जानें भारत की ‘ब्लैक मैजिक कैपिटल’ कही जाने वाली जगह के बारे में…
यह जगह काले जादू का गढ़ है
मायोंग हिंदुस्तान के असम के मोरीगांव जिले में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर एक छोटा सा गाँव है। म्योंग गांव को ‘भारत की काले जादू की राजधानी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह गांव काले जादू के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है। बोला जाता है कि यहां के लोग अपनी सुरक्षा के लिए ज्यादातर काले जादू का इस्तेमाल करते हैं। सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यहां के लोग आदमी से जानवर बनाने की कला जानते हैं। इतना ही नहीं, ये भी बोला जाता है कि ये अपनी जादुई शक्तियों से यहां हवा में भी लोगों को गायब कर देते हैं।
यहां के इतिहास से महाभारत जुड़ा हुआ है
कहा जाता है कि इस गांव का इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है। बोला जाता है कि घटोत्कच मयंग से कई जादुई शक्तियां सीखने के बाद महाभारत के युद्ध में शामिल हुआ था। ऐसे में यह गांव घटोत्कच का भी माना जाता है। वहीं, मायोंग नाम भी संस्कृत शब्द से जुड़ा है, इसका मतलब भ्रम होता है।
जादू का प्रयोग रोंगों को ठीक करने के लिए किया जाता है
मायोंग की चुड़ैलें भी लोगों को ठीक करने के लिए जादू का इस्तेमाल करती हैं। निमोनिया और खसरा जैसी गंभीर रोंगों को ठीक करने के लिए भी ओझा का प्रयोग किया जाता है। जब जादू का प्रयोग दूसरों को ठीक करने के लिए किया जाता है तो इसे अच्छा जादू बोला जाता है, जबकि जब तंत्र-मंत्र का प्रयोग दूसरों को हानि पहुंचाने के लिए किया जाता है तो इसे ‘काला जादू’ बोला जाता है।
इस तरह इसका उपचार किया जाता है
इस गांव में चुड़ैलें काले जादू का इस्तेमाल कर बिना दवा के लोगों को ठीक कर देती हैं। यहां के लोग किसी भी दर्द को दूर करने के लिए उस जगह पर तांबे की प्लेट दबा देते हैं और दर्द दूर हो जाता है। बोला जाता है कि ये सब करने में भूत उनकी सहायता करते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यह शक्ति पीढ़ी रेट पीढ़ी चली आ रही है।
टूटे हुए कांच के टुकड़ों की भविष्यवाणी की जाती है
गांव की आधी से अधिक जनसंख्या को काले जादू के बारे में खून की जानकारी है, इतना ही नहीं वह प्रत्येक दिन इसका अभ्यास भी करती है। जहां तक स्थानीय लोगों की बात है, वे हस्तरेखा पढ़ने की कला भी जानते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ लोग सीपियों और टूटे हुए कांच के टुकड़ों का इस्तेमाल करके भी किसी आदमी का भाग्य बता सकते हैं।
गांव में घुसना कितना खतरनाक?
म्योंग गांव से गुजरना बहुत डरावना माना जाता था, यहां आना इतना सरल नहीं है, कहते हैं जो भी इस गांव में जाता है उसका वापस लौटना कठिन होता है। इस गांव से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं, जिनकी मिसालें आज भी लोग देते हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें।”