गर्भवती महिलाओं को 9 महीने तक इन चीजों को सोच समझकर खाएं
सेहत को सबसे बड़ी सम्पत्ति माना जाता है। बोला भी जाता है-’जान है तो जहान है।’ स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ बहुत भारी पड़ता है। आज की दौड़भाग भरी जीवन में लोग पैसा तो कमा रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य को कहीं ना कहीं नजरअंदाज कर देते हैं। सुबह का नाश्ता न करना, घंटों भूखे रहना और तेज भूख लगने पर बिना सोचे समझे कुछ भी खा लेना स्वास्थ्य को ही हानि पहुंचाता है।
ऐसा जब स्वयं मुंबई में रहने वालीं गायत्री चोना के साथ हुआ तो वह बिल्कुल अलर्ट हो गईं और साथ ही यह भी सोचा कि आम आदमी इन्हीं वजहों से अनहेल्दी फूड खाने की आदत का शिकार हो जाता है। इसी सोच के साथ वह न्यूट्रिशनिस्ट से बिजनेसवुमन बनीं और हेल्दी स्नैक्स लोगों तक पहुंचाने के लिए ‘Phab’ नाम से कंपनी प्रारम्भ की।
पढ़ाई न्यूट्रीशन की, दिनभर खाती ऊलजलूल
मैंने ब्रिटेन से डायटेटिक्स में मास्टर्स ली। मैं 15 वर्ष से न्यूट्रीशन की फील्ड में सक्रिय हूं। कॉलेज में थीसिस करने के दौरान मुझे घंटों लैब में बैठकर काम करना पड़ता। उस समय लैब में काम करते समय जो कुछ हाथ लगता मैं खा लेती। यानी मेरी खाने की आदतें पूरी तरह बिगड़ गईं।
उसी समय मेरे दिमाग में आया था कि मैं न्यूट्रीशन को समझती हूं, इसमें पढ़ाई कर रही हूं लेकिन फिर भी सोच समझकर नहीं खाती, ऐसे में जो आम आदमी जिसे पौष्टिक खाने या न्यूट्रीशन की ए,बी,सी भी नहीं पता, वह ना जाने क्या कुछ खा लेते होंगे।
इस खराब आदत का मेरी स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ा। इससे मेरी गट हेल्थ यानी आंतों की स्वास्थ्य बिगड़ती चली गई। पेट की स्वास्थ्य बिगड़ती है तो पूरे शरीर पर इसका असर पड़ता है।
इस वजह से मेरे शरीर में ताकत कम हो गई। जब एनर्जी कम होने लगती,लो फील करती, तो कुछ भी खा लेती। एनर्जी के लिए मीठा खा लेती। मीठा खाने से भले ही शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है लेकिन उनका बुरा असर भी पड़ता है।
अनहेल्दी खाने से मेरे पेट के गुड बैक्टीरिया कम होने लगते हैं और खराब बैक्टीरिया बढ़ने लगे जिससे ब्लोटिंग, गैस, एसिडिटी, कब्ज जैसी परेशानी बढ़ गईं।
शादी के बाद अहमदाबाद हुई शिफ्ट
मैं मुंबई से हूं। वहीं बचपन बीता और पढ़ाई की। विवाह के बाद मैं 2008 में अहमदाबाद शिफ्ट हुई। वहां 2017 तक रही लेकिन 2018 में मैं दोबारा मुंबई वापस आ गई। जिस वर्ष विवाह की, उसी वर्ष से काम करने लगी।
मैंने अहमदाबाद में हेल्थ स्टूडियो खोला जहां मैं लोगों की डाइट काउंसिलिंग करती। लोगों को ठीक खानपान के बारे में बताने के दौरान मुझे एहसास हुआ कि हर कोई हेल्दी बनना चाहता है लेकिन वह नहीं जानता कि स्वास्थ्य वर्धक कैसे बना जाए? हेल्दी रहने के लिए महत्वपूर्ण नहीं कि जिम में घंटों पसीना बहाया जाए या डाइटिंग की जाए।
जिंदगी में बड़े परिवर्तन करने से, छोटी-छोटी आदतों को बदलने और बुरी आदतों को छोड़ने के अतिरिक्त सोच समझकर खाना खाया जाए स्वास्थ्य सुधर सकती है।
प्रेग्नेंसी में लमाज क्लास ज्वॉइन की भी और करवाई भी
अहमदाबाद में मैंने डाइट काउंसिलिंग के साथ ही प्रेग्नेंट स्त्रियों को 5 वर्ष तक लमाज क्लासेज करवाईं। मैं सर्टिफाइड लमाज एक्सपर्ट हूं। लमाज क्लासेज में प्रेग्नेंसी के पूरे 9 महीनों तक एक्सरसाइज करवाई जाती हैं ताकि बेबी बर्थ में परेशानी ना हो। साथ ही स्त्रियों को प्रेग्नेंसी के दौरान ठीक डाइट की जानकारी भी दी जाती है।
जब मैं स्वयं प्रेग्नेंट हुई तब स्वयं भी लमाज वर्कआउट किया और स्त्रियों को भी सिखाया।
महिलाओं के प्रेग्नेंसी को लेकर बहुत प्रश्न होते हैं और उन्हें इस दौरान चिकित्सक के अतिरिक्त किसी से भी ठीक उत्तर नहीं मिलते। मैं लमाज क्लासेज के दौरान उनके सभी प्रश्नों के उत्तर देती और हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए वर्कआउट करवाती। उस समय अहमदाबाद में मेरे अतिरिक्त कोई लमाज एक्सपर्ट नहीं था तो मैंने सोचा कि क्यों ना मैं यहां क्लासेज प्रारम्भ करूं।
लमाज एक्सरसाइज में गर्भवती स्त्रियों को ठीक ढंग से सांस लेने का तरीका भी सिखाया जाता है। ठीक ढंग से सांस लेने से गर्भ में पल रहे बच्चे को अधिक ऑक्सीजन मिलती है, जिससे उसका ब्रेन अच्छे से विकसित होता है।
यहीं नहीं, इन क्लासेज में कपल को भी बुलाया जाता है ताकि हसबैंड को पता चले कि उन्हें अपनी पत्नी की स्वास्थ्य को कैसे संभालना है। मैं डिलीवरी के बाद स्त्रियों को ठीक ढंग से ब्रेस्ट फीडिंग के बारे में भी सतर्क करती।
प्रेग्नेंसी को लेकर बदली स्त्रियों की सोच
प्रेग्नेंसी को लेकर स्त्रियों को कई लोग गलत राय देते हैं। इस दौरान उन्हें अक्सर लोग कहते हैं कि जो मन करता है, खा लेना चाहिए। यह गलत है। वहीं, उनके घर वाले ही कह देते हैं कि इस दौरान डाइट करने की आवश्यकता नहीं।
मैंने हमेशा गर्भवती स्त्रियों को काउंसिलिंग के दौरान समझाया कि प्रेग्नेंसी के 9 महीने कुछ भी खा लेने का फ्री कूपन नहीं है। आप जो खा रही हैं, वो बेबी तक भी पहुंचता है इसलिए सोच समझकर ही खाएं।
अगर आपकाे गुलाब जामुन, समोसे या केक खाने का मन है तो ये सभी चीजें शरीर में जाकर उसे मोटा बनाती हैं क्योंकि ये सभी खुराक चर्बी में बदलती हैं। लेकिन वहीं यदि प्रेग्नेंट स्त्री ड्राई फ्रूट्स की चिक्की खाएंगी तो इससे बेबी को न्यूट्रीशन मिलेगा और मां की शरीर में ताकत बनी रहेगी।
मुझे स्त्रियों को यह बात समझाना बहुत कठिन होता, लेकिन मैंने प्रयास की, क्योंकि कई वर्षों से चल रही धारणा को बदलना बहुत कठिन होता है।
प्रेग्नेंसी में हेल्थ और डाइट का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है।
बिजनेस में रखा कदम
मुझे ट्रैवलिंग बहुत पसंद है। मैं कई स्थान घूम चुकी हूं और हर स्थान लोगों की खाने की आदतों को करीब से देखा और समझा है। खाना हर स्थान लोगों को एकजुट ही करता है इसलिए शायद इस फील्ड में मेरी दिलचस्पी है।
मैं 2016 में हूबर एंड हॉली नाम से आइसक्रीम ब्रांड प्रारम्भ किया। इन आइसक्रीम में ना प्रिजर्वेटिव, ना आर्टिफिशियल कलर और ना ही अधिक शुगर का इस्तेमाल होता है। इसके 6 शहरों में 15 स्टोर हैं। वहीं, फरवरी 2020 में मैंने फैब (Phab) नाम से हेल्दी स्नैक्स का ब्रांड लॉन्च किया। दरअसल, इस ब्रांड को बनाने के पीछे मकसद था कि लोगों को हेल्दी स्नैक्स का विकल्प मिले और उनमें प्रोटीन की कमी दूर हो क्योंकि हिंदुस्तान में अधिकांश लोग शाकाहारी हैं और उनमें प्रोटीन की कमी है।
वहीं, भागदौड़ भरी जीवन में लोग ठीक से नाश्ता भी नहीं करते। ऐसे में हमने ‘ग्रेनोला बार’ बनाई जो ओट्स और खजूर से बनी है और ब्रेकफास्ट के लिहाज से सारे पोषण तत्वों को शरीर में पहुंचाती है।
वहीं मूसली से बनी ‘एनर्जी बार’ फास्ट फूड के शौक से बचाती है।
गायत्री चोना ने फरवरी 2020 में मैंने ‘फैब’ ब्रांड को लॉन्च किया।
कारोबार करना सरल नहीं
मेरे लिए नंबरों को समझना कठिन था। स्टार्टअप करना सरल नहीं है। मैंने हमेशा लोगों की काउंसिलिंग की है, जो चैलेंजिंग नहीं है जबकि बिजनेस में प्रत्येक दिन चैलेंज आते हैं, रिस्क लेना पड़ता और तुरंत निर्णय भी लेने पड़ते हैं।
वहीं, यदि एक स्त्री बिजनेस करे तो लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। कहीं न कहीं समाज की आज भी यह सोच है कि स्त्री बिजनेस नहीं कर सकती। मैंने इस लोगों की इस सोच को बदला क्योंकि बचपन से ही मेरे पेरेंट्स ने मुझे आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करते रहे हैं। उन्होंने मुझे कभी नहीं बोला कि तुम लड़की हो तो पढ़ नहीं सकती। आज जो मेरी पहचान है, उसमें मेरे पेरेंट्स का बहुत बड़ा हाथ है।
जब बिजनेस प्रारम्भ किया तो 3 फैक्ट्री खड़ी की। यह तीनों फैक्ट्री दूरदराज के इलाकों में हैं।
मैं ऑफिस के एसी में बैठकर काम नहीं करती। मैं हर चीज को सीखना चाहती हूं इसलिए मैं मैन्युफैक्चरिंग को स्वयं देखती।
मैंने उत्तराखंड की फैक्ट्री में विजिट करने की ठानी तो ऑफिस के लोगों ने ही मुझे बोला कि आप वहां मत जाइए, आप वहां क्या करेंगी, वहां जाना सेफ नहीं है। लेकिन मैं गई और वहां की दिक्कतें पता चलीं जो दूर नहीं हो सकती थीं इसलिए उस फैक्ट्री को बंद किया। यह दिक्कतें मुझे मुंबई में बैठकर कभी नजर नहीं आतीं।
बच्चे करते हैं मुझे सपोर्ट
मेरे अंदर हमेशा मदर गिल्ट रहता है। काम के चलते मैं उन्हें अधिक समय नहीं दे पाती। मेरे 2 बेटे हैं- एक 13 वर्ष का और एक 9 वर्ष का। उन्होंने बचपन से मुझे हमेशा काम करते हुए देखा। उन्हें पता है कि उनकी मां बिजी रहती है इसलिए मैं उन्हें विद्यालय से ऑफिस ले आती हूं। वो मेरे काम को लेकर बहुत एक्साइटेड रहते हैं। वह अपने विद्यालय में सभी दोस्तों को कहते भी हैं कि मम्मी की कंपनी के हेल्दी स्नैक्स खाया करो।
वहीं जब मैं किसी बिजनेस से जुड़े निर्णय को लेकर कहीं अटक जाती हूं तो बच्चों से डिस्कस करती हूं। जिस तरह बच्चे सोचते हैं वैसा हम कभी नहीं सोच सकते। उनके आइडिया बहुत अनोखे और अलग होते हैं। कई बार उनकी राय ने मेरी मुश्किलों को सरल बनाया।