भारत और श्रीलंका नहीं प्रभु श्रीराम का इन देशों से भी है गहरा सम्बन्ध
ईश्वर विष्णु के अवतार श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। चौदह साल के वनवास के बाद वह अयोध्या के राजा बने। लेकिन राजा राम का अयोध्या के अतिरिक्त हिंदुस्तान के कुछ शहरों से भी संबंध है। जहां छत्तीसगढ़ ईश्वर राम का ननिहाल है, वहीं बाराबंकी में सतरिख-चिनहट मार्ग पर सप्तर्षि आश्रम है, जहां ईश्वर राम ने अपने भाइयों के साथ शोध किया था। ईश्वर राम अपने वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण के साथ मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित चित्रकूट में रुके थे। निर्वासन के दौरान उनके दक्षिण हिंदुस्तान के अनेक स्थानों पर निवास करने के संकेत मिलते हैं।
भगवान राम थाईलैंड में भी पूजनीय हैं। रामकियेन, जो थाई रामायण है, यहां पढ़ी जाती है। हालाँकि यह वाल्मिकी रामायण से थोड़ा अलग है। बोला जाता है कि जब दक्षिण हिंदुस्तान के लोग समुद्र के रास्ते थाईलैंड पहुंचे तो रामायण भी यहां पहुंच गई। थाई राजा राम प्रथम ने रामायण का एक संस्करण लिखा था। रामकियां में थॉमसन के भूमिका को रामायण का रावण माना जाता है। थाईलैंड में राजा को ईश्वर विष्णु का अवतार माना जाता है इसलिए यहां के राजाओं के नाम राम-1, राम-2, राम-10 आदि हैंसबसे अधिक मुसलमान जनसंख्या वाले राष्ट्र इंडोनेशिया में भी रामायण के वर्जन काकविन रामायण को पढ़ा जाता है। यह इंडोनेशिया का जरूरी ग्रंथ है। इस राष्ट्र में अयोध्या भी है और राम एक नायक के तौर पर पूजनीय भी हैं। कहते हैं कि राम की सेना के प्रमुख सुग्रीव ने सीता माता की खोज के लिए सैनिकों को जावा द्वीप, यवद्वीप भेजा, जो कि इंडोनेशिया में है।नेपाल ईश्वर राम का ससुराल है। माता सीता नेपाल के जनकपुर की राजकुमारी हैं। प्रभु राम अपने गुरु संग नेपाल तक पहुंचे, जहां वह माता सीता के स्वयंवर में शामिल हुए। बाद में जानकी को विदा कराकर अयोध्या ले आए। इस कारण नेपाल के लोग ईश्वर राम को दामाद मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।लंका पति रावण ने माता सीता का हरण किया था, जिन्हें रावण से बचाने के लिए प्रभु राम अपनी वानर सेना संग लंका पहुंचे थे। लंका जाने के लिए पूरी वानर सेना ने रामसेतु पुल का निर्माण किया था।