कम बजट में घूम सकते हैं ये ठंडी जगहें
सातवीं-आठवीं की छुट्टियों में घूमने का है प्लान तो हर ट्रैवल लवर कम से कम बजट में खूब घूमने का प्लान बना रहा है। बजट योजना एक अहमियत है, खासकर उत्तर हिंदुस्तान की यात्रा के शौकीनों के लिए। क्योंकि दूरी लंबी होने पर ज्यादातर समय यात्रा में ही व्यतीत होता है। ऐसा न हो इसके लिए हर यात्री योजना बनाता है। लेकिन कई जगहें ऐसी भी हैं जहां कम बजट में भी घूमा जा सकता है। इतना ही नहीं, किसी रोमांचक यात्रा की जीवन भर की यादें भी बनाई जा सकती हैं। इस वर्ष अगस्त के महीने में दो बार लंबी छुट्टियों का आनंद लेने का मौका मिल रहा है। अगले शुक्रवार 11 अगस्त को कार्यालय खत्म होने के बाद यदि कार्यालय से सोमवार, 14 अगस्त की स्वीकृति मिलती है तो लघु अवकाश का फायदा उठाया जा सकता है। यहां उन गंतव्यों की सूची दी गई है जो न्यूनतम बजट पर भी आपका मनोरंजन करेंगे।
दिल्ली-नैनीताल
अगर बजट सीमित है तो दिल्ली से नैनीताल तक यात्रा की जा सकती है। रात में दिल्ली से नैनीताल के लिए कैब और बसें चलती हैं। जो सुबह-सुबह नैनीताल पहुंचाती है। उत्तराखंड के नैनीताल की सड़कों का आनंद सुबह-सुबह लिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड के वन क्षेत्र में सुबह का सूर्योदय भी देखने लायक होता है। ज्यादातर लोगों को सूर्यास्त देखने का रोमांच होता है। लेकिन यदि आप नैनीताल घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आप यहां का सूर्योदय सरलता से देख सकते हैं। इसके अलावा, नैनीताल से हिमाच्छादित हिमालय भी देखा जा सकता है। अगर आप सर्दियों के दौरान नैनीताल जाने की योजना बना रहे हैं तो यह सबसे अच्छा है। क्योंकि आप यहां बर्फबारी का मजा भी ले सकते हैं।
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान
पड़ोसी राज्य राजस्थान एक बेहतरीन गंतव्य है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान घूमने लायक है। इस गंतव्य की योजना परिवार और दोस्तों दोनों के साथ बनाई जा सकती है। खास बात यह है कि यहां से महज 3 से 4 दिन में सरलता से वापस लौटा जा सकता है। यह राष्ट्रीय उद्यान दस भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में विभाजित है। सफारी लेकर प्रत्येक क्षेत्र का सरलता से दौरा किया जा सकता है। लेकिन यहां आप स्वयं सफारी नहीं चला सकते। यह बंगाल टाइगर्स का घर है। लेकिन इसके अतिरिक्त यहां ताकतवर जंगली जानवरों की झलक भी देखने को मिलती है। तेंदुए, चीता, बंदर, हिरण और साँपों की कई प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं। अगर आप यहां घूमने की योजना बना रहे हैं तो अपनी यात्रा की योजना इस तरह बनाएं कि आप एक रात पहले ही यहां पहुंच जाएं, क्योंकि यह पार्क दिन में सिर्फ़ दो बार ही खुलता है। सुबह 6.30 बजे से 10.00 बजे तक और दोपहर 2.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक। बीच में कोई प्रवेश नहीं। यह समय जानवरों की सुरक्षा के लिए तय किया गया है। इस पार्क की आधिकारिक वेबसाइट से एक महीने पहले एडवांस बुकिंग कराई जा सकती है। सफारी द्वारा टिकट की कीमतें सीक्रेट रखी जाती हैं। जिसकी आरंभ 1800 रुपये से होती है।
लैंसडाउन
यदि आप ट्रैकिंग के शौकीन और प्रकृति प्रेमी हैं, तो उत्तराखंड वास्तव में एक स्वर्ग है। क्योंकि, यहां पहाड़ी की चोटी से लेकर नदी-नालों तक का आनंद लिया जा सकता है। यदि आपके पैर हरी-भरी घास और अजीब पत्थरों पर चलने के लिए पर्याप्त ताकतवर हैं, तो लैंसडाउन के लिए निकल पड़ें। यह एक हिल स्टेशन है। ट्रिप भी बजट में और प्रकृति का अलग से आनंद लिया जा सकता है। मैदानों से बर्फीले पहाड़ों को देखने का मजा ही कुछ और है। यहां तक कि वहां से गुजरते हुए बुदबुदाते झरने का संगीत भी आपको हेडफोन लगाने की याद नहीं दिलाएगा। गढ़वाल जिले में कई पर्यटन स्थलों के साथ यह शांत जगह बहुत कम जाना जाता है। लेकिन घूमने का मजा ही कुछ अलग है। यहां गढ़वाल रेजिमेंट का पूरा इतिहास पता चलेगा। इसके अतिरिक्त गढ़वाल संग्रहालय भी देखने लायक है। इसके अतिरिक्त यदि समय हो तो भीम पकौड़ा हिल साइट भी देखने लायक है। आपको ऐसा लगेगा मानो आप कश्मीर के घने जंगल में आ गए हों।
क्रिसमस
उत्तराखंड में एक कम मशहूर हिल स्टेशन कनाटल है। दिल्ली से कनाताल सरलता से पहुंचा जा सकता है। यहां से ऋषिकेश और हरिद्वार के लिए बसें सरलता से मौजूद हैं। लेकिन यदि एक सप्ताह की प्लानिंग है तो दोबारा हरिद्वार और ऋषिकेश ले जाकर इस साइट की प्लानिंग की जा सकती है। देहरादून से 78 किमी की दूरी पर स्थित यह हिल स्टेशन ताकतवर है। ऐसे दृश्य देखने को मिलेंगे मानो प्रकृति ने अपनी रचनात्मकता यहां उड़ेल दी हो। फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए यह स्थान किसी एलबम बनाने से कम नहीं है। दरअसल कनाटल एक गांव है। अगर आपको यादें बनाने के साथ-साथ एडवेंचर का भी शौक है तो आप यहां रैपलिंग का मजा ले सकते हैं। शुल्क थोड़ा अधिक है। अगर आप कोडिया जंगल में घूमने का मजा लेना चाहते हैं तो यहां जंगल सफारी भी मौजूद है। टिकट की मूल्य 2000 रुपये से प्रारम्भ होती है। यह जंगल सफारी सुबह शीघ्र प्रारम्भ होती है। पहली यात्रा 6 बजे प्रारम्भ होती है।
यात्रा युक्तियां
जब बजट छोटा हो तो जितना हो सके ट्रेन और बसें बुक करें। इसके अतिरिक्त अब होटलों की स्थान पीजी भी सरलता से मौजूद हैं। तो आप वहां के क्षेत्रीय लोगों के साथ रहने का आनंद ले सकते हैं। यदि आप नाश्ते के लिए वजन नहीं बढ़ाना चाहते हैं, तो उत्तर के अधिकतर ग्रामीण इलाकों में क्षेत्रीय भोजन मिलता है। इसका विशेष कोशिश करना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आप नैनीताल गए हैं तो वेज पास्ता और मोमोज विशेष रूप से खाना चाहिए। जब आप देहरादून में हों तो आपको रास्कटलेट जरूर आज़माना चाहिए। तो, जितना कम सामान होगा, आप उतना अधिक आनंद ले सकते हैं।