इस दिन भगवान विष्णु के करे निमित्त व्रत,व्यक्ति को मिलेगा त्वचा रोग से मुक्ति
हरिद्वार: वर्ष भर में 24 एकादशी आती हैं. सभी एकादशी का भिन्न-भिन्न महत्व कहा गया है. मुख्य रूप से एकादशी ईश्वर विष्णु को समर्पित है. इस दिन ईश्वर विष्णु की पूजा अर्चना, व्रत और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने का विशेष महत्व है. पंचांग के मुताबिक आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली योगिनी एकादशी का विशेष महत्व होता है. यह एकादशी वर्ष में पड़ने वाली सभी एकादशी में विशेष महत्व रखती है. योगिनी एकादशी के महत्व को लेकर ब्रह्मपुराण में भी वर्णन किया गया है.
वही योगिनी एकादशी पर कुछ काम वर्जित बताए गए हैं. यदि आप वह काम करेंगे तो आपको त्वचा बीमारी खुजली, कोढ़ आदि हो सकता है. वहीं जिन पर शनि और राहु केतु की महादशा चल रही हो, उनको भी त्वचा बीमारी होने की आसार अधिक बनी रहती है. योगिनी एकादशी पर क्या खास करने से आदमी को त्वचा बीमारी नहीं होगा. इसके महत्व को लेकर हमने ज्योतिष शास्त्र के जानकार श्रीधर शास्त्री से वार्ता की है.
श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि योगिनी एकादशी वर्ष में होने वाली 24 एकादशी में विशेष महत्व रखती है. योगिनी एकादशी का व्रत इंग्लिश कैलेंडर के मुताबिक 14 जून बुधवार के दिन होगा. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक योगिनी एकादशी सबसे पहले नक्षत्र अश्विनी में किया जाएगा. इस दौरान ठंडे पेय पदार्थो जैसे शीतल जल, छाछ (मठ्ठा), दही, मौसमी आदि का सेवन अधिक करना चाहिए. योगिनी एकादशी पर चावल का इस्तेमाल वर्जित कहा गया है
इस मंत्र का करें जाप
इस दिन ईश्वर विष्णु के निमित्त व्रत करें. पूजा पाठ करें और रात्रि में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से आदमी को त्वचा बीमारी नहीं होता है. योगिनी एकादशी पर “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” का पाठ करने से विशेष फायदा होता है. साथ ही सभी ग्रह सूर्य, शनि, राहु और केतु शांत होते हैं. योगिनी एकादशी पर ईश्वर विष्णु के निमित्त पीले वस्त्र धारण करने का भी महत्व कहा गया है.
इन चीजों का करें दान
ज्योतिषाचार्य श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि योगिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए ईश्वर विष्णु के निमित्त व्रत करने का संकल्प करके पूजा पाठ करें. ऐसा करने से आदमी को त्वचा बीमारी नहीं होता है. एकादशी से अगले दिन सफेद चीजों जैसे चावल दही पेय पदार्थ सफेद वस्त्र आदि का दान जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से ईश्वर विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है.
शनि,राहु और केतु के दुषप्रभाव दूर होंगे
शनि ग्रह, राहु केतु और सूर्य ग्रह के कारण आदमी को कौन-कौन सी रोग है हो सकती हैं .इसकी जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य शीतल शास्त्री बताते हैं कि शनि ग्रह ठीक ना होने के कारण आदमी को वायु बीमारी जैसे शरीर में खुजली, पित्त आदि होने की आसार रहती है. वही राहु और केतु के कारण आदमी को आंख और पेट की समस्याएं बढ़ जाती है और सूर्य के कारण आदमी को शरीर संबंधी सभी बीमारियां जैसे त्वचा बीमारी आदि होने की आसार अधिक रहती है.
ताम्र पात्र में जल सूर्य देव को चढ़ाए जल
इन सब से निजात पाने के लिए आदमी को प्रतिदिन सूर्य देव को ताम्र पात्र में जल देना चाहिए और ईश्वर विष्णु के निमित्त व्रत, पूजा पाठ आदि करना चाहिए. साथ ही इस दौरान सफेद चीजों का दान करने का विशेष महत्व है. रात्रि में विष्णु सहस्रनाम का पाठ जरूर करना चाहिए, जिससे आदमी इन सभी रोंगों से दूर रहे. आषाढ़ माह में मौसम बदलाव होने के चलते त्वचा बीमारी होने की आसार अधिक रहती है.
इन रोंगों से मिलेगी मुक्ति
योगिनी एकादशी आषाढ़ माह में आती है. इस दौरान मौसम बदलाव होने के कारण आदमी को त्वचा बीमारी होने की आसार अधिक रहती है. वही सूर्य, शनि और राहु केतु के कारण भी आदमी को त्वचा बीमारी जैसे खुजली, आंखें लाल होना, कोढ़, पित्त और पेट संबंधी बीमारियां की भी आसार रहती है. ज्योतिष शास्त्र में इन सभी रोंगों से निजात पाने के लिए ब्रह्म पुराण के मुताबिक योगिनी एकादशी का व्रत, ईश्वर विष्णु के निमित्त पूजा अर्चना और रात्रि में विष्णु सहस्त्रनाम पाठ का जाप करने से सभी ग्रह शांत होते हैं और आदमी को त्वचा बीमारी और शरीर संबंधी बीमारियां नहीं होती है.