जाने संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और चंद्रोदय का समय के बारे में…
Sankashti Chaturthi 2023: हिंदू धर्म में हर वर्ष आश्विन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। पंचाग के अनुसार, इस वर्ष 2 अक्टूबर यानी आज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन गणपति बप्पा की विधि विधान से पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता की ऐसा करने से विघ्नहर्ता अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते है। इतना ही नहीं इस दिन इनकी पूजा-अर्चना से धन, यश, वैभव और कीर्ति की प्राप्ति होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। चलिए संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और चंद्रोदय का समय जानते हैं।
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त: वर्ष 2023 में आश्विन माह कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी तिथि की आरंभ 2 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 36 मिनट से होगी और 3 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 11 मिनट पर इसका समाप्ति होगा। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, आज यानी 2 अक्टूबर को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त: पंचांग के अनुसार, गणेजी जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 4 बजकर 37 मिनट से रात 7 बजकर 37 मिनट तक बन रहा है।
चंद्रोदय का समय: संकष्टी चतुर्थी के दिन रात 7 बजकर 46 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व: संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व बहुत है। यह विशेष दिन ईश्वर गणेश को समर्पित है। इस दिन गणेशजी की विधिविधान से पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है। व्रत के दौरान लोग बप्पा का आशीर्वाद लेने के लिए गणेश मंदिर जाते हैं। ईश्वर गणेश सभी देवताओं में सबसे प्रिय है। मान्यता है कि इनकी पूजा-उपासना से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं और धन, वैभव और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
पूजाविधि:
सुबह शीघ्र उठें और स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
घर का मंदिर साफ करें और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
गणेश जी के सामने घी का दीपक प्रज्जवलित करें।
उन्हें फल, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
गणेश जी को मोदक, लड्डू या खीर का भोग लगाएं।
अब उनकी वकायदा पूजा करें और बाद में आरती उतारें।
इसके बाद गणेशजी के मंत्रों का जाप करें।
संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा सुनें।
शाम के समय भी गणेशजी की विधिविधान से पूजा करें।
चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को जल अर्पित करें।