इस साल प्याज का उत्पादन कम रहने की संभावना
सीकर। एक बार फिर कई वर्ष बाद प्याज की मूल्य 80 से 100 रु। किलो तक पहुंच गई थी। इसे नियंत्रित करने के लिए गवर्नमेंट को निर्यात पर रोक लगानी पड़ी। ऐसा करने से प्याज की कीमतों में कुछ हद तक कमी हुई। लेकिन अब 2024 में प्याज के रेट फिर से बढ़ सकते हैं। ऐसे में कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए पहली बार उद्यान विभाग को किसानों से संपर्क कर प्याज का रकबा बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन सीजन के दौरान चार से छह रुपए किलो भावों में बिकने वाले प्याज की सरकारी खरीद और सब्सिडी जैसा कोई विकल्प नहीं दिया गया है।
इसके लिए केवल संगोष्ठी, प्रशिक्षण और प्रचार-प्रसार की हिदायत दी गई है। रकबा बढ़ाने के लिए किसानों के सामने दो बड़ी कठिनाई हैं। पहली प्याज की पौध बुवाई का समय सितंबर-अक्टूबर में समाप्त हो चुका है। दूसरी किसानों के पास बुआई के लिए प्याज की पौध नहीं हैं। पिछले कुछ वर्ष से सीजन के दौरान प्याज के रेट नहीं मिलने से किसान बुवाई से किनारा करने लगे हैं। ऐसे में इस बार करीब 30 प्रतिशत कम पौध तैयार हुई।
इस वर्ष प्याज का उत्पादन कम रहने की संभावना
इस बार प्याज का उत्पादन पहले के मुकाबले कम रहने की आसार है। इसका कारण लंबे समय से सीजन के दौरान प्याज के पूरे मूल्य न मिलने से किसान प्याज की खेती से दूर होने लगे हैं और मानसून की बारिश का दौर 15 दिन पहले ही खत्म होने से भी प्याज की बुवाई के अनुकूल वातावरण नहीं बन पाया, इसके अतिरिक्त अक्टूबर-नवंबर में बाजार में आने वाली महाराष्ट्र और अलवर की फसल भी कमजोर रही। पैदावार कम होने का असर अभी से बाजार में नजर आने लगा है। डिमांड के अनुसार आपूर्ति नहीं होने से निर्यात पर रोक के बावजूद खुदरा रेट 40-50 रुपए प्रति किलो है। मौके का लाभ उठाने के लिए लोकल स्टॉकिस्ट भी एक्टिव हो गए। मौजूदा बुवाई रकबे के मुताबिक जिले में करीब तीन से साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन प्याज की पैदावार होने की आसार है। जबकि पिछले वर्ष 20210 हेक्टेयर में 5.45 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन हुआ था। शेखावाटी के प्याज व्यवसायी के मुताबिक अभी महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे प्याज उत्पादक राज्यों में भी पैदावार औसत से कम रहने की आसार है।