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इतिहास में पीछे जाएं तो एक ऐसी घटना है जहां अमेरिका में एक 14 साल के लड़के को सिर्फ 2 घंटे की सुनवाई के बाद कोर्ट ने दी मौत की सजा

लाइफस्टाईल न्यूज डेस्क भारत एक ऐसा राष्ट्र है जहां 18 साल से कम उम्र के किसी भी क्रिमिनल को किशोर माना जाता है, चाहे उसने कितना भी जघन्य क्राइम किया हो आपने शायद ही कभी सुना होगा कि हिंदुस्तान में 18 वर्ष से कम उम्र के क्रिमिनल को मृत्यु की सजा दी जाती है हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया में कहीं न कहीं आपने इसे सुना होगा लेकिन यदि हम इतिहास में पीछे जाएं तो एक ऐसी घटना है जहां अमेरिका में एक 14 वर्ष के लड़के को केवल 2 घंटे की सुनवाई के बाद न्यायालय ने मृत्यु की सजा दे दी और इस 14 वर्ष के लड़के को इलेक्ट्रिक चेयर पर बिठा दिया गया 2400 बोल्ट के झटके से उनकी मृत्यु हो गई

हम जिस बच्चे की बात कर रहे हैं उसका नाम जॉर्ज स्टिन्नी जूनियर है, जो अफ़्रीकी-अमेरिकी था और जब पुलिस ने उसे गिरफ़्तार किया तब उसकी उम्र केवल 14 वर्ष थी उस दौरान अमेरिका में एक 14 वर्ष के लड़के को वयस्क की तरह देखा जाता था जॉर्ज-स्टिन्नी जूनियर के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता था क्योंकि वह काला था

जॉर्ज स्टेनी जूनियर दक्षिण कैरोलिना के अल्कोआ में रहते थे, जहां गोरे और काले लोग रेल की पटरियों से अलग होते थे 23 मार्च 1944 को जॉर्ज अपनी बहन कैथरीन के घर के बाहर खेल रहे थे ऐसा बोला जाता है कि उसी समय दो श्वेत लड़कियाँ, बहनें, 11 वर्षीय बेट्टी जून बिनिकर और 7 वर्षीय मैरी एम्मा थॉमस, कुछ फूलों की तलाश में आईं इस दौरान उन्होंने जॉर्ज और उनकी बहन कैथरीन से मेयोपॉप के बारे में पूछा, जिसे क्षेत्रीय भाषा में फूल बोला जाता है बोला जाता है कि इसके बाद जॉर्ज दोनों बहनों की सहायता के लिए गए और बाद में घर लौट आए लेकिन वो दोनों गोरी लड़कियाँ अपने घर नहीं पहुँची

जून बिनिकर और मैरी एम्मा थॉमस के लापता होने के बाद, उनके पिता ने अपनी दो बेटियों को खोजने के लिए सैकड़ों अल्कोलु निवासियों से सहायता मांगी पूरा शहर इन दोनों लड़कियों को ढूंढने लगा अगले दिन दोपहर को दोनों लड़कियों के मृतशरीर रेलवे ट्रैक के पास मिट्टी में मिले दोनों लड़कियों की मेडिकल जांच कराई गई जिसमें मृत्यु का कारण सिर में गहरी चोट लगना सामने आया

दोनों लड़कियों के मृतशरीर मिलने के बाद जॉर्ज को पुलिस ने इस आधार पर हिरासत में लिया कि उसे अंतिम बार दोनों लड़कियों के साथ देखा गया था बाद में पुलिस द्वारा प्रस्तुत एक सिद्धांत के अनुसार, जॉर्ज ने अपना क्राइम कबूल कर लिया पुलिस के बयान के मुताबिक, जॉर्ज ने पुलिस को कहा कि उसने दोनों बहनों की मर्डर कर दी क्योंकि वह 11 वर्ष की बेट्टी जून बिनिक्कर के साथ रिश्ता बनाना चाहता था हालाँकि, जब उसे एहसास हुआ कि मैरी एम्मा थॉमस के जीवित रहते यह संभव नहीं है, तो उसने उसकी जान लेने का कोशिश किया इसके बाद दोनों बहनों ने जॉर्ज को पीटना प्रारम्भ कर दिया, जिसके बाद जॉर्ज ने लोहे की रॉड से दोनों बहनों के सिर पर वार कर दिया, जिससे दोनों बहनों की जान चली गई

इन दोनों बहनों की मर्डर के इल्जाम में जॉर्ज और उसके भाई जॉन को अरैस्ट कर लिया गया हालाँकि, बाद में पुलिस ने जॉन को यह कहते हुए जाने दिया कि जॉर्ज ने अपना क्राइम कबूल कर लिया है पुलिस के इस बयान पर किसी को विश्वास नहीं हुआ क्योंकि पुलिस द्वारा दिखाए गए बयान में जॉर्ज के हस्ताक्षर नहीं थे

जॉर्ज के मुद्दे में एक पीठ का गठन किया गया जिसमें सभी न्यायाधीश श्वेत थे जॉर्ज के लिए नियुक्त वकील चार्ल्स प्लोडेन थे उन्होंने जॉर्ज का बचाव करते हुए न्यायालय में सिर्फ़ एक वाक्य बोला कि जॉर्ज के साथ एक वयस्क की तरह व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए ऐसा बोला जाता है कि चार्ल्स प्लॉडेन राजनीति में आना चाहते थे, जिस पर उस समय गोरों का वर्चस्व था, इसलिए उन्होंने जॉर्ज के तर्क को न्यायालय में ठीक से पेश नहीं किया

जिस न्यायालय कक्ष में जॉर्ज को सजा सुनाई जा रही थी, वहां एक हजार से अधिक लोग उपस्थित थे, लेकिन एक भी आदमी अश्वेत नहीं था अदालती दस्तावेज़ों के अनुसार, जॉर्ज के ख़िलाफ़ कुल तीन गवाह पेश किए गए, जिनमें वह चिकित्सक भी शामिल था जिसने उन दो गोरी लड़कियों का मृतशरीर परीक्षण किया था, जिन पर मर्डर का इल्जाम जॉर्ज पर था पुलिस ने बोला कि जॉर्ज जून बिनिक्कर के साथ संबंध बनाना चाहता था लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसका कोई जिक्र नहीं है

इस मुद्दे की सुनवाई करीब 2.30 घंटे तक चली इस दौरान जॉर्ज स्वयं को बेगुनाह बताते रहे लेकिन उन्हें अपने बचाव में कुछ भी कहने की इजाजत नहीं दी गई न्यायालय ने अपने 10 मिनट के आदेश में जॉर्ज को मृत्यु की सजा सुनाई उस समय अमेरिका में बिजली की कुर्सी से बांधकर मृत्यु की सजा दी जाती थी, इसलिए न्यायालय की सजा के बाद जॉर्ज को भी बिजली की कुर्सी से बांध दिया गया था वैसे जॉर्ज उस कुर्सी के लिए बहुत छोटा था, इसलिए उसके नीचे एक पुस्तक रखी गई थी ऐसा बोला जाता है कि यह पुस्तक बाइबिल थी न्यायालय के आदेश के बाद जॉर्ज को 2400 वोल्ट का जोरदार बिजली का झटका दिया गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई

2014 में जॉर्ज का मुद्दा दोबारा खोला गया इस बीच न्यायालय ने माना कि जिस आधार पर जॉर्ज को सजा सुनाई गई, उससे यह साबित नहीं होता कि वह गुनेहगार थे इसलिए उन्हें बरी कर दिया गया न्यायालय ने अपने आदेश में माना कि एक बेगुनाह आदमी को भयावह मृत्यु की सजा दी गई है

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