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पढ़िए 8 नवंबर का एडिटोरियल

आंध्रप्रदेश में बीजेपी (BJP) 2018 से अच्छा प्रदर्शन कर रही थी, लेकिन ये पार्टी अब अचानक से कठिन में नजर आ रही है एक समय किंग मेकर मानी जाने वाली बीजेपी आज अपने पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रही है

बीजेपी का 2014 आंध्र प्रदेश में पूरे संसदीय क्षेत्रों का वोट शेयर 7.22% था वहीं, 2019 में ये वोट शेयर घटकर 0.98% पर आ गया विधान सभा क्षेत्र में, इसका वोट शेयर 2014 में 4.13% था और 2019 में ये घटकर 0.84% हो गया

नेशनल पार्टी, 2014 में जब तेलगु देशम पार्टी (TDP) और जन सेना पार्टी (JSP) के साथ गठबंधन में थी, तो उसने चार विधानसभा सीटें और राज्य में दो लोकसभा सीटें जीतीं थीं

वहीं जब उसने 2019 का चुनाव अपने दम पर लड़ा, तो उसे कोई भी लाभ नहीं मिला और तब से ही स्थिति में ही कोई परिवर्तन नहीं देखा गया है इस वर्ष की आरंभ में MLC (मेम्बर ऑफ लेजिसलेटिव काउंसिल) के चुनाव में हार देखनी पड़ी

अधूरे वादे

राजनीतिक वैज्ञानिक और वे सभी पार्टियां जिनके बीजेपी के साथ अच्छे संबंध थे वे सभी पार्टियां, राज्य में नेशनल पार्टी की लगातार गिरावट की कई सारी वजहें बताती हैं इन पार्टियों का मानना है कि बीजेपी की लीडरशिप वाली केंद्र गवर्नमेंट आंध्र प्रदेश पुनर्गठन एक्ट, 2014 के अनुसार किये गए वादों को पूरा करने में फेल रही है

जब यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस ने बोला था कि विभाजन (आंध्र प्रदेश- तेलंगाना) के बाद आंध्र प्रदेश को पांच वर्ष के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा (स्पेशल कैटेगरी स्टेटस) दिया जाएगा वहीं, बीजेपी के सीनियर नेताओं ने 2014 में SCS को 10 वर्ष तक बढ़ाने का वादा किया था

हालांकि, सत्ता में आने के बाद बीजेपी अपनी बात से मुकर गई और राज्य को विशेष पैकेज की पेशकश की और आंध्र के लोगों को ये स्वीकार करने जैसा नहीं लगा

फाइनेंस कमीशन ने बोला था आंध्र प्रदेश SCS के योग्य नहीं है, और ये इसके बेसिक क्राइटेरिया (नियमों) को पूरा नहीं करता है, तो बीजेपी ने फाइनेंस कमीशन को भी इसके लिए गुनेहगार बताया यही बीजेपी और TDP के बीच झगड़े की एक बड़ी वजह थी और रीजनल पार्टी भी इस अलायंस से बाहर हो गई आंध्र के लोग बीजेपी को सौतेला व्यवहार करने वाली पार्टी मानते हैं

इसके अलावा, हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने पोलावरम को नेशनल प्रोजेक्ट कहा इस के बावजूद, TDP और YSR कांग्रेस पार्टी सहित सभी सियासी दलों का बोलना है कि फंडिंग पर्याप्त नहीं है

कुछ महीने पहले प्रोजेक्ट के लिए ₹12,000 करोड़ से अधिक की स्वीकृति पर सहमति के बाद, बीजेपी नेताओं ने बोला कि राज्य गवर्नमेंट ने प्रोजेक्ट में कितनी लागत होगी, इसकी रिपोर्ट जमा करने में देरी की है

यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस गवर्नमेंट ने पहले इस प्रोजेक्ट के लिए एक खास प्रोजेक्ट बनाने की सोच थी, लेकिन सीएम चंद्रबाबू नायडू ने इसे स्वीकार नहीं किया गया, जो चाहते थे कि

यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस ने पहले इस प्रोजेक्ट के लिए एक ‘स्पेशल पर्पस व्हीकल’ का प्रोजेक्ट रखा था, लेकिन सीएम चंद्रबाबू नायडू ने इस प्रोजेक्ट को स्वीकार नहीं किया, क्योंकि वो चाहते थे कि राज्य को सीधा फंड दिया जाए

विशाखापत्तनम स्टील प्लांट की 100% बिक्री का विकल्प बीजेपी की कठिन बना हुआ है, जहां केंद्र गवर्नमेंट ने इसको पूरी तरह बेचने का निर्णय लिया

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