तलाक के लिए अर्जी देने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
भारतीय संस्कृति में विवाह को सात जन्मों का बंधन माना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक संबंध स्वर्ग से बनकर आते हैं. इसलिए विवाह के बाद दंपती के बीच कितनी भी गलतियां क्यों न हो जाएं, लोग अलग होने के बारे में कभी नहीं सोचते. हालाँकि समय के साथ तलाक के माध्यम से अलगाव बहुत आम होता जा रहा है. एक तरह से यह सच है कि एक साथ दुखी होने की तुलना में अलग होकर खुश रहना बेहतर है. लेकिन तलाक लेना और उसकी प्रक्रिया से गुजरना सरल नहीं है. यह निर्णय लेने से पहले आपके लिए इसके हर पहलू को समझना और जानना महत्वपूर्ण है. खासकर यदि आप एक स्त्री हैं और कामकाजी नहीं हैं. ऐसे में यहां कुछ जरूरी बातें हैं जिनके बारे में आपको तलाक के लिए अर्जी देने से पहले सोचना चाहिए.
तलाक की प्रक्रिया को समझना
तलाक लेने से पहले यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी अनुभवी पारिवारिक वकील से कानूनी राय लें. वे आपके अधिकारों, जिम्मेदारियों और इसमें शामिल कानूनी प्रक्रियाओं को समझने में आपकी सहायता करते हैं. इसकी सहायता से आप यह तय कर सकते हैं कि आपको तलाक लेना है या नहीं.
आर्थिक स्थिति को समझना
अपने पार्टनर से अलग होने से पहले यह समझना महत्वपूर्ण है कि आप स्वयं आर्थिक रूप से कितने मजबूत हैं. आपके पास कम से कम 3 महीने का खर्च होना चाहिए. ऐसे में अपने सभी वित्तीय डॉक्यूमेंट्स एक स्थान रखें. यह जानकारी संपत्ति विभाजन और गुजारा भत्ता या गुजारा भत्ता निर्धारित करने में जरूरी है. इसमें आप अपने वकील की सहायता ले सकते हैं. वह आपका बेहतर मार्गदर्शन कर सकता है.
बच्चों के अधिकारों को समझें
बच्चे होने के बाद तलाक लेना सरल नहीं है, क्योंकि जोड़े को पहले अपने बच्चों के अधिकारों और कल्याण के बारे में सोचना पड़ता है. ऐसी स्थिति में आप अकेले बच्चे को कैसे संभालेंगे, इसकी योजना बनाने में सहायता करने के लिए अपने वकील से पूछें. क्योंकि वे आपको न्यायालय में बच्चे की कस्टडी पाने और अपने जीवनसाथी से बच्चे का समर्थन प्राप्त करने में सहायता करेंगे. यह भी समझें कि तलाक के बाद भी बच्चों की खातिर आपको अपने जीवनसाथी से मिलना पड़ सकता है.
तलाक सरल नहीं है
तलाक की असली प्रकृति टीवी पर देखी जाने वाली प्रक्रिया से बहुत अलग है. असल जीवन में तलाक लेना एकदम भी सरल नहीं है. आप कभी भी भावनात्मक रूप से कमजोर हो सकते हैं. इसलिए, परिवार और दोस्तों के साथ जुड़े रहें, ताकि आपको इस मुश्किल समय में अकेलेपन और चिंता से न गुजरना पड़े.
हर छोटे-छोटे मुद्दे में आपकी भागीदारी महत्वपूर्ण है
भले ही आपने न्यायालय में अपना अगुवाई करने के लिए अपना स्वयं का वकील नियुक्त किया हो, लेकिन आपके लिए हर छोटे मुद्दे में एक्टिव रहना बहुत जरूरी है. इसके लिए अपने मन में उठने वाले हर प्रश्न को अपने वकील से पूछें और यदि आपको कोई बात समझ में न आए तो आप उससे स्पष्टीकरण भी मांग सकते हैं. हर कानूनी कार्रवाई से अवगत रहें. ध्यान रखें कि आपका वकील आपका मार्गदर्शन करने के लिए उपस्थित है, लेकिन आपके भविष्य के बारे में अच्छे फैसला लेने के लिए आपकी भागीदारी जरूरी है.