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स्वत्रतंत्रता सेनानी नरेन्द्र मोहन सेन के पुण्यतिथि पर जानें इनका जीवन परिचय

(अंग्रेज़ी: Narendra Mohan Sen ; जन्म- 13 अगस्त, 1887, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल; मृत्यु- 23 जनवरी, 1963, वाराणसी, उत्तर प्रदेश) हिंदुस्तान के मशहूर क्रांतिकारियों में से एक थे अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़कर ये ‘अनुशीलन समिति’ में शामिल हो गए थे ‘बारीसाल षड़यंत्र केस’ में नरेन्द्र मोहन सेन को गिरफ़्तार किया गया था और फिर बाद में 1914 ई में इन्हें नजरबंद कर दिया गया

जन्म तथा शिक्षा

प्रसिद्ध क्रांतिकारी नरेन्द्र मोहन सेन का जन्म 13 अगस्त, 1887 ई में ब्रिटिश शासन के दौरान पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ था बचपन में इन्हें विख्यात क्रांतिकारी ‘अनुशीलन समिति’ के नेता पुलिन बिहारी दास के घर पर पढ़ने का अवसर मिला और यहीं से उनके अंदर देशभक्ति की भावना का संचार हुआ ‘ढाका मेडिकल स्कूल’ में द्वितीय साल की पढ़ाई छोड़ कर ये क्रांतिकारी ‘अनुशीलन समिति’ में सम्मिलित हो गए थे[1]

मुक़दमा

अपने साहसपूर्ण व्यवहार और कठिनतम कामों में आगे रहने से नरेन्द्र मोहन सेन को समिति में प्रमुखता मिली और उनका घर क्रांतिकारियों का अड्डा बन गया साल 1909 में अंग्रेज़ गवर्नमेंट द्वारा समिति ग़ैर क़ानूनी घोषित कर दी गई समिति के सदस्यों पर ‘ढाका षड़यंत्र केस’ के नाम से मुक़दमा चला अनेक लोगों को सजाएँ हुई इसमें नरेन्द्र मोहन सेन पुलिस के हाथ नहीं आए और वे गुप्त रूप से समिति की गतिविधियाँ चलाते रहे इस प्राकार 1910 में उनके ऊपर समिति का पूरा भार आ गया था

समिति की शाखाएँ

नरेन्द्र मोहन सेन ने समिति के काम को आगे बढ़ाया और समिति की शाखाएँ आसाम, मुंबई, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब तक खोली गईं इन्होंने 1911 में क्रांतिकारियों को रूस, जर्मनी आदि राष्ट्रों में भेजने की योजना भी बनाई थी कृषि फ़ॉर्म खोल कर उसके अंदर कार्यकर्ताओं को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया

गिरफ़्तारी

वर्ष 1913 ई में ‘बारीसाल षड़यंत्र केस’ में नरेन्द्र मोहन सेन गिरफ़्तार कर लिए गए, लेकिन पुलिस उन्हें सजा नहीं दिला पाई इस पर 1914 में उन्हें नजरबंद कर लिया गया उसके बाद गिरफ़्तारी और हिंदुस्तान तथा बर्मा की जेलों में बंद रहने का क्रम चलता रहा

निधन

जीवन के उत्तरार्ध में नरेन्द्र मोहन सेन ने सन्न्यास ले लिया था फिर भी द्वितीय विश्वयुद्ध के दिनों में संन्यासी नरेन्द्र मोहन भी कारावास से बाहर नहीं रह पाए 23 जनवरी, 1963 को वाराणसी, यूपी में उनका मृत्यु हो गया

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