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खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों कहा जाता है, आइए जानें
पिछले कुछ समय से खाटू श्याम ईश्वर का नाम छाया हुआ है। सोशल मीडिया पर भी खाटू श्याम के करिश्मा से जुड़े कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। बता दें कि खाटू श्याम को हारे का सहारा भी बोला जाता है। लेकिन, इसके पीछे की कहानी बहुत कम लोग जानते हैं। आइए जानते हैं खाटू श्याम ईश्वर से जुड़ी रोचक बातें।
कौन हैं खाटू श्याम भगवान?
श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार को खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है। राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम का एक प्राचीन मंदिर बना हुआ है, जहां रोजाना लोग दर्शन के लिए लंबी कतारों में लगते हैं।
दरअसल, ऐसा माना जाता है कि जब पांडव अपनी जान बचाने के लिए जंगल में चले गए तो भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। हिडिम्बा के पुत्र का नाम घटोखा और घटोखा के पुत्र का नाम बर्बरीक था, जिन्हें आप खाटू श्याम के नाम से जानते हैं।खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों बोला जाता है?
- जया किशोरी अक्सर खाटू श्याम के बारे में बात करती नजर आती हैं। उनका बोलना है कि वह बहुत कम उम्र में वहां गई थीं और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
- जया किशोरी कहती हैं, “श्रीकृष्ण ने ही श्याम बाबा को आशीर्वाद दिया था कि कलयुग में तुम मेरे नाम से जाने जाओगे। इसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है।”
- खाटू श्याम ईश्वर को हारे का सहारा इसलिए बोला जाता है क्योंकि वह अपनी मां से यह कहकर गए थे कि जो भी युद्ध में हारेगा मैं उसका साथ दूंगा।
- इसके बाद ईश्वर श्रीकृष्ण भी उनकी परीक्षा लेने आये। ईश्वर ने खाटू श्याम से बोला कि एक तीर से पेड़ के सारे पत्ते दिखाओ। यह कहकर उसने 1 पत्ता अपने पैर के नीचे दबा लिया। इसके बाद तीर उसके पास आकर घूमने लगा। इससे सभी को पता चल गया कि खाटू श्याम कितने ताकतवर हैं।
- इसके बाद ईश्वर कृष्ण ने खाटू श्याम से उसका सिर मांग लिया और बोला कि इसे ऊपर रखकर युद्ध देखो। यही कारण है कि उन्हें हारे का सहारा बोला जाता है।