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यहां नर्मदा नदी के शुद्ध जल से बनते हैं कुंदे के पेड़े

अगर आप खाना चाहते हैं मां नर्मदा के सही जल से बने हुए टेस्टी सही पेड़े तो आप आ सकते हैं जबलपुर संस्कारधानी में गौरीघाट रोड पर स्थित मां नर्मदा भोग मिष्ठान भंडार पूरे जबलपुर में लच्छू के पेड़े के नाम से मशहूर है जिन्हें खाने के लिए पूरे दिन यहां भीड़ लगी रहती है और दूर-दूर से यहां पर लोग पहुंचते हैं

मां नर्मदा के सही जल से बनाए जाते यह मशहूर कुंड के पेड़े
यह दुकान तकरीबन 80 सालों से यहां पर स्थित है और लगभग इतने ही सालों से जुड़े हुए ग्राहक आज भी यहां के पेड़े खाने पहुंचते हैं दुकान के मालिक राजा गोस्वामी ने बोला कि वह इस दुकान की तीसरी पीढ़ी है इसके पहले उनके पिताजी और उसके पहले उनके भी पिताजी इस दुकान को चलाते थे आज तक यह दुकान पूरे संस्कारधानी में और आसपास के शहरों में भी लच्छू के पेड़ों के नाम से मशहूर है लच्छू राजा गोस्वामी के पिता का नाम है और उन्हीं के नाम से इस दुकान के पेड़ आज भी संस्कारधानी में जाने जाते है

यहां का नमकीन भी है लाजवाब
राजा गोस्वामी ने हमें कहा कि उनकी दुकान का नमकीन वह पारंपरिक ढंग से स्वयं बनाते हैं जिसमें ना तो कोई मिलावट की जाती है ना ही कोई भी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है पारंपरिक तौर पर दाल को पीसकर सही बेसन से यह नमकीन बनाया जाता है इनकी दुकान के पेड़ों के साथ-साथ यहां का नमकीन भी पूरे शहर में मशहूर है जिसे खाने के लिए जबलपुर के अतिरिक्त आसपास के शहर से भी काफी लोग पहुंचते हैंराजा ने आगे कहा कि जो लोग शहर छोड़कर विदेश में रहने लगे हैं वह आज भी जब भी शहर में आते हैं तो सबसे पहले इनकी दुकान के पेड़े और यहां का नमकीन लेकर जाते हैं

दुकान में इतनी प्रकार की मिठाई है उपलब्ध
दुकान में मशहूर कुंदे के पेड़े  और इसके मशहूर नमकीन के अतिरिक्त यहां पर उनकी खोबे की जलेबी, इमरती, मगज के लड्डू, मावा कुल्फी जैसे कई मिठाइयां यहां पर मौजूद हैं जो बिना मिलावट के सही पारंपरिक तौर पर बनाई जाती हैं यहां पर पेड़े 400 रुपए किलो से यहां पर बिकते हैं और इनका मशहूर नमकीन 240 रुपए किलो के हिसाब से दिया जाता है

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