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षटतिला एकादशी के महत्व एवं पूजा विधि के बारे में, जानें

आज षटतिला एकादशी है, इस एकादशी का हिन्दू धर्म में खास महत्व है, तो आइए हम आपको षटतिला के महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं

जानें षटतिला एकादशी के बारे में 

आज 6 फरवरी को षटतिला एकादशी व्रत रखा जा रहा है पंडितों के मुताबिक माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी षटतिला एकादशी के नाम से जानी जाती है षटतिला एकादशी के दिन व्रत रखा जाता है और ईश्वर विष्णु की पूजा की जाती है इस दिन ईश्वर विष्णु को तिल का भोग लगाया जाता है इस व्रत में तिल का छ: रूप में इस्तेमाल करना उत्तम फलदाई माना जाता है धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक षटतिला एकादशी के दिन तिल का दान करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है शास्त्रों के मुताबिक इस दिन जो जितना तिल का दान करता है वह उतने हजार साल तक स्वर्ग में जगह पाता है

षटतिला एकादशी के दिन तिल का दान होगा लाभदायी

शास्त्रों के अनुसार, षटतिला एकादशी के दिन जो भी आदमी तिल का दान करता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है इसके अतिरिक्त पंडितों का मानना है कि एकादशी के दिन जो आदमी तिल दान करता है उसके सभी पापों का नाश होता है और उसे पुष्य की प्राप्ति होती है

षटतिला एकादशी पर ऐसे करें पूजा

षटतिला एकादशी के दिन तिल का उबटन लगा कर तिल वाले पानी से स्नान करें उसके बाद साफ वस्त्र धारण कर घर के मंदिर की सफाई करें और ईश्वर विष्णु और श्रीकृष्ण का स्मरण कर षटतिला एकादशी व्रत का संकल्प लें षटतिला एकादशी की पूजा दशमी के दिन से प्रारम्भ हो जाती है दशमी के दिन तिल मिश्रित गाय के गोबर से 108 उपले बनाएं उसके बाद एकादशी के दिन पूजा शुरू करें ईश्वर की चन्दन, अरगजा, कपूर, नैवेद्य इत्यादि अर्पित करें उसके बाद उड़द और तिल मिश्रित खिचड़ी का भोग लगाएं और प्रसाद स्वरूप बाट दें एकादशी की रात में पूजा करें तथा उन्हीं 108 उपलों से हवन करें इससे ईश्वर विष्णु की आप पर विशेष कृपा होगी एकादशी की रात में सोएं नहीं बल्कि रात भर जगकर कीर्तन करें

षटतिला एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा

पुद्म पुराण में षटतिला एकादशी से सम्बन्धित कथा का वर्णन किया गया है इस कथा के मुताबिक एक महिला ईश्वर विष्णु की परम भक्त थी पूजा-पाठ करने के कारण मौत के पश्चात उसे बैकुंठ धाम प्राप्त हुआ लेकिन वहां पहुंचने पर उसे सिर्फ़ एक खाली कुटिया मिली तब उस महिला ने ईश्वर विष्णु से बोला कि मैंने आपकी भक्ति की फिर मुझे खाली कुटिया क्यों मिली तब ईश्वर विष्णु ने बोला कि तुमने कभी अन्न का दान नहीं किया था इसलिए तुम्हें यह फल भोगना पड़ा विष्णु जी उससे षटतिला एकादशी का व्रत करने को कहा षटतिला एकादशी व्रत से महिला की कुटिया अन्न-धन से भरी गयी और वह खुशी-खुशी बैकुंठ धाम में रहने लगी

षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त 6 फरवरी 2024 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 22 मिनट से 6 बजकर 14 मिनट तक विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 25 मिनट से 3 बजकर 9 मिनट तक रहेगा निशिथ काल मध्‍यरात्रि 12 बजकर 9 मिनट से 1 बजकर 1 मिनट तक गोधूलि बेला शाम 6 बजकर 2 मिनट से 6 बजकर 28 मिनट तक अमृत काल सुबह 11 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक

षटतिला एकादशी पर यें चीजें करें दान

पंडितों के मुताबिक षटतिला एकादशी के दिन पूजा के बाद दान का खास महत्व होता है विशेष रूप से तिल से भरा बर्तन, जूता,छाता, घड़ा, वस्त्र दान फलदायी होता है यथाशक्ति मुताबिक आप काली गाय भी दान कर सकते हैं षटतिला एकादशी के दिन सिर्फ़ तिल का दान ही नहीं बल्कि तिल के साथ अन्न का दान भी विशेषदायी होता है पंडितों का मानना है कि षटतिला एकादशी के दिन तिल के साथ यदि कोई भक्त अन्न दान करता है तो उसके जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती साथ ही इस दान  से मनुष्य का जीवन सुखद और वैभवशाली होता है यही नहीं षटतिला एकादशी पर विधिपूर्वक दान से न सिर्फ़ इस लोक में बल्कि मौत के बाद बैकुंठ लोक में भक्त सुखपूर्वक विचरण करता है

इस विधि से करें षटतिला एकादशी व्रत का पारण

षटतिला एकादशी पर ईश्वर विष्णु को तिल से बनी चीजों का भोग अवश्य लगाना चाहिए ऐसी मान्यता है कि इस पूरे महीने तिल का खास महत्व है यही वजह है कि भक्तों को तिल का भोग और इसका दान करने की राय दी जाती है वहीं जो जातक इस दिन का उपवास रखते हैं उन्हें सुबह पवित्र स्नान और पूजा-पाठ के बाद ईश्वर विष्णु को अर्पित किए गए भोग से ही पारण करना चाहिए इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है साथ ही पापों का नाश होता

षटतिला एकादशी व्रत पारण में इन चीजों का रखें ध्यान

पंडितों के मुताबिक द्वादशी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए तामसिक चीजों से व्रत खोलने से बचना चाहिए ईश्वर विष्णु की विधि मुताबिक पूजा करने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए बैंगन, साग, मसूर दाल आदि से बनी चीजों से व्रत नहीं खोलना चाहिए व्रत पूर्ण करने के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को दान अवश्य देना चाहिए

षटतिला एकादशी व्रत में करें इन नियमों का पालन, होगा लाभ

षटतिला एकादशी का विशेष महत्व होता है इसलिए इस एकादशी में कुछ नियमों का पालन विशेष फलदायी होता है एकादशी के पहले दशमी की संध्या से ही व्रत शुरू कर दें दशमी को मसूर की दाल तथा लहसुन, प्याज युक्त भोजन का सेवन न करें

षटतिला एकादशी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जितना पुण्य कन्यादान, हजार सालों की तपस्या और स्वर्ण दान करने के बाद मिलता है उससे कहीं अधिक फल एकमात्र षटतिला एकादशी के दिन मिलता है ऐसी मान्यता है कि षटतिला एकादशी का व्रत जो कोई भी आदमी करता है उसे धन संपत्ति के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य का फल मिलता है

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