस पर लगा दिया एसटीएफ टीम को पता चला कि शुक्ला गाजियाबाद के इंदिरापुरम क्षेत्र में रहता है

23 सितंबर 1998 को टीम को सूचना मिली कि शुक्ला दिल्ली से गाजियाबाद आ रहे हैं एसटीएफ ने उसका पीछा करना प्रारम्भ कर दिया जब शुक्ला का गाड़ी वसुंधरा एन्क्लेव पार कर गया, तो एक एसटीएफ गाड़ी ने उसे रोक लिया और सेरेण्डर करने के लिए कहा, लेकिन उसने गोलियां चला दीं और एसटीएफ की जवाबी गोलीबारी में शुक्ला मारा गया

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