8 या 9 दिसंबर कब है उत्पन्ना एकादशी व्रत जानें
एकादशी व्रत ईश्वर विष्णु को समर्पित है। एकादशी तिथि पर ईश्वर विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। यूं तो हर माह दो एकादशी तिथियां आती हैं, लेकिन उत्पन्ना एकादशी का खास महत्व है। एकादशी के व्रत को समाप्ति करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि खत्म होने से पहले करना महत्वपूर्ण होता है। जानें इस वर्ष कब है उत्पन्ना एकादशी, पूजन मुहूर्त, विधि, व्रत पारण टाइम और अन्य खास बातें-
उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त 2023: एकादशी तिथि 08 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 06 मिनट से प्रारंभ होगी और 09 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर खत्म होगी। उदयातिथि में उत्पन्ना एकादशी व्रत 08 दिसंबर को रखा जाएगा।
उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण का समय- उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण 09 दिसंबर को किया जाएगा। 09 दिसंबर को व्रत पारण का समय दोपहर 01 बजकर 15 मिनट से दोपहर 03 बजकर 19 मिनट तक है। पारण तिथि के दिन हरि वासर खत्म होने का समय दोपहर 12 बजकर 41 मिनट है।
9 दिसंबर को वैष्णव उत्पन्ना एकादशी: 09 दिसंबर 2023 को वैष्णव उत्पन्ना एकादशी व्रत है। 10 दिसंबर को वैष्णव उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा। व्रत पारण का शुभ मुहूर्त 10 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 02 मिनट से सुबह 07 बजकर 13 मिनट है। पारण तिथि के दिन द्वादशी खत्म होने का समय सुबह 07 बजकर 13 मिनट है।
उत्पन्ना एकादशी पूजाविधि-
सुबह शीघ्र उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि ईश्वर को केवल सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। ईश्वर विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के ईश्वर विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन ईश्वर विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन ईश्वर का अधिक से अधिक ध्यान करें।
कब दो दिन लगातार होते हैं एकादशी व्रत: कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब गृहस्थ लोगों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। दूसरे दिन यानी दूजी एकादशी को सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।