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मानसून में मुंहासे रोकने के ये 5 उपाय जानिए
मानसून के मौसम में गर्मी से राहत तो मिल जाती है. लेकिन बारिश के कारण कई त्वचा संबंधित बीमारियां पैदा हो जाती है. बरसात के मौसम में उमस और गर्मी के कारण कई स्किन समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. मानसून में फंगल इंफेक्शन और पिंपल्स की परेशानियां काफी बढ़ जाती है. हवा में नमी और उमस बढ़ने से रोमछिद्र बंद हो सकते हैं, त्वचा पर अत्यधिक ऑयल का उत्पादन और बैक्टीरिया की वृद्धि हो सकती है, जो ये कारक सभी मुंहासे पैदा कर सकते हैं. आइए मानसून में मुंहासे से छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए.
मानसून में मुंहासे रोकने के 5 उपाय
चेहरे को साफ रखें
मानसून के सीजन में चेहरे को साफ रखना बहुत जरुरी है. बारिश के मौसम में फेस को दिन में दो बार जरुर धो लें. इसे चेहरे की गंदगी साफ होती है. यदि आप मेकअप करते हैं तो बिना मेकअप हटाएं न सोए, ऐसा करने मुहांसे निकाल सकते हैं. बरसात के समय फंगल इंफेक्शन काफी फैलता है जरुरी है कि चेहरे को 2 बार फेस वॉश से क्लीन करें.
एक्सफोलिएट करना जरुरी
बरसात के मौसम में चेहरे की देखभाल के लिए यह जरुरी है कि आप एक्सफोलिएट करें. किसी भी माइल्ड स्क्रब से अपने चेहरे को सप्ताह में 2 या 3 तीन बार जरुर करें. स्क्रब करने से चेहरे से डेड सेल्स और रोमछिद्रों खुल जाते हैं. यदि आपकी स्किन नॉर्मल या फिर कॉम्बिनेशन है तो ग्लाइकोलिक या सैलिसिलिक एसिड वाले स्क्रब का प्रयोग करें. ड्राई स्किन के लिए मॉइस्चराइजिंग स्क्रब का प्रयोग करें.
सही मॉइस्चराइजर का चयन करें
इस मौसम में त्वचा को मॉइस्चराइजिंग रखना जरुरी है. त्वचा को मॉइस्चराइजिंग रखने से स्किन हाइड्रेट रहती है, ड्राईनेस दूर होती है और स्किन हेल्दी नजर आती है. याद रखें कि बंद छिद्र और मुंहासे पैदा न करने वाला मॉइस्चराइजर न खरीदें.
मेकअप करते समय न भूलें ये चीजें
अगर आप बरसात के मौसम में मेकअप करते हैं तो इन चीजों का ध्यान रखें. मेकअप आप मुंहासे पैदा न करने वाले ही प्रोडक्ट का प्रयोग करें. मेकआप लाइट ही करें और मिनरल बेस्ड मेकअप का प्रयोग न करें. इसके साथ ही ध्यान रहे कि आईलाइनर और मस्कारा वाटरप्रूफ हो.
खुद को हाइड्रेट रखें
अच्छी तरह से हाइड्रेटेड त्वचा कम ऑयल पैदा करती है और सुस्त त्वचा अक्सर निर्जलीकरण का संकेत देती है. अपनी त्वचा और कोशिकाओं को हाइड्रेटेड रखने के लिए, पानी से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे खीरा, तरबूज आदि से भरपूर आहार के साथ ‘पानी का सेवन करें’, जिससे स्थायी जलयोजन सुनिश्चित हो सके.