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पाकिस्तान में 5000 साल पुराना यह मंदिर भगवान शिव को है समर्पित

लाइफस्टाइल न्यूज़ डेस्क !! सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है यह उत्तर पूर्व अफगानिस्तान से पाक और उत्तर पश्चिम हिंदुस्तान तक फैली हुआ है इस सभ्‍यता की एक झलक देखने को मिलती है पाकिस्‍तान में स्थित हिंदू मंदिर में जी हां, पाकिस्‍तान में एक हिंदू मंदिर 5000 वर्ष पुराना है ईश्वर शिव को समर्पित यह मंदिर महाभारत काल का कहा जाता है

कटासराज मंदिर का पौराणिक महत्‍व

कटास राज मंदिर पूरे विश्व के हिंदुओं के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण स्थान है ऐसा माना जाता है कि जिस तालाब के चारों ओर कटास मंदिर बना है वह ईश्वर शिव के आंसुओं से भरा है कहते हैं कि ईश्वर शिव अपनी पत्नी सती के साथ यहां रहते थे उनकी मौत के बाद, दुख से त्रस्त शिव अपने आंसू नहीं रोक सके वे इतना रोए थे, कि उनके आसूंओं से दो तालाब निर्मित हो गए एक कटारसराज में है, तो दूसरा राजस्‍थान के पुष्कर में मंदिर में स्थित इस कुंड को कटाक्ष कुंड भी कहते हैं तालाब और मंदिर का नाम भी एक ऐसे शब्द से लिया गया है जो उनके दुख को व्यक्त करता है कटास का अर्थ आंखाें में आंसू से होता है

12 वर्ष यहां रहे थे पांडव

एक अन्य किवदंती के अनुसार, कटास राज वही स्थान है जहां पांडव भाई अपने 12 वर्ष के वनवास के दौरान रहे थे वनों में भटकते हुए जब पांडवों को प्‍यास लगी, तो उनमें से एक कटाक्ष कुंड के पास जल लेने आया उस समय इस कुंड पर यक्ष का अधिकार था उसने जल लेने आए पांडव को अपने प्रश्न का उत्तर देने पर ही जल देने को कहा उत्तर न देने पर यक्ष ने उसे मूर्छित कर दिया इसी तरह एक एक करके सभी पांडव आए और मूर्छित होते गए अंत में युधिष्ठिर आए और उन्होंने अपनी बुद्धिमता का परिचय देते हुए सभी प्रश्नों के ठीक उत्तर दिए यक्ष इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने पांडवों को वापस चेतना में लाकर जल पीने की अनुमति दे दी

कटासराज का ऐतिहासिक महत्‍व

इसमें बौद्ध शासन और हिंदू शाही वंश के दौरान लगभग 900 वर्ष पहले बने बौद्ध स्तूप, हवेलियां और मंदिर शामिल हैं इनमें से ज्‍यादातर मंदिर ईश्वर शिव को समर्पित हैं और कुछ मंदिर ईश्वर हनुमान और राम को समर्पित हैं परिसर के अंदर एक प्राचीन गुरुद्वारा के अवशेष भी हैं जहां गुरु नानक ने 19वीं शताब्दी में पूरे विश्व की यात्रा करते हुए निवास किया था

मंदिर की वास्‍तुकला

यहां के मंदिरों की स्‍थापत्‍य कला कश्‍मीरी है इसमें मंदिर की छत शिखर से नुकीली होती है मंदिर को चौकोर आकार का बनाया गया है, जिसमें रामचंद्र जी का मंदिर सबसे बड़ा है यहां के मंदिरों की दीवार पर खूबसूरत नक्‍काशी के साथ भित्ति चित्र भी देखने को मिलेंगे

शिवरात्रि पर एकत्रित होते हैं लोग

आस्‍था की इन महत्‍वपूर्ण कहानियों के कारण हर वर्ष भिन्न-भिन्न अवसरों पर हिंदू इस मंदिर में एकत्रित होते हैं खासतौर से शिवरात्रि के मौके पर यहां खूब भीड़ होती है हालांकि वर्तमान में मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, लेकिन तीर्थयात्री यहां पांडव भाइयों के बलिदान की स्मृति में यहां आते हैं और ईश्वर शिव के दुख की वंदना करते हैं माना जाता है कि इस तालाब में स्नान करने से व्‍यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्‍त होता है

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